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कहानी है डॉक्टर कार्ल टेंजलर (Carl Tanzler) की, जिनका जन्म 8 फरवरी 1877 को जर्मनी के ड्रेसडन (Dresden, Germany) में हुआ. वहां उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई की. प्रथम विश्व युद्ध के बाद साल 1926 में कार्ल अमेरिका आ गए जहां उन्हें काउंट कार्ल वॉन कोसेल नाम से जाना जाने लगे. उनका दावा था कि उन्होंने नौ अलग-अलग विश्वविद्यालय की डिग्रियां हासिल की हैं.
साथ ही कार्ल कहा कहते थे कि वह एक महल में पले-बढ़े हैं. वह खुद को काफी बुद्धिमान बताते थे. लेकिन बाद में जब उनकी सच्चाई लोगों के सामने आई तो हर कोई हैरान रह गया. दरअसल, उन्होंने किया ही कुछ ऐसा था. आखिर कार्ल ने ऐसा क्या कि पूरी दुनिया में उन्हें जानने लगी चलिए जानते हैं...
The Sun के मुताबिक, जर्मनी से अमेरिका आने के बाद कार्ल फ्लोरिडा के मरीन हॉस्पिटल में एक्स-रे टेक्निशियन के रूप में काम करने लगे. डॉक्टर कार्ल टेंजलर की मानें तो उन्हें बचपन से ही एक सपना आता था, जिसमें खूबसूरत काले घने बालों वाली एक युवती उन्हें दिखाई देती थी. सपने में उनकी एक महिला पूर्वज भी आती थी और वह कहती थी कि यही युवती तुम्हारा असली प्यार है. बार-बार ऐसा सपना आने लगा तो कार्ल ने भी मान लिया कि यही युवती उनका असली प्यार है.
बता दें, 1899 में कार्ल की शादी डोरिस शेफर (Doris Schäfer) नामक महिला से हुई थी. उनके दो बच्चे भी हुए. आएशा और क्लारिस्टा. लेकिन पत्नी से भी कार्ल अक्सर उस सपने का जिक्र करते और कहते कि उनका असली प्यार वह नहीं, बल्कि सपने में आने वाली काले घने बालों वाली युवती है. इसके बाद ही 1926 में बीवी और बच्चों को जर्मनी में छोड़ नौकरी के लिए वो खुद अमेरिका आकर रहने लगे.
समय बीता और 22 अप्रैल 1930 के दिन जब वो हॉस्पिटल में थे तो उनके पास मारिया एलेना 'हेलेन' (Maria Elena "Helen") नामक मरीज टीबी का इलाज करवाने पहुंची. एलेना को देखकर मानो डॉक्टर कार्ल के होश ही उड़ गए. क्योंकि उसकी शक्ल हूबहू वैसी थी जो लड़की अक्सर डॉक्टर के सपने में आती थी. एलेना को देखते ही डॉक्टर को उससे पहली ही नजर में प्यार हो गया.
डॉक्टर से 32 साल छोटी थी एलेना
डॉक्टर कार्ल टेंजलर ने एलेना का इलाज शुरू किया. इलाज के लिए एलेना अक्सर अस्पताल आने लगी. इस दौरान एक दिन डॉक्टर कार्ल ने उसे अपने सपने में आने वाली लड़की के बारे में भी बता दिया. तब एलेना ने उन्हें बताया कि वह पहले से ही शादीशुदा है. लेकिन शादी के बाद जब उसका मिसकैरिज हो गया तो उसका पति उसे छोड़कर चला गया. तब से वह अपने माता-पिता के साथ ही रह रही है. वैसे भी 1909 में जन्मी एलेना डॉक्टर कार्ल से 32 साल छोटी थी.
एलेना को पत्नी मानने लगे थे डॉक्टर कार्ल
उम्र का इतना गैप होने बावजूद कार्ल उससे प्यार करने लगे थे. वह उसे मन ही मन में अपनी पत्नी भी मानने लगे. उस दौरान टीबी का इलाज संभव नहीं था इसलिए हॉस्पिटल वालों ने एलेना को कहा कि अब वह घर पर ही आराम करे. हॉस्पिटल आने की उसे जरूरत नहीं है. जब यह बात कार्ल को पता चली तो उन्हें बहुत दुख हुआ. वे तुरंत एलेना के घर पहुंचे और कहा कि वह उसका इलाज अपने खर्चे पर उसी के घर पर करेंगे. एलेना के माता-पिता भी इस बात के लिए मान गए.
25 अक्टूबर 1931 को हो गई एलेना की मौत
अब डॉक्टर रोज-रोज इलाज के बहाने एलेना के घर आने-जाने लगे. यहां तक कि उन्होंने इलाज के लिए उपयोग में आने वाली मशीनों से लेकर दवाइयों तक को हॉस्पिटल से चुराना शुरू कर दिया. लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद वह एलेना को बचा नहीं पाए और 25 अक्टूबर 1931 के दिन एलेना की मौत हो गई. एलेना की मौत से कार्ल को इतना बड़ा झटका लगा कि वे अपने होश ही खो बैठे. उन्होंने सबसे पहले एलेना के माता-पिता से अनुरोध किया कि वह एलेना के अंतिम संस्कार का सारा खर्च उठाएंगे.
एलेना के लिए बनवाई बड़ी सी कब्र
यहां तक कि उन्होंने एलेना के लिए बड़ी सी कब्र भी बनवाई. एलेना की कब्र में बिजली और इंटरकॉम तक लगवाया. उन्होंने कब्र की सिर्फ एक चाबी बनवाई जिसे खुद के पास रखा. उन्होंने एलेना के माता-पिता से कहा कि जब भी आप एलेना की कब्र के पास आएं तो बस बाहर से ही उसे देखकर चले जाएं. लेकिन डॉक्टर के दिमाग में अब भी एलेना को लेकर इस कदर पागलपन था कि वह रोज कब्र में जाते और दिन हो रात घंटों वहीं बैठे रहते. उसकी कब्र के पास बैठकर उससे बातें करते. एलेना के माता-पिता को जब यह बात पता लगी तो वे भी काफी हैरान रह गए. लेकिन उन्होंने सोचा कि समय के साथ-साथ डॉक्टर का यह पागलपन ठीक हो जाएगा. पर वो नहीं जानते थे कि ये तो बस अभी शुरुआत थी. आगे तो इससे भी भयानक कुछ होने वाला है.
दो साल बाद कब्र से निकाल ली लाश
दरअसल, दो साल बाद डॉक्टर को फिर से वो सपने आने शुरू हो गए. उन्हें अब उनकी पूर्वज कहती कि एलेना को तुम घर ले आओ और अपने पास रखो. डॉक्टर ने इस बात पर गौर किया और अप्रैल 1933 को चुपके से कब्र खोदकर सड़ी-गली एलेना की लाश को उठाकर वह घर ले आए. किसी को भी इस बात की भनक तक नहीं लगी कि डॉक्टर ने ऐसा भी कुछ किया होगा. अब लाश को तो डॉक्टर कार्ल घर ले आए थे. लेकिन वह इतनी सड़ और गल चुकी थी कि उससे बदबू भी आ रही थी. डॉक्टर ने फिर सोचा कि क्यों न एलेना की लाश को फिर से नया शरीर दिया जाए. इसलिए उन्होंने मोम की मदद से एलेना के शरीर को बनाना शुरू किया. प्लास्टिक ऑफ पेरिस की मदद से उसके चेहरे को बनाया. आंखों पर दो कांच के गोले लगा दिए. सिर पर नकली बाल लगाए. बदबू भगाने के लिए वे रोजाना महंगे-महंगे परफ्यूम उस कमरे में छिड़कने लगे.
एलेना की बहन को हुआ डॉक्टर पर शक
रोज डॉक्टर कार्ल घंटों-घंटों उस लाश से बात करते. उसके सामने नाचते-गाते. उसे अपने साथ सुलाते. वह उसे अपनी दुल्हन मानते थे. ऐसे ही सात साल बीत गए. लेकिन सात साल बाद एलेना की बहन ने गौर किया कि अब डॉक्टर कार्ल एलेना की कब्र में आते ही नहीं हैं. उसे न जाने क्यों पर डॉक्टर पर शक हुआ तो वो एक दिन अचानक उनसे मिलने उनके घर आ पहुंची. लेकिन यहां का मंजर देख वह दंग रह गई. उसने देखा कि डॉक्टर कार्ल ने अपने घर में एक लाश रखी हुई है और वह उससे बातें कर रहे हैं. उसने तुरंत पुलिस को इसकी सूचना दी. मौके पर पहुंची पुलिस ने डॉक्टर से जब इसे लेकर सवाल किए तो उनके भी होश उड़ गए. पता चला कि ये लाश एलेना की है और वह इसके साथ पिछले सात सालों से रह रहे हैं.
पोस्टमार्टम में मिली अजीब चीज
पुलिस ने तुंरत डॉक्टर कार्ल को गिरफ्तार कर लिया. वहीं, लाश का जब पोस्टमार्टम करवाया गया तो शव के अंदर योनि के आकार (Vagina) की एक पेपर ट्यूब मिली. जिसके बाद यह दावा किया गया कि डॉक्टर कार्ल एलेना के शव के साथ न सिर्फ सोते थे. बल्कि, उसके मृत शरीर से वह फिजिकल रिलेशन भी बनाते थे. पुलिस ने जब उन्हें कोर्ट में पेश किया तो डॉक्टर कार्ल को इसके लिए कोई भी सजा नहीं हुई. क्योंकि उस समय इस तरह के अपराध के लिए किसी भी तरह की सजा का कोई प्रावधान ही नहीं था. किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि कोई शख्स ऐसी भी हरकत कर सकता है.
3 जुलाई 1952 को हो गई डॉक्टर की मौत
इसके बाद एलेना के शव को उनके परिजनों ने एक ऐसी जगह दफना दिया जिसके बारे में डॉक्टर कार्ल को नहीं बताया गया. उन्होंने ऐसा इसलिए किया ताकि दोबारा डॉक्टर कार्ल ऐसा कुछ न करें. फिर भी डॉक्टर कार्ल मरते दम तक एलेना की कब्र को ढूंढते रहे. फिर 3 जुलाई 1952 के दिन डॉक्टर कार्ल की भी मौत हो गई.