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महाराष्ट्र के बारामती में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाने से एक मरीज की मौत हो गई. इसके बाद पुलिस ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की खाली बोतल में पैरासिटामोल भरके बेचने वाले 4 लोगों को गिरफ्तार कर लिया और उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 308 के तहत दोषपूर्ण हत्या का मामला दर्ज किया है. इस गिरोह से लिए गए इंजेक्शन की वजह से ही उस मरीज की मौत हुई.
इस गोरखधंधे में शामिल आरोपियों की पहचान दिलीप ज्ञानदेव गायकवाड़, संदीप संजय गायकवाड भीगवान, प्रशांत सिद्धेश्वर धरत और शंकर दादा भिसे के तौर पर हुई है. इस गिरोह का एक सदस्य संदीप गायकवाड़ अस्पताल में जाकर रेमडेसिविर इंजेक्शन की खाली बोतलें इकट्ठा करता था. फिर इसके बाद ये शातिर उनमें पैरासिटामोल भर देते थे और उसे रेमडेसिविर का ओरिजनल इंजेक्शन बताकर कोरोना के मरीजों को ज्यादा दामों में बेच देते थे.
दरअसल, इस गिरोह का मास्टरमाइंड दिलीप गायकवाड़ स्वास्थ्य बीमा के लिए काम करता था, इसलिए कोरोना मरीजों के रिश्तेदार इस इंजेक्शन के बारे में उससे भी पूछताछ करते थे. गायकवाड़ ऐसे रिश्तेदारों को प्रशांत धरत और शंकर भिसे के माध्यम से 35 हजार रुपये में एक इंजेक्शन बेचता था. तालुका पुलिस ने एक गुप्त सूचना के आधार पर इन चारों को पकड़ लिया है.
आपको बता दें कि बारामती के गोरड अस्पताल मे इलाज करा रहे सतारा निवासी स्वप्निल जाधव को नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन दिए जाने के बाद उसकी मौत हो गई. पुलिस इंस्पेक्टर महेश ढवाण ने बताया कि डॉक्टर गोरड ने इस बारे में जानकारी दी तो चारों आरोपियों के खिलाफ दोषपूर्ण हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है.
अब पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि इस मामले में कोई और भी शामिल था या नहीं. इस गिरोह ने कितने लोगों को नकली इंजेक्शन दिए हैं? अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मिलिंद मोहिते ने आजतक को बताया कि पुलिस मामले की जड़ तक जाएगी और इसमें शामिल सभी लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी.