मौलाना कलीम की कुंडली के पन्ने पलटने पर पता चलता है कि वह पैगाम-ए-इंसानियत, जन्नत और जहन्नुम के नाम पर बड़े पैमाने पर लोगों का धर्म परिवर्तन करवाता था. आरोप है कि मौलाना कलीम को विदेशों से बड़े पैमाने पर धन भेजा जा रहा था.
आरोप है कि इस धन का प्रयोग कलीम धर्मांतरण के कामों में करता था. यूपी पुलिस की जांच में ये बात सामने आई है कि मौलाना कलीम अपनी तकरीरों में जन्नत का लालच और जहन्नुम का भय दिखाकर लोगों को इस्लाम स्वीकार करने के लिए प्रेरित करता था और बाद में इस्लाम में शामिल इन नए लोगों को प्रशिक्षित कर अन्य लोगों का धर्मांतिरत कराने के लिए प्रेरित करता था.
बता दें कि यूपी एटीएस ने 20 जून, 2021 को अवैध धर्मान्तरण के गिरोह को चलाने वाले कुछ लोगों को गिरफ्तार किया था. इनमें मुफ्ती काजी उमर गौतम मुख्य था. इसके अलावा इस्लामिक दावा सेंटर संस्था के अलावा महाराष्ट्र और गुजरात से भी गिरफ्तारियां की गयी. इनमें गुजरात के सलाहुद्दीन जैनुदीन शेख, रामेश्वर कावड़े उर्फ आदम उर्फ एडम, कौशर आलम, भूप्रिय बन्दो उर्फ असलान मुस्तफा शामिल थे. इन लोगों को महाराष्ट्र, झारखंड से गिरफ्तार किया गया था.
उमर गौतम को मिली थी 57 करोड़ की फंडिंग
एटीएस की तफ्तीश में पता चला है कि उमर गौतम और इसके साथियों को ब्रिटेन आधारित संस्था अल-फला ट्रस्ट से लगभग 57 करोड़ रुपये की फंडिंग की गयी थी. इसके खर्च का ब्योरा आरोपी नहीं दे सके थे.
एटीएस जांच में पता चला है कि हाजी अमीन का बेटा मौलाना कलीम मुजफ्फरनगर के फुलत का रहने वाला है. लेकिन ये ज्यादातर दिल्ली में रहता और अवैध धर्मांतरण में शामिल रहता है.
शैक्षणिक, सामाजिक व धार्मिक गतिविधियों की आड़ में धर्मांतरण
पुलिस के अनुसार शैक्षणिक, सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं की आड़ में अवैध धर्मान्तरण का कार्य देशव्यापी स्तर पर चल रहा है. इसके लिए विदेशों से भारी मात्रा में फंडिंग हो रही है. इस अवैध धन का प्रयोगकर वृहद् स्तर पर तेजी से धर्मान्तरण कराया जा रहा है. इसके लिए सुनियोजित और संगठनात्मक रूप से काम किया जा रहा है. यूपी पुलिस का कहना है कि इसमे देश के कई नामी लोग और संस्थाएं शामिल हैं.
यह भी तथ्य प्रामाणित हुए हैं कि यह भारत का सबसे बड़ा धर्मान्तरण सिंडिकेट संचालित करता है और गैर मुस्लिमों को गुमराह, भयाक्रांत कर उन्हें धर्मान्तरित करता है और फिर उन्हें भी संगठन के कार्य के लिए तैयार करता है.
लालच देकर चलाया है धर्मांतरण का रैकेट
यूपी एटीएस ने इलेक्ट्रॉनिक और ग्राउंड सर्विलांस के साथ साथ सुदृढ़ सूचना तंत्र सक्रिय कर ये पता किया है कि मौलाना कलीम जामिया इमाम वलीउल्ला नाम का एक ट्रस्ट भी संचालित करता है. आरोप है ये शख्स देश भर में सामाजिक सौहार्द्र के कार्यक्रमों की आड़ में भिन्न भिन्न प्रकार के लालच देकर अवैध धर्मान्तरण का सिंडिकेट चलाता है.
आरोप है कि कलीम सिद्दीकी अपना ट्रस्ट संचालित करने के अलावा तमाम मदरसों की फंडिंग भी करता है, जिसके लिए मौलाना कलीम को विदेशों से भारी धनराशि भेजी जाती है.
शरीयत के अनुसार 3 तलाक का फैसला
आरोप है कि धर्मांतरण के लिए मौलाना कलीम का लिखा हुआ साहित्य का प्रयोग किया जाता है. ये साहित्य प्रिंट और ऑनलाइन दोनों रूप में है. यह साहित्य इनके संस्था द्वारा निशुल्क उपलब्ध कराया जाता है. आरोप है कि मौलाना कलीम लोगों के बीच में इस राय को जागृत कर रहा था कि शरीयत के अनुसार बने कानून ही सबको न्याय दे सकते हैं.
आरोप है कि मौलाना कलीम तीन तलाक जैसे मुद्दों को शरीयत के अनुसार ही निपटाने की बात पर बल देता था. जिन संगठनों ने उमर गौतम से संबंधित ट्रस्ट 'अल एजुकेशन एयर फाउंडेशन को फंडिंग की थी. उन्हीं स्रोतों से मौलाना कलीम के ट्रस्ट जामिया इमाम वलीउल्लाह को भी नियमित रूप से भारी मात्रा में फंडिंग की गई है.
ट्रस्ट को मिले 3 करोड़ रुपये, बहरीन से आए 1 करोड़
अभी तक की जांच में मौलाना के ट्रस्ट के खाते में 1.5 करोड़ रुपये एकमुश्त बहरीन से आए और लगभग 3 करोड़ रुपये की कुल फंडिंग के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं. यूपी एटीएस के अनुसार यह भी तथ्य प्रमाणित हुए हैं कि उमर गौतम के पास से प्राप्त दस्तावेजों में जिन धर्मान्तरित व्यक्तियों का ब्योरा है, उनका निकट संबंध कलीम से भी है.
इस क्रम में दिनांक 21 सितंबर की रात्रि करीब 9 बजे मौलाना कलीम, निवासी फुलत, जिला मुजफ्फरनगर को जनपद-मेरठ से एटीएस उ.प्र. द्वारा गिरफ्तार किया था और उसे ATS मुख्यालय लाया गया है.
मेडिकल प्रवेश परीक्षा पास की, लेकिन इस्लामी संस्थान में लिया दाखिला
मौलाना कलीम मुजफ्फरनगर के फुलत का रहने वाला है. इसकी प्राथमिक शिक्षा फुलत के एक मदरसे में हुई इसके बाद पिकेट इंटर कॉलेज, खतौली से इसने विज्ञान में इंटरमीडिएट पूरा किया. मौलाना कलीम ने मेरठ कॉलेज से बीएससी किया और पीएमटी प्रवेश परीक्षा भी उत्तीर्ण की थी. इस्लामी साहित्यकारों से प्रभावित होने और इस्लामी लोगों के साथ अच्छे संबंध होने के कारण कलीम ने एमबीबीएस करने के बजाय इस्लामी संस्थान दारुल उलूम नदवतुल उलमा, लखनऊ में दाखिला लिया था.