एनसीबी के तेज़ तर्रार अफसर समीर वानखेड़े जब 2 अक्टूबर को मुंबई के कॉर्डीलिया क्रूज में नए-नए लड़के लड़कियों के पास से ड्रग्स की 10-15 गोलियां बटोर रहे थे, ठीक उससे 11 दिन पहले गुजरात में अडानी के स्वामित्व वाले मुंद्रा पोर्ट से 3000 किलोग्राम हेरोइन पकड़ी गई थी. जिसकी कीमत 21 हज़ार करोड़ रुपये बताई गई.
मुंद्रा पोर्ट से पकड़ी गई ड्रग्स नहीं बनी सुर्खियां
मुंद्रा पोर्ट से पकड़ी गई कई हजार करोड़ की हेरोइन की जांच कर रहे अफसर भले ही सुर्खियां ना बंटोर पाए हों लेकिन नई उम्र के लड़के लड़कियों के पास 10-15 गोलियां ज़ब्त करने वाले समीर वानखेड़े ज़रूर सुर्खियां बटोर रहे थे. वानखेड़े एक के बाद एक दलीलें पेश करते हुए ये साबित करने की कोशिश कर रहे थे कि आर्यन खान ना सिर्फ ड्रग्स एडिक्ट हैं, बल्कि मुल्क में चलने वाले ड्रग्स सिंडिकेट से भी उसका नाता है.
ऐसे आया समीर वानखेड़े का बुरा वक्त
मगर यह मामला एनसीबी के डायरेक्टर समीर वानखेड़े के अच्छे वक्त के पहिये का आखिरी स्टेशन था. क्योंकि इस स्टेशन के बाद उनके अच्छे वक्त के पहिए को उल्टा घुमाने का ज़िम्मा, इस मामले में समीर वानखेड़े की पोल खोलने वाले नए स्टेशन मास्टर नवाब मलिक ने अपने हाथों में ले लिया था. बस फिर क्या था पहिए ने उल्टा घूमना शुरू किया और एक-एक कर नवाब मलिक समीर वानखेड़े के अच्छे वक्त को बुरा बनाते गए.
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मंत्री नवाब मलिक ने पेश किए पुख्ता दस्तावेज
एनसीबी डायरेक्टर या एनसीपी नेता के बीच ड्रग्स के झोल से शुरू हुआ ये सियासत का खेल अब इस मोड़ पर आ गया है कि इसका अंजाम तक पहुंचना तय है. इस तरह या उस तरफ, लेकिन जिस तरह से नवाब मलिक, समीर वानखेड़े की पोल खोलने वाले एक के बाद एक दस्तावेज़ पेश करते जा रहे हैं, उससे लगता है कि ये अंजाम नहीं, आगाज़ है. वो भी एक अलग ही किस्म के फर्ज़ीवाड़े का आगाज़.
बॉम्बे हाईकोर्ट के ऑर्डर ने बदला खेल
हालत ये हो गई है कि जो समीर वानखेड़े अभी तक बॉलीवुड को अपने शिकंजे में ले रहे थे, वो अब खुद ही इस शिकंजे में जकड़ते जा रहे हैं. ड्रग्स केस में आर्यन को मिली क्लीन चिट और बॉम्बे हाईकोर्ट के बेल ऑर्डर ने पासा बिल्कुल पलट कर रख दिया है, तो बकौल बॉम्बे हाईकोर्ट अगर आर्यन बेगुनाह थे और इस मामले में उनकी गिरफ्तारी बनती ही नहीं थी, तो अब इसका हर्जाना कौन भरेगा?
नवाब मलिक के हक में हाईकोर्ट का फैसला
अकेले आर्यन का मामला होता तो शायद 'सॉरी बाबू' कहकर समीर वानखेड़े का काम चल भी जाता. लेकिन उनपर इल्ज़ाम तो नवाब मलिक के दामाद को भी फर्ज़ी तरीके से फंसाने का है. और जिस तरह सियासत और अफसरशाही की पिच पर नवाब मलिक फ्रंटफुट पर खेल रहे हैं, उससे तो लगता है नवाब मलिक पारी खत्म करके ही लौटेंगे. और तो और नवाब मलिक के हक में आ रहा बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसले भी कुछ ऐसा ही इशारा कर रहा है.