
मुंबई पुलिस ने केंद्रीय मंत्री नारायण राणे और उनके विधायक बेटे नितेश राणे के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की है. आरोप है कि केंद्रीय मंत्री ने दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की दिवंगत पूर्व मैनेजर दिशा सालियान को विभिन्न मीडिया प्लेटफॉर्म पर कथित रूप से बदनाम किया. इस संबंध में दिशा के परिवार ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी.
दिशा की मां वसंती सालियन ने महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग (MSCW) से संपर्क करने के बाद, शनिवार को खुद नारायण राणे और उनके बेटे नितेश राणे के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. जिसमें उन्होंने सोशल मीडिया समेत अन्य प्लेटफॉर्म पर उनके परिवार को बदनाम करने का आरोप लगाते हुए नारायण राणे, नितेश राणे और अन्य के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी.
वसंती सालियान ने प्राथमिकी का हवाला देते हुए कहा कि राणे ने दिशा की मौत के संबंध में कई मानहानिकारक दावे किए थे. इससे पहले महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग (MSCW) ने मुंबई पुलिस से दिशा सालियान की मौत के बारे में गलत जानकारी फैलाने वाले सोशल मीडिया अकाउंट्स को ब्लॉक करने और इस संबंध में बीजेपी से जुड़े नारायण राणे और उनके बेटे नितेश के खिलाफ भी कार्रवाई किए जाने की मांग की थी.
इससे पहले रविवार को ट्वीट्स की एक श्रृंखला में महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग (MSCW) की अध्यक्ष रूपाली चाकणकर (Rupali Chakankar) ने कहा कि मुंबई में मालवानी पुलिस (Malvani police) ने आयोग को बताया था कि सालियन की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में कहा गया है कि उसके साथ बलात्कार नहीं हुआ और वह गर्भवती नहीं थी.
नारायण राणे ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए दिवंगत दिशा सलियन की मौत को लेकर कुछ दावे किए थे. आपको बताते चलें कि 8 जून 2020 को दिशा सलियन ने उपनगरीय मलाड इलाके में एक ऊंची इमारत से कूदकर आत्महत्या कर ली थी. इसी के छह दिन बाद यानी 14 जून 2020 को सुशांत सिंह राजपूत (34) बांद्रा में अपने अपार्टमेंट में फंदे पर लटके पाए गए थे.
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मुंबई पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग (MSCW) ने मालवानी पुलिस को पत्र लिखकर नारायण राणे, नितेश और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की थी. इसके बाद पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ निम्न धाराओं में मामला दर्ज किया है-
आईपीसी की धारा 211
भारतीय दण्ड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 211 के अनुसार, अगर कोई शख्स किसी निर्दोष व्यक्ति को नुकसान या क्षति पहुंचाने के मकसद से झूठा आपराधिक आरोप लगाएगा या दांडिक कार्यवाही करेगा, तो उसका ऐसा करना जुर्म माना जाएगा.
आईपीसी की धारा 500
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 500 के मुताबिक, जो कोई शख्स किसी अन्य व्यक्ति की मानहानि करेगा, तो उसे किसी एक अवधि के लिए सामान्य कारावास की सजा हो सकती है, जिसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है. साथ ही आर्थिक दंड या दोनों ही तरह से सजा दी जा सकती है.
आईपीसी की धारा 506
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 506 के अनुसार, किसी को धमकी देना अपराध की श्रेणी में आता है. ऐसा करने वाले को दो साल की सजा हो सकती है. जुर्माना भी लगाया जा सकता है. या फिर दोनों ही तरह से सजा दी जा सकती है. यह अपराध संज्ञेय और गैर जमानती है.
आईटी एक्ट 67
इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी यानी आईटी एक्ट 2000 की धारा 67 में प्रावधान किया गया है कि अगर कोई इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से आपत्तिजनक पोस्ट करता है या फिर शेयर करता है, तो उसके खिलाफ मामला दर्ज किया जा सकता है. इसका मतलब यह है कि अगर कोई किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट करके नफरत फैलाने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ आईटी की धारा 67 के तहत कार्रवाई की जाती है.
आईटी एक्ट की धारा 67 में कहा गया है कि अगर कोई पहली बार सोशल मीडिया पर ऐसा करने का दोषी पाया जाता है, तो उसे तीन साल की जेल हो सकती है. साथ ही 5 लाख रुपये का जुर्माना भी देना पड़ सकता है. इतना ही नहीं, अगर ऐसा अपराध फिर दोहराया जाता है, तो मामले के दोषी को 5 साल की जेल हो सकती है और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है.