सुरक्षा बलों का नक्सलियों के खिलाफ अभियान लगातार जारी है. छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में एक आईईडी विस्फोट के बाद 15 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें सात महिला नक्सली शामिल हैं. वहीं, महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में 6 लाख रुपए के एक इनामी नक्सली ने सरेंडर कर दिया है.
दंतेवाड़ा की पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) उन्नति ठाकुर ने बताया कि नक्सलियों को गीदम पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत गुमलनार गांव के पास से पकड़ा गया है. यहां राज्य पुलिस की दोनों इकाइयों जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) और बस्तर फाइटर्स की एक संयुक्त टीम रविवार को तलाशी अभियान पर निकली थी.
डीएसपी ने बताया कि गिरफ्तार किए गए अधिकांश नक्सली प्रतिबंधित सीपीआई के फ्रंटल संगठनों में सक्रिय थे. गश्ती दल ने शनिवार को गुमलनार और मुस्तलनार गांवों के जंगल में अभियान शुरू किया था. रविवार शाम 4.30 बजे सुरक्षाकर्मियों को निशाना बनाने के लिए आईईडी विस्फोट किया गया.
हालांकि, इसविस्फोट में सुरक्षाकर्मियों को कोई नुकसान नहीं हुआ. विस्फोट के बाद कुछ संदिग्धों को मौके से भागने की कोशिश करते देखा गया, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने पीछा किया और उनमें से 15 को पकड़ लिया. पकड़े गए नक्सली सुरक्षाकर्मियों को निशाना बनाने के लिए जंगल में छिपे हुए थे.
उनके कब्जे से एक आईईडी, बिजली के तार, डेटोनेटर, एक स्टील टिफिन बॉक्स, माओवादी पर्चे, साहित्य, वर्दी और दैनिक उपयोग की वस्तुएं बरामद की गई हैं. गिरफ्तार नक्सलियों को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन सभी को कोर्ट ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.
6 लाख रुपए के इनामी नक्सली ने किया सरेंडर
महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में छह लाख रुपए के इनामी नक्सली गणेश गट्टा पुनेम (35) ने मंगलवार को पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. वो छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले का रहने वाला है. उसने पुलिस उप महानिरीक्षक (संचालन) जगदीश मीना के सामने आत्मसमर्पण किया है.
नक्सली गणेश गट्टा पुनेम को साल 2017 में भामरमगढ़ एलओएस के साथ आपूर्ति टीम के सदस्य के रूप में भर्ती किया गया था. साल 2018 में उसकी सक्रियता को देखते हुए उसके संगठन ने डिप्टी कमांडर के रूप में पदोन्नत कर दिया. इसके बाद वो छत्तीसगढ़ से महाराष्ट्र तक सक्रिय हो गया.
साल 2017 और 2022 में बीजापुर के मिरतुर और तिम्मेनार में हुए नक्सल-पुलिस मुठभेड़ में उसने अहम भूमिका निभाई थी. उसने सरेंडर के बाद पुलिस को बताया कि चिकित्सा सुविधाओं की कमी और वरिष्ठ नक्सलियों के द्वारा पैसों के दुरुपयोग से वो दुखी था. इसलिए उनका साथ छोड़ दिया.
बताते चलें कि सरेंडर करने वाले नक्सली को राज्य और केंद्र की पुनर्वास नीति के तहत 5 लाख रुपए मिलते हैं. पिछले दो वर्षों में 14 बड़े नक्सलियों ने सुरक्षा बलों के सामने सरेंडर किया है. ऐसे सभी नक्सलियों को समाज की मुख्यधारा में शामिल होने में पुलिस आवश्यक सहायता करती है.