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बस्तर: निको-जायसवाल खदान पर नक्सली हमला, दो श्रमिकों की मौत, कई मजदूरों को बनाया बंधक

नारायणपुर-ओरछा मार्ग स्थित आमदई खदान पर शनिवार की सुबह साढ़े दस बजे बड़ी संख्या में नक्सली पहुंचे और खदान की सुरक्षा के लिए बनाए गये फोर्स के कैम्प पर गोलीबारी शुरू कर दी.

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सांकेतिक तस्वीर.
सांकेतिक तस्वीर.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पहले भी हो चुका है खदान और कैम्प का विरोध
  • दो मजदूरों की गई जान
  •  सुपरवाइजर समेत कई मजदूरों को बनाया बंधक

छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में नक्सलियों ने निको-जायसवाल खदान पर हमला कर दिया. इस हमले में दो श्रमिकों की मौत हो गई. नक्सलियों ने सुपरवाइजर समेत कई मजदूरों को बंधक बना लिया है. बताया जा रहा कि नारायणपुर जिला मुख्यालय से 52 किमी दूर छोटेडोंगर क्षेत्र के निको-जायसवाल कंपनी के आयरन ओर खदान में नक्सलियों ने हमला कर दिया.

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नारायणपुर-ओरछा मार्ग स्थित आमदई खदान में शनिवार की सुबह साढ़े दस बजे बड़ी संख्या में नक्सली पहुंचे और खदान की सुरक्षा के लिए बनाए गये फोर्स के कैम्प पर गोलीबारी शुरू कर दी. इस दौरान खदान में काम कर रहे दो श्रमिकों की गोली लगने से मौत हो गई. जिस वक्त नक्सलियों ने अटैक किया वहां सौ से अधिक मजदूर काम कर रहे थे.

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक एक दोनों श्रमिकों के शव को अब तक फोर्स अपने कब्जे में नहीं ले सकी है. नक्सलियों ने खदान के उपयोग में आने वाली 6 पोकलेन मशीन में भी आग लगा दी. वहीं, खदान के सुपरवाइजर समेत कई मजदूरों को नक्सलियों ने बंधक बना लिया. खबर लिखे जाने तक फोर्स और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ जारी है. जिले के एडीशनल एसपी नीरज चंद्राकर ने इस घटना की पुष्टि की है. उन्होंने बताया, दोपहर 12 बजे छोटेडोंगर से बैकअप पार्टी को भेजा गया है. मारे गए मजदूरों की शिनाख्त अब तक नहीं हो पाई है.

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पहले भी हो चुका है खदान और कैम्प का विरोध

आमदई स्थित आयरन ओर खदान बहुत लंबे समय से निको जायसवाल कंपनी को आवंटित की गई थी. यहां काम  अब तक शुरू नहीं हो सका है. इस साल के अंत तक इस खदान को शुरू किए जाने की संभावना है, जिसके लिए यहां सडक़ बनाने व अन्य काम जारी है. खदान के लिए चल रहे काम की सुरक्षा में यहां कैम्प भी बनाया गया है. इसी साल जनवरी माह में करीब 10 से 12 हजार ग्रामीणों ने खदान और कैम्प के विरोध में यहां प्रदर्शन किया था. दस साल पहले भी नक्सलियों ने इसी खदान में काम कर रहे दो सुपरवाइजर की हत्या कर दी थी.

(बस्तर से धर्मेन्द्र महापात्र के इनपुट के साथ)

 

 

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