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BNSS: ऐसे शख्स को विरोध करने या अवहेलना करने पर हिरासत में ले सकती है पुलिस

BNSS: यह प्रावधान पुलिस अधिकारी को ऐसे व्यक्ति को हिरासत में लेने और मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने या मामूली मामलों में व्यक्ति को 24 घंटे के भीतर जल्द से जल्द रिहा करने की अनुमति देता है.

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पहली जुलाई से देश में नए कानून लागू हुए हैं
पहली जुलाई से देश में नए कानून लागू हुए हैं

BNSS: देशभर में सोमवार को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) वजूद में आ गई. जिसके मुताबिक, पुलिस अधिकारी ऐसे व्यक्ति को हिरासत में ले सकता है जो संज्ञेय अपराध को रोकने के लिए दिए गए कानूनी निर्देशों का विरोध करता है या उनकी अवहेलना करता है.

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ब्रिटिश काल की दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) की जगह लेने वाले बीएनएसएस ने 'पुलिस की निवारक कार्रवाई' में धारा 172 के रूप में एक नया प्रावधान पेश किया है. पीटीआई के मुताबिक, जिसमें कहा गया है कि लोगों को संज्ञेय अपराध को रोकने के लिए जारी किए गए पुलिस के निर्देशों का पालन करना चाहिए.

यह प्रावधान पुलिस अधिकारी को ऐसे व्यक्ति को हिरासत में लेने और मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने या मामूली मामलों में व्यक्ति को 24 घंटे के भीतर जल्द से जल्द रिहा करने की अनुमति देता है. बीएनएसएस के तहत पुलिस अधिकारियों को गैरकानूनी भीड़ को तितर-बितर करने के लिए कार्यकारी मजिस्ट्रेट के आदेश पर कर्तव्यों का पालन करने में लापरवाही के मामलों में छूट दी गई है.

ऐसे मामलों में सरकार की मंजूरी के बिना पुलिस अधिकारियों पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता. अधिकारियों ने बताया कि बीएनएसएस के खंड 58 के तहत पुलिस कर्मी अब गिरफ्तार व्यक्ति को 24 घंटे के भीतर किसी भी मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश कर सकते हैं, भले ही न्यायिक अधिकारी के पास क्षेत्राधिकार न हो. खंड 53 के तहत यह भी प्रावधान किया गया है कि गिरफ्तार व्यक्ति की जांच करने वाला चिकित्सक यदि उचित समझे तो एक और चिकित्सा जांच कर सकता है.

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पुलिस द्वारा गिरफ्तारी प्रावधानों का दुरुपयोग करने के लिए बीएनएसएस खंड 37/बी के तहत राज्य सरकारों पर एक अतिरिक्त दायित्व डाला गया है कि वे एक पुलिस अधिकारी को नामित करें जो सभी गिरफ्तारियों और गिरफ्तार लोगों के बारे में जानकारी रखने के लिए जिम्मेदार होगा. प्रत्येक पुलिस थाने और जिला मुख्यालय में जानकारी को प्रमुखता से प्रदर्शित करना होगा. 

नए आपराधिक कानून में पुलिस अधिकारी के लिए तीन साल से कम कारावास की सजा वाले अपराधों और आरोपी के अशक्त या 60 वर्ष से अधिक आयु के होने के मामले में पुलिस उपाधीक्षक या उससे ऊपर के रैंक के अधिकारी से अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है. गिरफ्तारी से संबंधित सूचना अब रिश्तेदार या मित्र की वर्तमान व्यवस्था के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को भी दी जा सकती है. 

एक अधिकारी ने कहा कि गिरफ्तार व्यक्ति की गिरफ्तारी के बारे में सूचित किए जाने वाले व्यक्तियों की श्रेणी का विस्तार करके इसमें किसी रिश्तेदार या मित्र को सूचित करने से संबंधित मौजूदा प्रावधानों के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को भी शामिल किया गया है.

बीएनएसएस के खंड 48/3 में यह अनिवार्य किया गया है कि गिरफ्तारी के बारे में किसे सूचित किया गया है, इस तथ्य की प्रविष्टि पुलिस थाने में रखी जाने वाली पुस्तक में राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले प्रारूप में की जाएगी.

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