महाराष्ट्र सरकार के स्वास्थ्य विभाग में नौकरी दिलाने का झांसा देकर लोगों से 8 लाख रुपए की ठगी के आरोप में नागपुर में दो लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. पीड़ितों में से एक ने अजनी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी. पीड़ित की तहरीर के आधार पर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहस केस दर्ज किया है. इस मामले की जांच की जा रही है.
पुलिस ने आरोपियों की पहचान नागपुर के अजनी क्वार्टर निवासी संजय गुलाबराव अकोटकर (55) और अमरावती जिले के वरुद निवासी नीलेश पुरुषोत्तम नानोटकर (52) के रूप में की है. उनके खिलाफ शिकायत 53 वर्षीय नागपुर निवासी ने दर्ज कराई थी. पुलिस के अनुसार निजी क्षेत्र में काम करने वाले शिकायतकर्ता को दिसंबर 2012 में श्रवण चिरकूट राउत नामक व्यक्ति ने अकोटकर से मिलवाया था.
आरोपी संजय गुलाबराव अकोटकर ने दावा किया कि वो एक शीर्ष रैंकिंग वाला चिकित्सा अधिकारी है. वो शिकायतकर्ता की पत्नी को राज्य स्वास्थ्य विभाग में क्लर्क की नौकरी दिला सकता है. उसने नौकरी दिलाने के लिए 7 लाख रुपए की मांग की थी. 50 हजार रुपए की अग्रिम राशि के साथ उम्मीदवार के शैक्षिक दस्तावेज मांगे थे. शिकायतकर्ता ने अग्रिम राशि के साथ 3 लाख रुपए नकद दिए थे.
पुलिस ने बताया कि मार्च 2015 में शिकायतकर्ता की पत्नी ने एक परीक्षा दी. इसके बाद में उसे व्हाट्सएप के जरिए से एक फर्जी नियुक्ति पत्र मिला. वो जब बताए गए पते पर नौकरी के लिए पहुंची, तो सच्चाई का पता चला. उसकी तरह दो और लोगों को स्वास्थ्य विभाग में नौकरी दिलाने के झूठे वादे पर आरोपियों ने धोखा दिया था. तीनों से ली गई कुल राशि 7.95 लाख रुपए थी.
बताते चलें कि इसी तरह का ठगी का एक मामला महाराष्ट्र के पालघर में भी सामने आया था. यहां नौकरी का झांसा देकर लाखों रुपए की ठगी की गई थी. आरोपियों ने चार लोगों को कस्टम विभाग में नौकरी दिलाने का झांसा दिया और उनसे 12.2 लाख रुपये ठग लिए. आरोपी योगेश मनवर ने साल 2022 से मार्च 2023 के बीच चार लोगों से संपर्क किया. उन्हें सरकारी नौकरी का झांसा दिया था.
नौकरी की उम्मीद में इन लोगों ने आरोपी को कुल 12.2 लाख रुपए दे दिए. आरोपी ने पीड़ितों को फर्जी आईडी कार्ड और जाली दस्तावेज भी दिए, जिससे उन्हें लगा कि वे सच में कस्टम विभाग में भर्ती हो चुके हैं. शुरुआत में पीड़ितों को लग रहा था कि उन्हें जल्द कस्टम विभाग में नियुक्ति मिल जाएगी, लेकिन महीनों बीतने के बाद भी नौकरी का कोई अता-पता नहीं लगा. पैसे भी वापस नहीं किए.
इसके बाद आरोपियों को एहसास हुआ कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई है. इसके बाद उन्होंने मामले की शिकायत पुलिस से की गई. पुलिस ने पीड़ितों की शिकायत के आधार पर आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत केस दर्ज किया. अभी तक आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है. पुलिस इस मामले की जांच कर रही है और आरोपी की तलाश में जुटी हुई है.