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मठ की संपत्ति पर विवाद से लेकर ऑस्ट्रेलिया में छेड़छाड़ तक.... आनंद गिरि का विवादों से है पुराना नाता!

महंत और उनके शिष्य स्वामी आनंद गिरि के बीच का विवाद काफी चर्चाओं में रहा था. आनंद गिरि पर गंभीर आरोप लगे थे. जिसके बाद उन्हें निरंजनी अखाड़े से निष्कासित कर दिया गया था.

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स्टोरी हाइलाइट्स
  • कम उम्र में आनंद गिरि ने ले लिया था सन्यास
  • हनुमान मंदिर के छोटे महंत थे आनंद गिरि
  • महंत नरेंद्र गिरि के प्रिय शिष्य माने जाते थे

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की मौत के बाद उनके शिष्य आनंद गिरि का नाम अचानक सुर्खियों में आ गया. जिसकी वजह है महंत का वो सुसाइड नोट, जो पुलिस ने मौका-ए-वारदात से बरामद किया है.

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पुलिस के मुताबिक उस सुसाइड नोट में महंत नरेंद्र गिरि ने आनंद समेत अपने कई शिष्यों का जिक्र किया है. आनंद गिरि का नाम हमेशा विवादों से घिरा रहा. माना जा रहा है कि महंत नरेंद्र गिरि अपने शिष्य के क्रिया कलापों से बेहद दुखी थे.

पुलिस ने बताया कि अपने 7 पेज के सुसाइड नोट में महंत ने मानसिक रूप से परेशान होने की बात कही है. दरअसल, महंत और उनके शिष्य स्वामी आनंद गिरि के बीच का विवाद काफी चर्चाओं में रहा था. आनंद गिरि पर गंभीर आरोप लगे थे. जिसके बाद उन्हें निरंजनी अखाड़े से निष्कासित कर दिया गया था. आनंद गिरी संगम में लेटे हनुमान मंदिर के छोटे महंत हुआ करते थे. उन्हें महंत नरेंद्र गिरि का प्रिय शिष्य माना जाता था. आनंद गिरि को मंदिर से जुड़े कई अधिकार भी हासिल थे. लेकिन संत परंपरा का निर्वहन न करने की वजह से उन्हें इसी साल निष्काषित कर दिया गया था.

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इसके बाद आनंद गिरि ने अपने गुरु महंत नरेंद्र गिरी पर तमाम तरह के आरोप लगाए थे. जिसका उत्तर देते हुए महंत ने भी आनंद पर गंभीर आरोप लगाकर सनसनी फैला दी थी. दरअसल, आनंद गिरि का विवादों से पुराना नाता रहा है. कुछ मामले तो ऐसे थे, जिनकी वजह से आनंद गिरि का नाम सुर्खियों में छाया रहा. उन मामलों की वजह से ही महंत नरेंद्र गिरि और आनंद के बीच दूरी बढ़ती गई. आरोप था कि आनंद संत समाज के नियमों का उल्लंघन करते रहे. जो महंत के लिए परेशानी का सबब बन गया था.

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आस्ट्रेलिया में दो महिलाओं से छेड़छाड़, मारपीट 
यह मामला साल 2016 और 2018 से जुड़ा है. उस वक्त आनंद गिरि महंत के विश्वासपात्र हुआ करते थे. वे आस्ट्रेलिया गए हुए थे. तभी उन पर होटल के कमरे में दो महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और महिलाओं से मारपीट के आरोप लगे थे. उनके खिलाफ महिलाओं ने शिकायत भी दर्ज कराई थी. इसके बाद आनंद गिरि को वहां गिरफ्तार कर लिया गया था. पुलिस ने उन्हें जेल भेज दिया था. इस घटना से आनंद गिरी के चरित्र पर सवाल खड़े हो गए थे.

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बाद में उन्हें महंत नरेंद्र गिरि के दखल और वकीलों की मदद से रिहा कराया गया था. लेकिन इस घटना की वजह से महंत नरेंद्र गिरि, मंदिर और बाघंबरी मठ की छवि को बहुत नुकसान हुआ था. महंत नरेंद्र गिरी इस घटना से काफी आहत थे. इसी मामले में छूट जाने के बाद आनंद ने अपने गुरु महंत नरेंद्र गिरि पर उन्हें छुड़ाने के लिए कई अमीर लोगों से 4 करोड़ रुपये वसूल करने का आरोप लगाया था.

विमान में शराब के ग्लास के साथ फोटो
यह मामला अक्टूबर 2020 का है. जिसका ताल्लुक एक तस्वीर से था. दरअसल, उस वक्त आनंद गिरि की एक फोटो वायरल हो गई थी. जिसमें वह एक विमान की बिजनेस क्लास में बैठे नजरआ रहे थे. उनके सामने होल्डर पर शराब से भरा एक ग्लास रखा था. इस तस्वीर के वायरल हो जाने पर आमजन और मठ से जुड़े लोगों ने काफी एतराज जताया था. इसके बाद आनंद गिरि धार्मिक लोगों के निशाने पर आ गए थे. हर तरफ लोग उनकी बुराई कर रहे थे. इस बात से परेशान होकर आनंद गिरि ने सफाई देते हुए कहा था कि उस ग्लास में शराब नहीं एप्पल जूस था. तस्वीर को वायरल करना उन्हें बदनाम करने की साजिश थी. 

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चोरी का इल्जाम
इसी साल महंत नरेंद्र गिरी ने आनंद गिरि पर चोरी का गंभीर इल्जाम लगाया था. आनंद पर आरोप था कि वो संत परंपरा के खिलाफ अपने परिवार से संबंध रखते थे. प्रयागराज में संगम किनारे बने लेटे हनुमान मंदिर में जो चढ़ावे का पैसा आता है, आनंद वो अपने परिवार पर खर्च करते रहे. इसी आरोप के बाद आनंद को अखाड़े से निकाल दिया गया था. निकाले जाने के बाद आनंद गिरि ने अपने गुरु महंत नरेंद्र गिरी पर पलटवार किया था. और उन पर कई आरोप जड़ दिए थे. उस वक्त महंत नरेंद्र गिरी ने कहा था कि आनंद के खिलाफ की गई कार्रवाई एक दिन का नतीजा नहीं है. बल्कि लगातार उनकी निगरानी की जा रही थी. 

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आनंद ने महंत से पैर पकड़कर मांगी थी माफी
इसी साल मई में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि और उनके शिष्य आनंद गिरि के बीच विवाद उस वक्त थम गया था, जब आनंद गिरि ने अपने गुरु महंत नरेंद्र गिरी के पैर पकड़कर माफी मांग ली थी. इसके साथ ही आनंद गिरी ने निरंजनी अखाड़े के पंच परमेश्वर से भी माफी मांगी थी. दोनों के बीच सुलह हो जाने के बाद महंत नरेंद्र गिरि ने आनंद पर मठ और प्रयागराज के हनुमान मंदिर में आने पर लगाई गई पाबंदी हटा दी थी.

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इस दौरान अखाड़े की संपत्ति, करोड़ों की जमीनों की खरीद फरोख्त जैसे कई मामलों को लेकर महंत और आनंद के बीच आरोप पत्यारोप का दौर चला था. यहां तक कि आनंद ने एक बार उनके आचरण पर भी सवाल खड़े कर दिए थे. इस पूरे घटनाक्रम को लेकर महंत नरेंद्र गिरि परेशान चल रहे थे. इसी बात का जिक्र उन्होंने अपने सुसाइड नोट में किया है.

 

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