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ना जुबान चढ़ी, ना आंखें तो फांसी कैसे? महंत नरेंद्र गिरि की मौत पर निरंजनी अखाड़े ने उठाया सवाल

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष पद का निर्णय 16 दिन बाद ही होगा. यानी सोष्ठी के बाद होगा. रविंद्र पुरी का कहना है कि महंत के कथित सुसाइड नोट में बलवीर गिरि लिखा है, जबकि वह गिरि नहीं पुरी हैं. महंत नरेंद्र गिरि ऐसी गलती नहीं कर सकते.

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महंत एक कमरे में फांसी के फंदे पर झूलते पाए गए थे
महंत एक कमरे में फांसी के फंदे पर झूलते पाए गए थे
स्टोरी हाइलाइट्स
  • निरंजनी अखाड़े के रविंद्र पुरी ने मौत पर उठाया सवाल
  • 'आज तक' से खास बातचीत में सुसाइड नोट पर जताई शंका
  • अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष का फैसला 16 दिन बाद

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की मौत को लेकर साधु संतों के बयान लगातार आ रहे हैं. इस मामले पर निरंजनी अखाड़ा के रविंद्र पुरी ने 'आज तक' से बात करते हुए बड़ा बयान दिया है. रविंद्र पुरी ने कहा कि फांसी में सिर के पीछे चोट कैसे हो सकती है? ना जुबान चढ़ी, न आंखें.. तो ये फांसी कैसे हो सकती है.

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निरंजनी अखाड़ा के रविंद्र पुरी ने 'आज तक' के साथ खास बातचीत के दौरान कहा कि जो सुसाइड नोट मिला है, वह उनके (महंत नरेंद्र गिरि) द्वारा नहीं लिखा गया है. इस मामले की जांच होनी चाहिए. ऐसा लगता है किसी बीए पास लड़के ने यह पत्र लिखा है. इस संबंध में अखाड़ा अपने स्तर से भी जांच कर रहा है.

पुरी ने बताया कि महंत के निधन पर अखाड़े में भी 7 दिन का शोक जारी है. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष पद का निर्णय 16 दिन बाद ही होगा. यानी सोष्ठी के बाद होगा. रविंद्र पुरी का कहना है कि महंत के कथित सुसाइड नोट में बलवीर गिरि लिखा है, जबकि वह गिरि नहीं पुरी हैं. महंत नरेंद्र गिरि ऐसी गलती नहीं कर सकते.

से भी पढ़ें-- 'लड़की संग फोटो वायरल कर बदनाम करेगा आनंद गिरि' सामने आया महंत नरेंद्र गिरि का सुसाइड नोट

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बता दें कि महंत नरेंद्र गिरि निरंजनी अखाड़े के मढ़ी मुल्तानी से थे. इस मढ़ी के सभी साधु संतो के नाम के पीछे पुरी ही लगता है. यह बाघंबरी गद्दी मढ़ी मुल्तानी का स्थान नहीं था. जिसकी वजह से महंत नरेंद्र पुरी जी को यहां का महंत बनने के बाद महंत नरेंद्र गिरी के नाम से जाना गया.

मढ़ी मुल्तानी के सभी साधु जिनका नाम सुसाइड नोट में लिखा है, वे सभी पुरी हैं. जबकि सुसाइड नोट में सभी के नाम के पीछे गिरि लिखा गया  है. जो शक पैदा करता है. नरेंद्र गिरि दूसरी मंजिल पर रहते थे. तो उस दिन विश्राम के लिए गेस्ट हाउस के कमरे में क्यों गए. वह फांसी अपने कमरे में भी लगा सकते थे.

अब, अखाड़ा परिषद के महासचिव महंत हरी गिरी महाराज हैं, उन्होंने बलवीर गिरि के नाम पर सवाल उठाया है. रविंद्र पुरी ने 'आज तक' को बताया कि ऐसे कैसे वो बन जाएंगे अध्यक्ष? यह फैसला अखाड़े का है, सर्वसम्मति से निर्णय लिया जाएगा.

 

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