सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगा दी है. उन पर गुजरात के जामनगर में भड़काऊ गीत का संपादित वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट करने का आरोप है. जस्टिस अभय एस ओका और उज्जल भुइयां की पीठ ने उनके द्वारा दायर अपील पर गुजरात सरकार और शिकायतकर्ता किशनभाई दीपकभाई नंदा को नोटिस जारी किया है.
कांग्रेस के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष इमरान प्रतापगढ़ी ने गुजरात हाई कोर्ट के 17 जनवरी के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया था कि जांच अभी शुरुआती चरण में है. 3 जनवरी को उन पर जामनगर में एक भड़काऊ गीत गाने के लिए केस दर्ज किया गया था.
इस मामले में इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 196 (धर्म, जाति आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 197 (राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकार) के तहत केस दर्ज किया गया है. उनके द्वारा एक्स पर अपलोड की गई 46 सेकंड की वीडियो क्लिप में वो हाथ हिलाते हुए चलते दिखाई दिए हैं. उन पर फूल बरसाए जा रहे हैं.
वीडियो की पृष्ठभूमि में एक गाना बज रहा था, जिसके बारे में एफआईआर में आरोप लगाया गया कि इसके बोल भड़काऊ, राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले हैं. वीडियो को प्रसारित करने से दस या उससे अधिक लोगों के समूह को हिंसा करने के लिए प्रोत्साहित किया गया, जो बीएनएस की धारा 57 के तहत अपराध है.
इमरान प्रतापगढ़ी ने सामूहिक विवाह समारोह में शामिल होने के 3 दिन बाद 2 जनवरी को वीडियो ट्वीट किया गया. इस वीडियो पर एक्स यूजर्स ने तीखी टिप्पणियां की थी. इमरान के साथ अल्ताफ खफी और समारोह का आयोजन करने वाले संजारी एजुकेशन एंड चैरिटेबल ट्रस्ट पर मामला दर्ज किया गया है. इसके तहत 7 साल तक की जेल की सजा हो सकती है.