हरियाणा के पलवल में 2018 में एक ही दिन में हुई 6 हत्याओं के मामले में, पूर्व फौजी को सुनाई गई मौत की सजा को कोर्ट ने बरकरार रखा है. कोर्ट ने आरोपी की पागलपन की दलील को खारिज कर दिया. आरोपी पूर्व फौजी नरेश धनखड़ ने दो घंटे के भीतर लोहे की रॉड से 6 लोगों का मर्डर कर दिया था. पलवल कोर्ट ने पागलपन की दलील को खारिज करते हुए कहा कि 2001 में हुआ मनोविकृति के इलाज की दलील प्रासंगिक नहीं है, क्योंकि नरेश धनखड़ को चिकित्सकीय रूप से फिट घोषित किया गया था और वह सरकारी सेवा में एसडीओ के रूप में काम कर रहा था.
खौफ से मार्निंग वॉक पर नहीं जाते थे लोग
कोर्ट ने कहा, 'यह सब जानते हैं कि पलवल के लोगों ने कई दिनों तक मॉर्निंग वॉक पर जाना बंद कर दिया था. स्कूल जाने वाले बच्चे कई दिनों तक अपने स्कूल जाने से डरते थे. इस प्रकार दोषी ने न केवल सामूहिक चेतना को झटका दिया, बल्कि उसने पलवल और पूरे देश के नागरिकों के बीच आतंक पैदा कर दिया. पलवल के नागरिक अभी भी दोषी द्वारा की गई खौफनाक हत्याओं को याद कर सिहर उठते हैं.'
आरोपी था पूर्व फौजी
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रशांत राणा ने अपने आदेश में यह भी कहा कि,'दोषी एक प्रशिक्षित सैन्य अधिकारी था, जिसकी ट्रेनिंग सरकारी पैसे से हुई थी. उसे देश और उसके नागरिकों की रक्षा करने के लिए प्रशिक्षित किया गया था, न कि उन्हें बेरहमी से मारने के लिए. दोषी को सेना की घातक प्लाटून में प्रशिक्षित किया गया था. घातक प्लाटून, या घातक कमांडो भारतीय सेना की एक विशेष पैदल सेना बटालियन है ... दोषी ने सेना के इस विशेष विंग में कमांडो प्रशिक्षण प्राप्त किया था, लेकिन दोषी ने निर्दोष और असहाय नागरिकों पर उक्त प्रशिक्षण का इस्तेमाल किया.'
कोर्ट ने कही बड़ी बात
अदालत ने बचाव पक्ष के वकील की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि धनखड़ के पास 6 पीड़ितों को मारने का कोई मकसद नहीं था. न्यायाधीश ने निर्भया केस, निठारी केस, साइको शंकर केस, साइनाइड मोहन और चंद्रकांत झा मामलों का हवाला दिया, जहां हत्यारों ने बिना किसी मकसद के कई हत्याएं की थीं. अदालत ने कहा, 'हर कोई समय-समय पर मानसिक और भावनात्मक रूप से परेशान महसूस करता है, लेकिन यह साथी इंसानों को मारने का कोई लाइसेंस नहीं देता है.'
पुलिसकर्मियों की तारीफ
न्यायाधीश ने उन पुलिस कर्मियों के लिए वीरता पुरस्कारों की भी सिफारिश की है, जिन्होंने हत्याकांड की रात धनखड़ को गिरफ्तार किया था और वह घायल हुए थे. अदालत ने एसएचओ अश्विनी कुमार और सब-इंस्पेक्टर जय राम द्वारा तत्काल एक्शन लेने की सराहना की. इसके साथ ही कोर्ट ने एएसआई राजेश, सब-इंस्पेक्टर मोहम्मद इलियास, हेड कांस्टेबल संदीप, एएसआई रामदिया, कांस्टेबल लुकमान और एसपीओ हर प्रसाद के काम की भी तारीफ की, जिन्होंने लोहे की रॉड से कई वार करने के बाद भी बिना किसी अतिरिक्त बल का जोखिम उठाए आरोपी को पकड़ लिया.