वायनाड में राहुल गांधी के कार्यालय में 24 जून को स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) के कार्यकर्ताओं ने जमकर तोड़फोड़ की थी. इस मामले में पुलिस ने सोमवार को चौंकाने वाला खुलासा किया. पुलिस ने दावा किया कि कांग्रेस सांसद के दफ्तर में महात्मा गांधी की तस्वीर को किसी और ने नहीं बल्कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने ही तोड़ी थी. एडीजीपी मनोज अब्राहम ने गृह सचिव को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है.
SFI के कार्यकर्ता सुप्रीम कोर्ट पर्यावरण को लेकर दिए फैसले राहुल गांधी के विचार जानना चाहते थे लेकिन उन्होंने उस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी. इससे SFI के कार्यकर्ता उनसे नाराज हो गए थे और उन्होंने उनके खिलाफ प्रदर्शन किया था. इस सिलसिल में वह राहुल गांधी के ऑफिस पहुंच गए थे और वहां जमकर तोड़फोड़ की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने यह दिया था आदेश
पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण को लेकर बड़ा फैसला सुनाया था. उस फैसले में स्पष्ट कर दिया गया कि संरक्षित वनों, वन्यजीव अभयारण्यों के आसपास का एक किलोमीटर वाला पूरा इलाका पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र (ESZ) रहने वाला है. ESZ के जो भी तमाम गतिविधियां होती रहती हैं, उन्हें नियंत्रित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला सुनाया.
केरल में विवाद इस बात को लेकर है कि अगर ये नियम वहां सख्ती से लागू कर दिया जाता है तो पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र में रह रहे लोगों का क्या होगा, वो कहां पर जाएंगे
हमले के 7 दिन बाद वायनाड आए राहुल
राहुल गांधी कार्यालय में हमले की घटना के सात दिन बाद यानी 1 जुलाई को वायनाड आए थे. यहां उन्होंने वहां इको सेंसेटिव जोन का मुद्दा उठाया था. उन्होंने कहा था हमें ऐसा बफर जोन नहीं चाहिए, जिसमें रिहायशी इलाके शामिल हों.
उन्होंने कहा कि पिछले साल जब वायनाड वन्यजीव अभ्यारण के आस-पास इको सेंसेटिव जोन की सीमांकन किया जा रहा था, उस समय मैंने पर्यावरण मंत्रालय से स्थानीय समुदायों की चिंताओं को दूर करने के लिए आग्रह किया था. मैंने सीएम से भी कहा था कि इको सेंसेटिव जोन को कम करने के लिए मंत्रालय से संपर्क कर सकते हैं लेकिन एक महीने बाद भी केरल सरकार ने अभी कोई कदम नहीं उठाया.
पीएम मोदी पर साधा था निशाना
वायनाड में राहुल गांधी ने यह भी कहा था कि जिस तरह से पीएम नरेंद्र मोदी सोचते हैं कि पांच दिन तक ईडी के सामने पेश कराकर वह मुझे डरा देंगे लेकिन यह उनकी गलतफहमी है. उसी तरह सीपीआई (एम) यह सोचती है कि वह मेरा ऑफिस तोड़कर मेरा मुझे डरा देगी.
उन्होंने कहा था कि भले ही यह कार्यालय मेरा है लेकिन मुझसे पहले यह वायनाड के लोगों का कार्यालय है. वहां जो हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण है. हिंसा से कभी समस्या का समाधान नहीं होता. ऐसा करने वाले लोगों ने गैर-जिम्मेदाराना तरीका अपनाया.
उन्होंने एसएफआई या सीपीआई (एम) का जिक्र करते हुए कहा कि मेरे मन में उनके लिए कोई गुस्सा या दुश्मनी नहीं है. वे बच्चे हैं लेकिन उन्होंने जो किया, वे उसके परिणाम को नहीं समझते.
(इनपुट-Shibimol)