जयपुर में एक पुलिस अफसर को रिश्वत में युवती से अस्मत मांगने के मामले में एसीबी ने गिरफ्तार किया है. रविवार को आरपीएस अफसर कैलाश बोहरा को ऑफिस में आपत्तिजनक हालत में एसीबी ने पकड़ लिया. दुष्कर्म केस की जांच के बहाने आरोपी अफसर 30 साल की पीड़िता को बार-बार ऑफिस बुलाता था. पहले उसने जांच के लिए रिश्वत मांगी, आरोप है कि बाद में उसने पीड़िता से अस्मत मांग कर उसे परेशान करना शुरू कर दिया. परेशान होकर पीड़िता ने एसीबी से पूरे मामले की शिकायत की.
RPS अफसर का नाम कैलाश बोहरा है. वह जयपुर शहर (पूर्व) जिले की महिला अत्याचार अनुसंधान यूनिट में बतौर प्रभारी सहायक पुलिस आयुक्त तैनात है. 6 मार्च को युवती ने कैलाश बोहरा के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी. इसमें बताया था कि उसने जवाहर सर्किल थाने में एक युवक व अन्य लोगों के खिलाफ बलात्कार, धोखाधड़ी सहित 3 मुकदमे दर्ज करवाए थे. इन मुकदमों की जांच महिला अत्याचार अनुसंधान यूनिट में एसीपी कैलाश बोहरा कर रहे हैं.
पीड़ित युवती का आरोप है कि तीनों मुकदमों में कार्रवाई की एवज में जांच अधिकारी कैलाश बोहरा ने पहले उससे रिश्वत मांगी. जब उसने रुपये नहीं दिए तो जांच के नाम पर ऑफिस बुलाने लगा. आखिर में रिश्वत के रूप में इस अधिकारी ने युवती के साथ नाजायज हरकतें करनी चाही. युवती ने यह भी आरोप लगाया कि ACP कैलाश बोहरा उसे ऑफिस टाइम के बाद भी मिलने के लिए दबाव डालता था.
एसीबी की जयपुर देहात इकाई के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नरोत्तम लाल वर्मा के नेतृत्व में शिकायत का सत्यापन किया गया. रविवार को कैलाश बोहरा ने युवती को डीसीपी कार्यालय स्थित अपने सरकारी ऑफिस में बुलाया. कैलाश बोहरा जानता था कि छुट्टी का दिन होने की वजह से आज यहां स्टॉफ मौजूद नहीं होंगे.
युवती के डीसीपी कार्यालय पहुंचने पर कैलाश ने उसे अपने ऑफिस में बुलाया और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया. जिसके बाद एसीबी की टीम वहां पहुंच गई और कैलाश बोहरा को महिला के साथ गिरफ्तार कर लिया. एसीबी के अतिरिक्त महानिदेशक दिनेश एमएन के निर्देशन में आरोपी कैलाश बोहरा के निवास एवं अन्य ठिकानों की तलाशी जारी है.
जयपुर में रिश्वत के बदले रेप पीड़िता से उसकी अस्मत मांगने वाले ACP कैलाश बोहरा अब एसीबी की गिरफ्त में है.
कौन है कैलाश बोहरा?
आरोपी कैलाश बोहरा साल 1996 में बतौर सबइंस्पेक्टर राजस्थान पुलिस में भर्ती हुए थे. वे जयपुर के बजाज नगर, सदर, शिवदासपुरा सहित कई अन्य थानों में इंस्पेक्टर रहे हैं. करीब दो साल पहले ही कैलाश बोहरा पुलिस इंस्पेक्टर से पदोन्नत होकर RPS अधिकारी बने. उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज था और सीबीआई जांच चल रही थी. ऐसे में अपने प्रमोशन के लिए वह कोर्ट भी गए थे.
RPS में प्रमोशन के बाद बोहरा की पहली पोस्टिंग पुलिस मुख्यालय की सिविल राइट्स ब्रांच में हुई. कुछ महीने पहले ही उसकी जयपुर कमिश्नरेट के पूर्व जिले में महिला अत्याचार अनुसंधान यूनिट में सहायक पुलिस आयुक्त (ACP) के तौर पर नियुक्ति हुई.
क्या है मामला?
दुष्कर्म केस की जांच के बहाने आरोपी अफसर 30 साल की पीड़िता को बार-बार ऑफिस बुलाता था. पहले उसने जांच के लिए रिश्वत मांगी, बाद में पीड़िता के साथ गलत हरकत करने की कोशिश शुरू कर दी.
दरअसल, पीड़िता ने एक युवक व अन्य के खिलाफ जयपुर में शादी का झांसा देकर यौन शोषण करने, धोखे से गर्भपात कराने का केस दर्ज कराया था. इन आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने की एवज में एसीपी उसकी अस्मत मांग रहा था. परेशान होकर पीड़िता ने एसीबी से पूरे मामले की शिकायत की.
ACP बोहरा ने मुकदमा दर्ज करवाने वाली 30 वर्षीय युवती को रविवार के दिन बुलाया. कैलाश बोहरा ने अपनी नीच सोच को अंजाम देने के लिए सुरक्षित जगह जयपुर कमिश्नरेट के डीसीपी पूर्वी का सरकारी दफ्तर चुना. इसी भवन में ग्राउंड फ्लोर पर महिला अत्याचार अनुसंधान यूनिट का ऑफिस है. इसमें सहायक पुलिस आयुक्त कैलाश बोहरा खुद बैठता है. रविवार को छुट्टी का दिन था. एसीपी को पता था कि आज ऑफिस बंद होने से स्टॉफ नहीं आता.
ऐसे में वह निजी कार लेकर सिविल ड्रेस में ऑफिस पहुंचा. खुद ही ऑफिस का लॉक खोला. इसके बाद पीड़िता के ऑफिस पहुंचने पर उसे अपने कमरे में ले गए. जहां युवती को अंदर बुलाकर दरवाजा बंद कर लिया. तबतक पहले से ही तैयार एसीबी ने अफसर को रंगे हाथों दबोच लिया.