दिल्ली के कालिंदी कुंज से एक महिला के किडनैप होने और फिर उसके साथ गैंगरेप की घटना सामने आई थी. पीड़ित महिला ने एक FIR दर्ज कर खुद इस पूरी घटना के बारे में बताया था. लेकिन जब पुलिस ने अपनी तरफ से जांच शुरू की तो स्थिति एकदम अलग निकली. किडनैपिंग वाली बात झूठी साबित हुई, गैंगरेप के दावे फर्जी निकले और FIR भी एक एक दूसरा ही सच छिपाने के लिए दर्ज की गई.
असल में रोहिंग्या महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि 22 फरवरी को उसे और उसकी 16 महीने की बेटी को कालिंदी कुंज मेट्रो स्टेशन से किडनैप कर लिया गया था. वहां से उसे किसी अनजान जगह पर ले जाया गया जहां पर उसके साथ कुछ लोगों ने गैंगरेप किया. महिला ने बताया कि कुल दो दिन तक उसे उस अनजान जगह पर रखा गया. इसके बाद कुछ अनजान लोगों ने उसका रेस्क्यू किया और उसे विकासपुरी कैंप ड्रॉप कर दिया. अब ये सारी बातें उस रोहिंग्या महिला ने पुलिस को बताई. उसी दावे के दम पर IPC की कई धाराओं में केस दर्ज किया गया. लेकिन उन दावों को लेकर जब जांच शुरू हुई, सच्चाई अलग सामने आई. महिला ने जो भी कुछ बताया था, वो सब गलत साबित हुआ.
पुलिस ने अपनी जांच उन जगहों से शुरू की जहां से उस महिला का वास्ता था. ऐसे में एक टीम महिला के पति के अंकल के घर गई. वहां पर वो महिला रहा करती थी. दूसरी टीम कालिंदी मेट्रो स्टेशन भेजी गई जहां से किडनैपिंग का दावा किया गया. इसके अलावा विकासपुरी और कालिंदी कुंज के रिफ्यूजी कैम्प में सवाल-जवाब किए गए. इसके अलावा जहां पर गैंगरेप वाली बात कही गई, उस जगह की भी पुलिस ने तलाशी की. पुलिस ने कई घंटों तक सीसीटीवी की फुटेज देखी, अलग-अलग जगहों के फुटेज मंगवाए, उन लोगों से सवाल-जवाब किए जिन्होंने उस महिला का रेस्क्यू किया. उस महिला के पड़ोसियों से भी बात की गई. उस बातचीत के बाद जो सच सामने आया, वो जान पुलिस हैरान रह गई.
पुलिस को पता चला कि उस महिला की ना किडनैपिंग हुई थी और ना ही उसके साथ कोई गैंगरेप हुआ था. बल्कि वो महिला तो अपने पति के जिस अंकल के घर रहती थी, वहां के माहौल से परेशान थी. एक दिन पति से किसी बात पर लड़ाई हुई और वो उसी वजह से बिना बताए वहां से चली गई. वो दो दिनों के लिए किसी अकबर अली के घर पर गई थी. ये शख्स किसी जमाने में उसका पड़ोसी हुआ करता था. अकबर की पत्नी से गुजारिश कर वो महिला दो दिन तक वहां पर रही. वहीं बाद में पुलिस में FIR इसलिए दर्ज करवाई गई जिससे अकबर अली को बचाया जा सके. महिला का तर्क रहा कि उसका पति उसके साथ मारपीट करता था. अगर उसे पता चलता कि वो उसके साथ फिर मारपीट करता और अकबर अली के लिए मुश्किल खड़ी हो जाती. ऐसे में उसने सच्चाई छिपाई और ये फर्जी केस गढ़ दिया.