महाराष्ट्र के बीड में सरपंच संतोष देशमुख हत्याकांड में सीआईडी ने अपनी चार्जशीट दाखिल कर दी है. इसके अनुसार मर्डर के मास्टरमाइंड वाल्मिक कराड ने इलाके में अपना दबदबा बनाए रखने और विकास परियोजनाओं से पैसे ऐंठने के लिए कई आपराधिक गिरोह बनाए थे. आरोपी महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री धनंजय मुंडे का करीबी सहयोगी है. इस केस की वजह से मुंडे को मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा है.
सीआईडी चार्जशीट में कहा गया है कि वाल्मिकी कराड़ जबरन वसूली की रकम नही मिलने पर भड़क जाता था. इसके बाद पीड़ितों को डरता, धमकाता और परेशान करता था. कई मामलों में उसने पीड़ितों का अपहरण भी किया था. सरपंच संतोष देशमुख की हत्याकांड में महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र के बीड जिले की अदालत में दायर किए गए विशाल चार्जशीट में पांच गुप्त गवाहों के बयान शामिल हैं.
बीड जिले के मासजोग गांव के सरपंच संतोष देशमुख को पिछले साल 9 दिसंबर को एक ऊर्जा कंपनी को निशाना बनाकर की जा रही जबरन वसूली की कोशिश को रोकने पर अगवा कर लिया गया. इसके बाद प्रताड़ित करके उनकी हत्या कर दी गई. इस मामले में वाल्मिकी कराड सहित सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है. उन पर महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम के तहत केस दर्ज है.
गिरफ्तार किए गए अन्य लोगों में सुदर्शन घुले, विष्णु चाटे, जयराम चाटे, महेश केदार, सुधीर सांगले और प्रतीक घुले शामिल हैं. इस मामले में एक कृष्ण अंधाले वांछित आरोपी है, जो कि अभी फरार है. दस्तावेज में बेनाम दर्ज पांच गुप्त गवाहों ने जांचकर्ताओं को धनंजय मुंडे के गृह क्षेत्र बीड जिले में वाल्मिकी कराड और उसके सहयोगियों की आपराधिक गतिविधियों के बारे में बताया है.
पांच गवाहों में से चार ने हत्या मामले में एसआईटी का नेतृत्व कर रहे उप महानिरीक्षक (सीआईडी) बसवराज तेली के समक्ष अपने बयान दर्ज कराए. पांचवें ने पुलिस उपाधीक्षक (डीवाईएसपी) अनिल गुजर के समक्ष अपना बयान दिया. इन गवाहों ने जिले में वाल्मिकी कराड और उसके साथियों की अवैध और आपराधिक गतिविधियों का विस्तार से वर्णन किया है. उनकी हर हरकत बताई है.
एक गवाह ने बताया कि वाल्मिकी कराड ने जिले को अपनी जागीर समझ रखा था. उसने अपने वर्चस्व को बनाए रखने के लिए बलपूर्वक हथकंडे अपनाए और गिरोह बनाए. उसने कहा, "कराड ने गिरोहों का इस्तेमाल करके जिले पर अपना दबदबा बनाए रखा. उसने जिले में संचालित विभिन्न कंपनियों से पैसे ऐंठने के लिए भी इनका इस्तेमाल किया. पैसे नहीं देने पर काम बंद करा देते थे.
चार्जशीट के अनुसार, इन गिरोहों ने जिले में आतंक का राज बना रखा था. यदि कोई उनकी गतिविधियों में बाधा डालने की कोशिश करता, तो वे ऐसे व्यक्तियों का अपहरण कर लेते या उन पर हमला कर देते. उनके द्वारा बनाए गए भय के माहौल के कारण बहुत कम लोगों ने इनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई. यदि कोई हिम्मत जुटाकर थाने जाता, तो पुलिस नजरअंदाज कर देती थी.
बताया गया है कि वाल्मिकी कराड के पास पांच हाई-एंड कारें, दो भारी वाहन और एक जेसीबी मशीन के अलावा कई बड़ी संपत्तियां भी हैं. कई बार गिरोहों की गतिविधियों का विरोध करने वाले लोगों के खिलाफ फर्जी मामले दर्ज किए जाते थे. जनवरी में कराड की गिरफ्तारी के बाद बीड जिले के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए. ये इन गिरोहों के सदस्यों द्वारा किए गए थे.
एक गवाह ने बताया कि वाल्मिकी कराड, सुदर्शन घुले, विष्णु चाटे, प्रतीक घुले, महेश केदार, सुधीर सांगले और कृष्ण अंधारे ने रंगदारी वसूलते थे. यदि कोई उनकी मांग पूरी नहीं करता वो लोग उसकी पिटाई करते थे. साल 2019 में उसने अपने दस्तावेज जमा करके एक सिम कार्ड खरीदा, जिसे बाद में सुदर्शन घुले को इस्तेमाल के लिए दे दी. इसी से वो लोगों को धमकी दिया करता था.