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श्रद्धा मर्डर केस : मिसिंग लिंक और आफताब के राज... Narco Test से इन सवालों के जवाब ढूंढेगी पुलिस?

दिल्ली के महरौली में हुए श्रद्धा हत्याकांड में आरोपी आफताब की पुलिस कस्टडी को पांच दिन बढ़ा दिया गया. इसके साथ ही साकेत कोर्ट ने नार्को टेस्ट की इजाजत दे दी है. आफताब ने भी नार्को टेस्ट करवाने की हामी भर दी है. माना जा रहा है कि श्रद्धा केस में जांच में जुटी दिल्ली पुलिस को नार्को टेस्ट के जरिए आफताब के खिलाफ सबूत जुटाने में काफी मदद मिलेगी.

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श्रद्धा और आरोपी आफताब (फाइल फोटो)
श्रद्धा और आरोपी आफताब (फाइल फोटो)

श्रद्धा मर्डर केस की जांच में जुटी दिल्ली पुलिस को आरोपी आफताब का नार्को टेस्ट कराने की अनुमति साकेत कोर्ट से मिल गई है. माना जा रहा है कि नार्को टेस्ट के जरिए पुलिस उन तमाम सबूतों तक पहुंचने में सफल हो सकती है, जिनकी उसे तलाश है. भले ही पुलिस का दावा हो कि आफताब ने पूछताछ में अपने गुनाह कबूल कर लिए, लेकिन कोर्ट में सबूतों के आभाव में श्रद्धा को इंसाफ और आफताब को सजा की उम्मीद नहीं की जा सकती. पुलिस के हाथ अभी भी खाली हैं. पुलिस को न तो श्रद्धा के कपड़े मिले और न ही उसका मोबाइल. इतना ही नहीं पुलिस श्रद्धा की हत्या में इस्तेमाल हथियार, उसका सिर और शव के बाकी हिस्सों की तलाश में भी जुटी है. 

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दरअसल, श्रद्धा मर्डर केस में अभी तक पुलिस के हाथ सिवाय कुछ हड्डियों के और कुछ नहीं लगा है. पुलिस को अब तक करीब 13 बॉडी पार्ट मिले हैं, जिन्हें जांच के लिए भेजा गया है. पुलिस ने डीएनए जांच के लिए पिता के सैंपल भी ले लिए हैं. इसके साथ ही पुलिस ने उस कूड़ा गाड़ी की भी पहचान कर ली है, जिसमें आफताब ने श्रद्धा की हत्या कर उसके कपड़े फेंके थे. पुलिस उस जगह पर भी जांच करेगी, जहां कूड़ा गाड़ी कूड़ा डालने जाती है. पुलिस ने जंगल की किलेबंदी कर रखी है. पुलिस को उम्मीद है कि जंगल से कई अहम सबूत हाथ लग सकते हैं. ऐसे में नार्को टेस्ट को काफी अहम माना जा रहा है. 

नार्को टेस्ट के जरिए किन सवालों के जवाब तलाशेगी पुलिस?

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पूछताछ के दौरान आफताब पुलिस को गुमराह कर रहा है, वह लगातार बयान बदल रहा है, ऐसे में पुलिस पूरी घटना को सिलसिलेवार तरीके से जानने की कोशिश करेगी. ऐसे में नार्को टेस्ट के जरिए पुलिस की कोशिश श्रद्धा और आफताब से जुड़े हर सवाल का जवाब खोजने पर होगी. आफताब ने श्रद्धा की हत्या क्यों की, दोनों के पीछे लड़ाई की क्या वजह थी? इससे पहले क्या कभी आफताब ने हत्या की योजना बनाई थी? क्या हत्या को पूरी तरह से योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया. आफताब के साथ क्या इस घटना में और कोई भी शामिल था? आफताब ने श्रद्धा की हत्या कैसे की? आफताब ने वह आरी कहां फेंकी, जिससे उसने श्रद्धा के शव को टुकड़ों में काटा? श्रद्धा का सिर कहां है? श्रद्धा से शव के बाकी टुकड़े कहां हैं? श्रद्धा के कपड़े कहां हैं? श्रद्धा का मोबाइल कहां है, पुलिस इन सबके बारे में भी जानकारी पता लगाने की कोशिश करेगी.

क्या होता है नार्को टेस्ट ? 

नार्को टेस्ट को ट्रूथ सीरम भी कहा जाता है. कई अहम केसों में पहले भी इसका इस्तेमाल हो चुका है. इस टेस्ट में इंजेक्शन में एक तरह की साइकोएक्टिव दवा मिलाई जाती है. इसमें सोडियम पेंटोथल नाम का केमिकल होता है, जो जैसे ही नसों में उतरता है, शख्स कुछ मिनट से लेकर लंबे समय के लिए बेहोशी में चला जाता है. इसके बाद जागने के दौरान अर्धबेहोशी की हालत में वो बिना किसी लागलपेट के वो वह सच भी बोल जाता है, जो सामान्य स्थिति में वह नहीं बताता. 

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जांच एजेंसी तभी इस टेस्ट का इस्तेमाल करती हैं, जब अन्य सबूत उसके हाथ नहीं लगते. नियमों के मुताबिक, नार्को टेस्ट से पहले आरोपी की अनुमति भी जरूरी होती है. सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर फैसला सुनाया था कि नार्को एनालिसिस, ब्रेन मैपिंग और पॉलीग्राफ टेस्ट किसी भी व्यक्ति की सहमति के बिना नहीं किए जा सकते. 

नार्को टेस्ट के दौरान दिया बयान, कोर्ट में सबूत के तौर पर मान्य नहीं

हालांकि, नार्को टेस्ट के दौरान दिया गया बयान कोर्ट में जांच एजेंसी द्वारा सबूत के तौर पर पेश नहीं किया जा सकता.  हालांकि, कुछ परिस्थितियों में इसे सबूत के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है, जब कोर्ट को लगता है कि मामले के तथ्य और प्रकृति इसकी अनुमति देती है. जांच एजेंसी डॉक्टरों की टीम की उपस्थिति में इस टेस्ट को करती हैं. इस दौरान आरोपी जो बयान देता है, उन्हें वीडियो रिकॉर्ड किया जाता है. सबूतों के आधार पर रिपोर्ट तैयार की जाती है. यह पूरी प्रक्रिया किसी सरकारी अस्पताल में होती है. 

इन केसों में हुआ नार्को टेस्ट

भारत में इससे पहले 2002 के गुजरात दंगों में, जाली स्टांप पेपर घोटोले के दोषी अब्दुल करीम तेलगी केस में, 2007 के निठारी केस और मुंबई 26/11 आतंकी हमले के मामले में दोषी आतंकी अजमल कसाब का नार्को टेस्ट कराया गया था. 

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