हरियाणा के सोनीपत की निर्भया को इंसाफ मिल गया. इसके लिए पीड़ित परिवार को साढ़े पांच साल तक लंबा इंतजार करना पड़ा. न्यायाधीश आरपी गोयल की अदालत ने जब दोनों को फांसी की सजा सुनाई, तो कोर्ट में मौजूद पीड़ित युवती की मां फूट-फूट कर रोने लगी. दोनों हाथ ऊपर कर उनके मुंह से निकला कि आखिरकार बेटी को न्याय मिल गया.
जिस तरह दोषियों ने मेरी बेटी को तड़पा कर मारा था, उसी तरह अब वे भी मरेंगे. अदालत में इस दौरान दोनों दोषी गर्दन नीचे करके खड़े रहे. उनके चेहरे के हाव-भाव बता रहे थे कि उनको पता था कि इस दरिंदगी के लिए उन्हें फांसी की सजा ही मिलने वाली है.
छेड़छाड़ करते थे, विरोध करने पर की वारदात
दरअसल, सोनीपत की निर्भया से 2 मई 2017 को कीर्ति नगर के रहने वाले सुमित ने रास्ते में छेड़छाड़ की थी. उसने दो दिन बाद दोबारा से रास्ते में घेरकर युवती को पकड़ने का प्रयास किया, तो युवती ने उसे थप्पड़ मार दिया था.
इसके बाद 5 मई को सुमित ने अपने साथी के साथ मिलकर युवती को रास्ते में रोककर उसकी पिटाई की थी. इसी बीच 9 मई को ड्यूटी पर जाने के दौरान कार से युवती का अपहरण कर लिया था.
दोस्त के साथ मिलकर की दरिंदगी और हत्या
इसके बाद युवती की मां ने सुमित के खिलाफ मामला दर्ज कराया था. बाद में सीआईए ने आरोपी सुमित को अवैध हथियार के साथ दबोचा था. पूछताछ में उसने युवती के साथ हुए जघन्य घटना से पर्दा उठाया. उसने बताया कि पकड़े जाने के डर से दोस्त विकास के साथ मिलकर युवती की हत्या कर दी.
इसके बाद रोहतक की अर्बन इस्टेट थाना पुलिस ने 11 मई 2017 को युवती की लाश क्षत-विक्षत हालत में बरामद की थी. कपड़ों के आधार पर उसकी पहचान की गई थी. युवती के शरीर पर शराब की बोतल और ईंटों से वार किए गए थे.
उसके संवेदनशील अंगों को क्षत-विक्षत कर दिया था. लाश को जानवरों ने नोच लिया था. फिर पुलिस ने सुमित के बाद उसके साथी विकास यादव को भी गिरफ्तार कर लिया.
नेताओं से लेकर सामाजिक संगठनों का पीड़िता के घर लगा रहा तांता
घटना के बाद से लोगों में रोष फैल गया था. प्रदेश भर में प्रदर्शन हुए थे. लोगों ने धरना-प्रदर्शन कर कैंडल मार्च निकाला था. शहर में न्याय यात्रा निकाली गई थीं. कई राजनीतिक दलों के नेता और सामाजिक संगठनों के लोग पीड़िता के घर सांत्वना देने के लिए पहुंचे थे.
तत्कालीन डीजीपी पहुंचे थे सोनीपत
इस मामले में लोगों का आक्रोश को देखते हुए तत्कालीन डीजीपी बीएस संधु को सोनीपत आना पड़ा था. मामले में पुलिस ने तथ्य जुटाने के साथ ही गवाहों को एकत्र किया था. इस मामले में तत्कालीन एसपी अश्विनी शैणवी ने मामले को अपने हाथ में लिया था.
तत्कालीन डीएसपी मुकेश जाखड़ ने साक्ष्य जुटाने की कमान संभाली थी. इस मामले में युवती के अपहरण के समय मौजूद उसकी सहकर्मी और एसएफएल टीम और लैब की रिपोर्ट ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
ऐसे चला पूरा घटनाक्रम