दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को पुलिस से पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या के मामले में चार दोषियों द्वारा उम्रकैद की सजा को चुनौती देने वाली अपील पर जवाब देने को कहा है. न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति मनोज जैन की पीठ ने रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत सिंह मलिक और अजय कुमार की अपील पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है. न्यायालय ने अधिकारियों से दोषियों की सजा को निलंबित करने की मांग वाली अंतरिम अर्जी पर जवाब दाखिल करने को भी कहा है.
25 नवंबर 2023 को इस मामले में साकेत कोर्ट ने सजा का ऐलान किया था. कोर्ट ने चारों दोषियों को डबल उम्रकैद की सजा के अलावा जुर्माना भरने की सजा सुनाई थी. उम्रकैद की सजा पाने वालों में रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत मलिक और अजय कुमार उर्फ अजय शामिल थे. वहीं पांचवें दोषी अजय सेठी को 3 साल की सजा सुनाई गई थी. साकेत कोर्ट ने इन चारों दोषियों पर 1.25 लाख का जुर्माना भी लगाया था. 30 सितंबर 2008 को दिल्ली के नेल्सन मंडेला मार्ग पर सौम्या विश्वनाथन की हत्या हुई थी.
सौम्या विश्वनाथन उस समय नाइट शिफ्ट करके ऑफिस से अपने घर लौट रही थीं. पुलिस को उनकी लाश कार में बरामद हुई थी. इस हत्याकांड की अहम बात यह भी है कि इसका खुलासा करने में पुलिस को करीब 6 महीने लग गए थे. पुलिस ने दावा किया था कि उनकी हत्या का मकसद लूटपाट था. हत्या के सिलसिले में 5 लोगों रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत मलिक, अजय कुमार और अजय सेठी को गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद पुलिस द्वारा पूछताछ में आरोपियों ने अपने अपराध कबूल किए थे.
इस मामले में लंबी सुनवाई के बाद न्यायालय ने दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इसके साथ ही फांसी नहीं दिए जाने की वजह भी बताई थी. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रविंद्र पांडे ने सजा सुनाते हुए कहा था कि सौम्या की हत्या के अपराध में चारों दोषियों का अपराध दुर्लभतम श्रेणी में नहीं आता, लिहाजा मृत्युदंड नहीं दी जा सकती. इसके बाद कोर्ट ने उम्रकैद के साथ जुर्माना भी लगाया था, जिसके न देने पर छह महीने अतिरिक्त कैद की सजा सुनाई गई. अजय सेठी को तीन साल की सजा सुनाई गई थी.
सजा के ऐलान के बाद सौम्या की मां माधवी विश्वनाथन ने आजतक/इंडिया टुडे से बातचीत करते कहा था, ''मैं कभी भी मृत्युदंड नहीं चाहती थी. मैं चाहता थी कि वे (दोषी) भी वैसा जीवन भुगतें, जैसे हम परिवार से दूर भुगत रहे हैं. मुझे राहत है कि यह केस खत्म हो गया है. मैं कह सकती हूं कि न्याय मिला है. कम से कम मुझे बार-बार आकर इस प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ेगा. मुझे आशा है कि यह अंत है और एक निवारक के रूप में काम करेगा. मुझे मेरी बेटी वापस तो नहीं मिल सकती लेकिन यह केस अब खत्म हो गया है.