
27 अगस्त 1906 के दिन अमेरिका के ला क्रोस में अगस्ता और जॉर्ज के घर एक बच्चा पैदा हुआ, जिसका नाम एडवर्ड गीन रखा गया. प्यार से उसे ऐड कहकर बुलाया जाता था. यह उनकी दूसरी संतान थी. उनका एक और बेटा भी था, जिसका नाम हेनरी था. पिता जॉर्ज को शराब की काफी बुरी लत थी. जिसके कारण जॉर्ज और अगस्ता के बीच अक्सर लड़ाई होती रहती थी. कई लोगों ने अगस्ता को कहा कि वह जॉर्ज से तलाक ले ले. लेकिन बच्चों की खातिर अगस्ता ने जॉर्ज से तलाक नहीं लिया. उसने पति जॉर्ज को अपने हाल पर छोड़ दिया था. बस दोनों बेटों का ही ध्यान रखती. इसी तरह चारों की जिंदगी चल रही थी.
जॉर्ज छोटी-मोटी नौकरी करता था. शराब की लत के कारण उसे कई बार नौकरी से निकाल भी दिया गया. लेकिन दोबारा वह कहीं से नई नौकरी ढूंढ लेता. बार-बार नौकरी छूट जाने के कारण परिवार को कई बार आर्थिक तंगी भी झेलनी पड़ती. ला क्रोस काफी महंगी जगह है. इसलिए वहां उन लोगों का गुजारा हो पाना काफी मुश्किल हो रहा था. जिसके चलते अगस्ता ने तय किया कि वह सब कुछ बेचकर बेटों के साथ कहीं और शिफ्ट हो जाएगी, जहां सस्ते में उनका गुजारा हो सके. फिर उन्होंने ला क्रोस के पास ही प्लेन फील्ड के अंदर 155 एकड़ में बने एक फार्म हाउस को खरीद लिया.
बच्चों को किसी से भी बात नहीं करने देती अगस्ता
चारों लोग जल्द ही वहां शिफ्ट हो गए. कहा जाता है कि अगस्ता थोड़ी अजीब तरह की महिला थी. वह न जाने क्यों अपने बच्चों को किसी से भी बात नहीं करने देती. न उन्हें कोई दोस्त बनाने देती. अगर ये लोग किसी से बात करते दिख जाते तो अगस्ता उन्हें बहुत मारती-पीटती. उसने तो उन्हें ये तक कह दिया था कि लड़कियों से बिल्कुल दूर रहना क्योंकि हर लड़की वैश्या होती है.
बच्चों की मेंटल स्टेबिलिटी में पड़ा फर्क
इस वजह से दोनों ही बच्चों की मेंटल स्टेबिलिटी में काफी फर्क पड़ गया. दोनों स्कूल में भी किसी से बात नहीं करते. यहां तक कि स्कूल के टीचर और अन्य बच्चे भी दोनों भाइयों की हरकतें देख उनसे बात नहीं करते थे. हेनरी से ज्यादा अजीब ऐड था. ऐड क्लास में भी अकेला बैठा रहता और अपनी ही दुनिया में खोया रहता. टीचर जब उसे पढ़ा रहे होते तो वह अचानक से क्लास में हंसने लगता.
फिर घर जाते ही दोनों पर उनकी मां के अत्याचार शुरू हो जाते. वह छोटी-छोटी बात पर उन्हें डांटती और मारती रहती. बताया जाता है कि अगस्ता एक धार्मिक ग्रंथ पढ़ा करती थी. उसमें जो सबसे खतरनाक बातें लिखी होती थीं, उन्हें दोनों बेटों पर आजमाती थी. उधर इनके पिता का उन्हें कोई पता नहीं था. वह कभी-कभी उनके पास आता. पैसे देता और चला जाता. उसी पैसे से इनका गुजारा चल रहा था.
1944 में जॉर्ज की मौत हो गई
धीरे-धीरे समय बीतता गया. दोनों लड़कों की पढ़ाई पूरी हुई. लेकिन जॉब करने के बजाय उनकी मां ने उन्हें घर पर ही बैठा लिया था. वह उन्हें बड़ा होने पर भी कहीं जाने नहीं देती. लेकिन इसी बीच 1944 में अगस्ता के पति की लिवर फेलियर से जान चली गई. अब घर खर्च के लिए भी उनके पास पैसे नहीं बचे थे. तब दोनों भाइयों ने नौकरी करना शुरू किया. हेनरी ने पिता की नौकरी करना शुरू कर दिया. वह घर-घर जाकर लोगों के छोटे-मोटे काम कर दिया करता. वहीं, ऐड ने बेबीसिटर की जॉब शुरू की. वह घर-घर जाकर छोटे बच्चों की देखभाल करता. तभी ऐड को पता चला कि उसके भाई का अफेयर एक सिंगल मदर के साथ शुरू हो गया है, जो कि तलाकशुदा थी. इसी के चलते हेनरी ने घर आना भी काफी कम कर दिया था.
हेनरी ने मां की बात मानने से किया इनकार, भाई को भी समझाया
ऐड को हैनरी की ये बात बिल्कुल भी पसंद नहीं आई और उसने कहा कि वह मां को इस बारे में सब बता देगा. लेकिन हेनरी अपने रिलेशन को लेकर काफी सीरियस था. इसलिए उसने मां से भी कह दिया कि वह अब उसकी जिंदगी में दखल न दे. क्योंकि अब वह बड़ा हो चुका है. इसी बात को लेकर घर में अक्सर झगड़ा होता. हेनरी ने ऐड को भी समझाया कि वह मां की बात न मानकर आम इंसान की तरह जिंदगी जिए. लेकिन ऐड नहीं माना और उसने कहा कि वह मां की ही बात मानेगा.
हेनरी की मौत, पुलिस ने बरती लापरवाही
फिर दिन आया 16 मई 1944 का. ऐड और हेनरी फार्महाउस के बाहर लगी घास को साफ कर रहे थे. पूरे घास को जलाने के लिए दोनों ने आग लगाई. लेकिन ये आग काफी फैल गई, जिसे बुझाने के लिए दोनों भाई तमाम कोशिश करने लगे. हेनरी एक तरफ भागा और ऐड दूसरी तरफ. थोड़ी ही देर बाद ऐड ने देखा कि उसका भाई घास के पास मृत पड़ा है. वह भागकर पुलिस स्टेशन गया. उसने पुलिस को बताया कि आग बुझाने के चलते उसके भाई की जलकर मौत हो गई है. पुलिस ने जब जांच शुरू की तो पाया कि हेनरी कहीं से भी नहीं जला है. उन्होंने ऐड और उसकी मां से ऐड से सख्ती से पूछताछ की तो दोनों ने मामले को दबाने की कोशिश की और कहा कि हमारे घर का मामला है. कोई बात नहीं हम इसे देख लेंगे. यहां पुलिस ने भी लापरवाही दिखाई और शव का पोस्टमार्टम करवाए बिना ही उन्हें सौंप दिया और मामला तक दर्ज नहीं किया.
1945 को अगस्ता की हो गई मौत
समय बीतता गया. फिर 29 दिसंबर 1945 के दिन अगस्ता की हार्ट फेलियर से मौत हो गई. अब परिवार में सिर्फ ऐड ही बचा था. ऐड अकेले ही 155 एकड़ के फार्महाउस में रहने लगा. लेकिन मां की मौत का सदमा वह बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर पाया था. वह डिप्रेशन में जाने लगा था. उसने फार्महाउस के हर उस कमरे को बंद कर दिया जहां-जहां उसकी मां ज्यादा समय बिताती थी. घर की हालत ऐसी हो गई थी कि हर जगह सामान बिखरा पड़ा था. घर में बदबू ही बदबू थी और यहां तक कि हर सामान में कीड़े पड़ गए थे.
दुकानदार ब्रेनेस अचानक हो गया लापता
कुछ दिन तो ऐड मां की याद में रोता रहा. फिर उसने सोचा कि अब जिंदगी तो जीनी ही है. फिर उसने हॉरर कॉमिक्स पढ़ना शुरू किया. वह पहले से भी ज्यादा अजीब हो चुका था. इसी तरह उसने 12 साल निकाल दिए. फिर आया 16 नवंबर 1957 का दिन. प्लेन फील्ड का एक दुकानदार ब्रेनेस वार्डन अचानक अपनी दुकान से गायब हो गया. दो दिन तक जब ब्रेनेस का कुछ पता नहीं लगा तो उसके बेटे ने पुलिस को इसकी सूचना दी. पुलिस ने जांच शुरू की तो कुछ लोगों ने बताया कि उन्होंने अंतिम बार उन्हें अपना ट्रक ले जाते देखा था.
ऐड के घर पहुंची पुलिस
पुलिस ने दुकान में रखे विजिटिर रजिस्टर को देखा तो आखिरी नाम उसमें ऐड गीन का लिखा था. उसी के पास पुलिस को खून के कुछ धब्बे भी दिखे. पुलिस फौरन ऐड के फार्म हाउस पहुंची. उन्होंने जैसे ही बेल बजाई, ऐड ने दरवाजा खोला. पुलिस ने उसे पकड़ लिया और उसे थाने ले आई. उन्होंने पूछा कि तुम ब्रेनेस की दुकान में क्या लेने गए थे? ऐड ने बताया कि वह बस कुछ सामान खरीदने गया था, फिर वापस आ गया. पुलिस को ऐड की बातों पर विश्वास नहीं हुआ और उन्होंने उसके घर का सर्च वारंट निकलवाया और उसे तब तक के लिए जेल में डाल दिया.
फार्महाउस में मिली अजीबोगरीब चीजें
जैसे ही पुलिस ने तलाशी के लिए ऐड के घर को खोला तो उनके होश उड़ गए. अंदर से बहुत ही गंदी बदबू आ रही थी. सामान यहां वहां पड़ा था. तभी उनकी नजर सामने पड़ी तो देखा कि ब्रेनेस के शव को ऐड ने उल्टा लटकाया हुआ है. चेहरे को छोड़ उसके शरीर से पूरा मांस गायब था. पुलिस के भी उस लाश को देखकर हाथ-पांव फूल गए और वे लोग बाहर निकल आए. फिर उन्हें लगा कि इंवेस्टिगेशन तो करनी ही पड़ेगी. हिम्मत करके वे फिर से घर के अंदर गए तो उन्हें वहां ऐसी-ऐसी चीजें मिलीं जिन्हें सुनकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाएं.
शवों का किया था ऐसा हाल
पुलिस को वहां कुछ कटोरियां दिखीं, जो देखने में काफी सुंदर लग रही थीं. लेकिन जैसे ही उन्होंने उन कटोरियों तो उठाया तो पाया के वे इंसानी खोपड़ियां हैं, जिन्हें कटोरियों की शक्ल दे दी गई है. पुलिस को लगा कि ये इंसान कोई नॉर्मल इंसान नहीं है. उन्होंने घर की और तलाशी लेनी शुरू की तो पाया कि उस घर के हर कोने में इंसानी हड्डियां पड़ी हुई हैं. फिर उनकी नजर वहां पड़े कूड़ादान के पास पड़ी. वहां उन्हें इंसानी चमड़े से बने दस्ताने मिले. पुलिस जैसे-जैसे उसके घर की तलाशी ले रही थी, वैसे-वैसे उन्हें ऐसी ही अजीबो-गरीब चीजें मिल रही थीं. आगे पुलिस ने देखा कि उसके बेड के पास एक पुड़िया पड़ी है, जिसके अंदर इंसानी होंठ काटकर रखे थे. पुलिस को वहां एक चमड़े की बेल्ट भी मिली जिसे महिलाओं के स्तनों को काटकर बनाया गया था. पुलिस ये सब देखकर इतनी हैरान थी कि उन्हें भी समझ नहीं आ रहा था कि वे लोग कहां आ गए हैं. जांच जारी रखते हुए उन्होंने देखा कि वहीं टेबल पर कुछ फेस मास्क रखे थे. वे भी इंसानी चमड़ी से बने थे.
इंसानी चमड़ी के कपड़े, महिलाओं के गुप्तांग मिले
फिर पुलिस ने देखा कि दरवाजे के पास एक थैली पड़ी है. जब उसे खोला गया तो उसमें इंसानी दिल रखे मिले, जिनमें कीड़े लग चुके थे. पुलिस ये सब देखकर दंग रह गई. उन्हें लगा जैसे वे किसी हैवान के घर आ गए हों. बगल में एक जूते का डिब्बा भी मिला जिसमें महिलाओं के गुप्तांग काटकर रखे थे. कुल 9 गुप्तांग उसमें रखे हुए थे. पुलिस ने इंवेस्टिगेशन जारी रखी और अंत में उन्हें ऐसा कुछ मिला जिससे वे लोग भी काफी परेशान हो गए. ऐड की अलमारी में इंसानी चमड़ी से बनाए कपड़े मिले. वो भी बहुत सारे.
मां को जिंदा करना चाहता था ऐड
इसके बाद पुलिस ने ऐड से इस बारे में पूछताछ शुरू की तो उन्हें कुछ ऐसा जवाब सुनने को मिला जिसकी उन्हें बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी. ऐड ने बताया कि जब उसकी मां की मौत हुई तो वह पागल हो गया था. इसी पागलपन से बाहर आने के लिए उसने सोचा कि क्यों न वो अपनी मां को दोबारा जिंदा कर ले. इसी चक्कर में 1947 से लेकर 1952 तक वह अपने आसपास के तीन कब्रिस्तानों में रोज जाता. जैसे ही उसे पता लगता कि यहां कोई नई लाश दफनाई गई है, तो वह रात को उस लाश को बाहर निकालता और उसे घर ले आता. यहां वो लाशों को काटता. उनकी चमड़ी से वैसे ही कपड़े बनाता जैसे उसकी मां पहनती थी. जिस लाश का कोई अंग उसकी मां से मिलता-जुलता लगता उसे भी काटकर अपने पास रख लेता. ऐड ने बताया कि वह ऐसा करके एक इंसान तैयार करना चाहता था, जो कि उसकी मां होती. उसने ये भी बताया कि उसके फार्महाउस में काम करने वाली दो महिलाओं की भी उसने हत्या की है.
11 साल चला ऐड का ट्रीटमेंट
इसके बाद 21 नवंबर 1957 के दिन उस पर मर्डर के चार्ज लगाए गए. लेकिन उसकी मानसिक हालत को देखते हुए उसे ट्रीटमेंट के लिए भेज दिया गया. क्योंकि मेडिकल रिपोर्ट में वह सीजोफ्रेनिया से पीड़ित मिला. अमेरिका के एक हॉस्पिटल में पूरे 11 साल उसका इलाज चला. फिर समय आया 1968 का. कोर्ट में उससे पूछा गया कि तुमने ब्रेनेस को क्यों मारा? तो उसने बताया कि उसे इस बारे में अच्छे से कुछ भी याद भी नहीं है. उसने कहा कि उसके पास एक लाइसेंसी रिवॉल्वर थी, जो कि उस समय उसके पास ही थी. जैसे ही उसने जेब में कुछ सामान निकालने के लिए रिवॉल्वर को बाहर निकाला तो वह अचानक से चल गई, जिससे ब्रेनेस की मौत हो गई. उसे जेल नहीं जाना था, इसलिए वह ब्रेनेस की ही गाड़ी में उसका शव लेकर घर ले आया ताकि किसी को कुछ पता न चल सके.
ऐड के इस बयान के बाद भी कोर्ट को लगा जैसे वह अभी तक अच्छे से ठीक नहीं हो पाया है उन्होंने उसे दोबारा इलाज के लिए भेज दिया. जहां 26 जुलाई 1984 के दिन ऐड की अचानक से अस्पताल में ही मौत हो गई.