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Maoist Surrender: छत्तीसगढ़ में 10 लाख रुपए के इनामी 2 नक्सलियों ने इस वजह से किया सरेंडर

Naxalite Surrender: छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में सोमवार को 10 लाख रुपए के इनाम वाले दो नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया. इन नक्सलियों की पहचान सुदेन कोरम उर्फ ​​जानकू और सरिता पोतावी उर्फ ​​सरिता के रूप में हुई है. ये नक्सली महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के माओवादी क्षेत्र में सक्रिय थे.

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10 लाख रुपए के इनाम वाले दो नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया.
10 लाख रुपए के इनाम वाले दो नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया.

छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में सोमवार को 10 लाख रुपए के इनाम वाले दो नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया. इन नक्सलियों की पहचान सुदेन कोरम उर्फ ​​जानकू और सरिता पोतावी उर्फ ​​सरिता के रूप में हुई है. ये नक्सली महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के माओवादी क्षेत्र में सक्रिय थे. इन क्षेत्रों में बालाघाट, गोंदिया, राजनांदगांव, मुंगेली और कबीरधाम जिले शामिल हैं.

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एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि दोनों नक्सलियों ने बीएसएफ के अफसरों के सामने सरेंडर किया है. उन्होंने नक्सली संगठन के सीनियर कैडरों द्वारा निर्दोष आदिवासियों के शोषण, उनकी खोखली और अमानवीय" माओवादी विचारधारा से निराशा जताई है. उनको नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों और आदिवासियों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के प्रयास ने भी प्रभावित किया है. 

उन्होंने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली बालाघाट (मध्य प्रदेश), गोंदिया (महाराष्ट्र), राजनांदगांव, मुंगेली और कबीरधाम जिले (छत्तीसगढ़) में सबसे ज्यादा सक्रिय थे. दोनों पर पांच-पांच लाख रुपए का इनाम घोषित किया गया था. सरेंडर करने के बाद उनको 25-25 हजार रुपए की सहायता दी जा रही है. इसके साथ ही सरकार की नीति के अनुसार उनका पुनर्वास भी किया जाएगा. 

पिछले साल राज्य के बस्तर क्षेत्र में 792 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था. बस्तर क्षेत्र में नारायणपुर और सुकमा समेत सात जिले शामिल हैं. सुकमा जिले में जनवरी महीने में 43 लाख रुपए के इनाम वाले 9 कुख्यात नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था. ये सभी सुरक्षा बलों पर हुए कई हमलों में शामिल रहे थे. इन नक्सलियों को भी पुनर्वा के लिए 25-25 हजार रुपए दिए गए थे. 

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सुकमा के पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण ने बताया था कि दो महिलाओं समेत नौ नक्सलियों ने पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के वरिष्ठ अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण किया. वे माओवादी विचारधारा की खोखली, अमानवीय और संगठन के भीतर चल रही अंदरूनी कलह से निराश थे. इसके साथ ही राज्य सरकार की 'नियाद नेल्लनार' योजना से भी प्रभावित थे. 

इस योजना का उद्देश्य दूरदराज के गांवों में विकास कार्यों को सुगम बनाना है. सुरक्षा बलों के बढ़ते दबाव और अंदरूनी इलाकों में पुलिस शिविरों की स्थापना के कारण वरिष्ठ नक्सली पीछे हट गए हैं. माओवादियों की प्लाटून संख्या 24 के कमांडर रनसाई उर्फ ​​ओयम बुस्का (34) और पीएलजीए बटालियन संख्या 1 के कंपनी विंग के सदस्य प्रदीप उर्फ ​​राववा राकेश (20) पर 8-8 लाख रुपए का इनाम था.

चार अन्य नक्सलियों पर पांच लाख रुपए का इनाम था. एक महिला नक्सली पर तीन लाख रुपए का इनाम था. एक महिला समेत दो अन्य पर 2-2 लाख रुपए का इनाम था. नक्सल कमांडर रनसाई कई बड़े हमलों में शामिल रहा है, जिसमें 2007 में नारायणपुर जिले में झारा घाटी में घात लगाकर हमला शामिल है. इसमें सात पुलिसकर्मी मारे गए थे. बड़ी संख्या में जवान घायल भी हुए थे. 

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