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Gujarat: पैसे देकर हिंदुओं को बना रहे थे ईसाई, धर्म परिवर्तन से पहले ऐसे खुली पोल, 2 आरोपी गिरफ्तार

Religious Conversion in Gujarat: गुजरात के सुरेंद्रनगर जिले में स्थानीय लोगों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए कैश और दूसरे तरह के लालच देने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है. आरोपियों की पहचान रतिलाल परमार और भंवरलाल पारधी के रूप में हुई है.

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आरोपियों की पहचान रतिलाल परमार और भंवरलाल पारधी के रूप में हुई है.
आरोपियों की पहचान रतिलाल परमार और भंवरलाल पारधी के रूप में हुई है.

गुजरात के सुरेंद्रनगर जिले में स्थानीय लोगों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए कैश और दूसरे तरह के लालच देने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है. आरोपियों की पहचान रतिलाल परमार और भंवरलाल पारधी के रूप में हुई है. दोनों ने कुछ हिंदू लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए 20 हजार रुपए कैश दिए थे. इस मामले में सोमवार को केस दर्ज किया गया था.

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वडाली थाना प्रभारी डी आर पढेरिया ने बताया कि रतिलाल परमार सुरेंद्रनगर और भंवरलाल पारधी उदयपुर का रहने वाला है. उन दोनों ने लोगों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए लालच दिया था. लोगों से यह भी दावा किया था कि ईसाई धर्म अपनाने के बाद उनकी असाध्य बीमारियां ठीक हो गईं. इसके साथ ही उन्हें वित्तीय कठिनाइयों से उबरने में मदद मिली है.

उन्होंने शिकायतकर्ता के साथ अन्य लोगों से धर्म परिवर्तन के लिए संपर्क किया था. शिकायतकर्ता रंजीत भंगू ने आरोप लगाया कि दोनों आरोपियों ने हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ अशब्दों का इस्तेमाल किया, जिससे उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुईं. इसके बाद उन्होंने विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के स्थानीय पदाधिकारियों को इस बात की जानकारी दी.

इसके बाद विहिप और बजरंग दल के स्वयंसेवकों ने वडाली पुलिस से संपर्क किया. आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी. दोनों आरोपियों पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 299 (धार्मिक विश्वासों का अपमान करना) और गुजरात धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है. दोनों की गिरफ्तारी की तैयारी की जा रही है.

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Religious Conversion in Gujarat

बताते चलें कि दुनिया में करीब 2.38 बिलियन लोग किसी न किसी तरह से ईसाई धर्म से जुड़े हुए हैं. इसका मतलब ये कि संसार की एक-तिहाई आबादी क्रिश्चियन है. इसमें भी सबसे ज्यादा लोग कैथोलिक हैं. हालांकि सबसे बड़े धर्म का ग्राफ तेजी से गिर रहा है. इस धर्म को मानने वाले ज्यादातर लोग या तो इसके लिए न्यूट्रल हो रहे हैं, या कोई दूसरा मजहब अपना रहे हैं. 

वर्ल्ड रिलीजन डेटाबेस ने लगभग सात दशक का धार्मिक डेटा दिया है. साल 1950 से 2015 तक के सेंसस में पता चला कि मुस्लिम आबादी 13 फीसदी से बढ़ते हुए 24 हो गई. ये है धार्मिक जनगणना का पहला हिस्सा. दूसरा पार्ट चौंकाने वाला है. इसके अनुसार 35 फीसदी ईसाई आबादी 33 फीसदी रह गई. ईसाई धर्म छोड़ने वाले दो रास्ते अपना रहे हैं.

ये लोग या तो किसी और धर्म की तरफ जा रहे हैं, या फिर नास्तिक हो जा रहे हैं. यूरोप, नॉर्थ अमेरिका और रूस में सबसे ज्यादा कैथोलिक आबादी है. इसमें अमेरिका में ये धार्मिक जनसंख्या सबसे तेजी से कम हो रही है. प्यू रिसर्च अनुमान लगाती है कि धर्म का ये खांचा या तो खाली पड़ा है, या लोग किसी और सोच की तरफ शिफ्ट हो रहे हैं. 

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किसी भी धर्म को न मानने वालों की भी एक कैटेगरी बन चुकी, जिसे रिलीजस नन्स कहा जा रहा है. अमेरिकी मीडिया संस्थान नेशनल पब्लिक रेडियो की एक रिपोर्ट दावा करती है कि साल 2024 में रिलीजियस नन्स सबसे बड़ा समूह है, जिसमें युवा आबादी ज्यादा है. शोध के दौरान प्यू ने लोगों से यह भी पूछा कि क्या धर्म या आस्था के बगैर वे खुश हैं.

इसका जवाब हैरान करने वाला था. रिलीजियस नन बाकी लोगों की तुलना कम खुश और संतुष्ट लगे. वे सही-गलत का फैसला लेने में भी पहले से ज्यादा अटकते हैं क्योंकि उन्हें गाइड करने के लिए कोई धार्मिक सहारा नहीं होता. इसके बाद भी धर्म से दूरी बढ़ रही है. धर्म छोड़ने या दूसरा धर्म अपनाने को लेकर कई संस्थाएं अपनी-अपनी तरह से रिसर्च कर रही हैं.

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