
हाथरस में कथित गैंगरेप की घटना ने एक बार फिर देश में महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा को सुर्खियों में ला दिया है. ताजा आंकड़े बताते हैं कि देश के तकरीबन सभी जिलों से रेप की घटनाएं रिपोर्ट हो रही हैं. इनमें सबसे ज्यादा घटनाएं राजस्थान से हैं. इंडिया टुडे के डेटा इंटेलीजेंस यूनिट (डीआईयू) ने रेप की इन घटनाओं की जिलेवार तहकीकात की और यह पता लगाने की कोशिश की कि आखिर वे कौन से जिले हैं जो महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक हैं.
देश में हर रोज औसतन 88 रेप केस दर्ज होते हैं और इनमें से 6 केस अकेले राजस्थान के 8 जिलों में दर्ज होते हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के आधार पर डीआईयू ने जिलेवार रिपोर्ट हुए रेप केसों की एक सूची बनाई. इस सूची में दस सबसे खतरनाक जिलों (जहां रेप के सबसे ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं) में से आठ जिले राजस्थान के हैं. राजस्थान की राजधानी जयपुर 507 मामलों के साथ इस सूची में सबसे ऊपर है. जयपुर के अलावा बाकी जिले भरतपुर (290), अजमेर (256), गंगानगर (248), अलवर(236), जोधपुर (231), बीकानेर (227)और बांसवाड़ा(223) हैं, जहां रेप के सबसे ज्यादा केस पुलिस में रिपोर्ट हुए हैं.
राजस्थान के इन जिलों के अलावा मुंबई (मुंबई सिटी और मुंबई-उपनगरों को मिलाकर) और केरल का त्रिवेंद्रम जिला भी महिलाओं के लिए खतरनाक है. मुंबई में 2019 में रेप के 394 मामले दर्ज हुए जबकि त्रिवेंद्रम में यह संख्या 282 है. एनसीआरबी की रिपोर्ट में दर्ज रेप के आंकड़ों के आधार पर डीआईयू ने जिलों को मुख्य चार कैटेगरी में बांटा. लाल रंग में उन जिलों को रखा जहां पर सौ से ज्यादा रेप के केस दर्ज किए गए.
दूसरी कैटेगरी में 51 से 100 केस वाले जिलों को रखा गया और इसे मैप में ऑरेंज कलर से दिखाया गया. तीसरी कैटेगरी नीले रंग की है जिसमें 1 से 50 केसों वाले जिलों को रखा गया. ऐसे जिले जहां कोई मामला दर्ज नहीं किया गया, उन्हें हल्के नीले रंग में रखा गया.
पिछले पांच सालों यानी 2014 से 2019 में जिलेवार रेप की घटनाओं में बड़ा बदलाव हुआ है. 2019 में ऐसे अपराध की सबसे ज्यादा घटनाएं राजस्थान और केरल में रिपोर्ट हुई हैं. अगर हम 2014 के दस सबसे खतरनाक जिलों की बात करें तो मुंबई में सबसे ज्यादा 607 मामले दर्ज किए गए. जबकि मुर्शिदाबाद (474) और जयपुर (416) क्रमश: दूसरे और तीसरे पायदान पर थे.
महिला अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले कहते हैं कि ये बात सही है कि निर्भया के बाद रिपोर्टिंग ज्यादा हुई है लेकिन अभी भी नब्बे फीसदी मामले रिपोर्ट नहीं होते हैं. पीपुल्स अगेंस्ट रेप्स इन इंडिया (PARI) की योगिता भयाना का कहना है कि “ निर्भया केस के बाद महिला हिंसा की रिपोर्ट थोड़ी बढ़ी है लेकिन अभी भी सौ में से दस मामले ही एफआईआर (प्राथमिक सूचना रिपोर्ट) तक पहुंच पाते हैं. यह हालत तकरीबन हर जगह की है. कुछ जगह रिपोर्ट ज्यादा हुई है तो भी अपराध तो कम नहीं हुए हैं”.
कुछ जगहों पर दर्ज रेप केसों में गिरावट आई है. खासकर उत्तर प्रदेश में, जो हाथरस की घटना की वजह से चर्चा में है, वहां 2014 के मुकाबले 2019 में रेप के रिपोर्ट होने वाले केसों में 12 फीसदी की गिरावट आई है.एनसीआरबी के मुताबिक 2019 में प्रदेश में 3,065 रेप केस दर्ज हुए वहीं 2014 में यह संख्या 3,467 थी. 2019 के आंकड़ों पर आधारित जिलेवार सूची में 50 सबसे ज्यादा असुरक्षित जिलों में यूपी का कोई जिला नहीं है. प्रयागराज जहां 119 केस दर्ज हुए हैं वह 56 वें पायदान पर है. उसके बाद लखनऊ और गौतमबुद्ध नगर का नंबर है जहां क्रमश: 100 और 99 रेप केस दर्ज हुए हैं.
एनसीआरबी रिकॉर्ड के मुताबिक हाथरस में 2014 के मुकाबले 2019 में 12 फीसदी कम यानी 36 रिपोर्ट दर्ज हुई हैं. एनसीआरबी देशभर के पुलिस थानों में दर्ज होने वाले केसों को संकलित करता है. हाल ही एनसीआरबी ने 2019 की रिपोर्ट जारी की है जिसमें पूरे देश में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध में 7.3 फीसदी की बढ़ोतरी की बात कही गई है.
(असुरक्षित जिलों का आंकड़ा एनसीआरबी की ओर से जारी रिपोर्ट पर आधारित है. आंकड़ों में थोड़ा बहुत बदलाव दिख सकता है क्योंकि कुछ जिलों के नाम के साथ इक्का दुक्का केस रेलवे, EOW जैसी अलग कैटेगरी के भी दर्ज हैं.)