पहले देश प्रदेश में जब भी आम चुनाव होते हैं, तो अवैध हथियारों की धरपकड़ बढ़ जाती है. पुलिस आए दिन अवैध हथियार बनाने वालों को पकड़ती है. बिहार, मध्य प्रदेश और यूपी समेत कुछ राज्यों में अवैध हथियारों का कारोबार होता रहा है. ऐसे ही एक इलाके का नाम अचानक 25 साल पहले उस वक्त सुर्खियों में आया था, जब कैसेट किंग गुलशन कुमार की हत्या कर दी गई थी, वो नाम था बम्हौर का. दरअसल गुलशन कुमार की हत्या में जिस देसी कट्टे का इस्तेमाल किया गया था, वो यूपी के आजमगढ़ में बना था और उस पर लिखा था 'मेड इन बम्हौर.'
वो 12 अगस्त 1997 का दिन था. देश के कैसेट किंग और टी सीरीज कंपनी के मालिक गुलशन कुमार हर रोज की तरह मुंबई के एक मंदिर में पूजा अर्चना कर बाहर निकल रहे थे. जैसे वो बाहर आए तभी कुछ बाइक सवार हमलावरों ने उन्हें निशाना बनाकर एक बाद एक कई फायर किए. जिससे गुलशन कुमार खून से लथपथ होकर वहीं गिर पड़े और मौके पर ही उनकी मौत हो गई थी. हमले के दौरान गुलशन कुमार को एक-दो नहीं बल्कि 16 गोलियां मारी गईं थीं. जो उनके शरीर के ऊपरी हिस्से और सिर में लगी थीं.
इस मामले की छानबीन के दौरान पुलिस को वो हथियार बरामद हुआ, जिससे गुलशन का कत्ल हुआ था. उस हथियार पर लिखा था 'मेड इन बम्हौर.' मुंबई पुलिस की टीम दुनिया के तमाम देशों में बम्हौर नाम की जगह तलाशने लगी. पुलिस मान कर चल रही थी कि ये कोई देश होगा या फिर कोई बड़ा शहर. लेकिन कुछ पता नहीं चल पा रहा था. इसी दौरान मुंबई पुलिस के एक ऐसे अफसर को बुलाया गया, जिसका ताल्लुक यूपी से था.
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जब उस अधिकारी ने आकर हथियार की जांच की तो पता चला कि वो बम्हौर दुनिया का कोई देश या बड़ा शहर नहीं बल्कि यूपी के आजमगढ़ जिले का एक गांव है. इस खुलासे के बाद आजमगढ़ का बम्हौर मशहूर हो गया. वहां बनने वाले अवैध असलहा की मांग बहुत बढ़ गई थी. लिहाजा वहां कई लोग इस अवैध कारोबार में शामिल हो गए. इससे पहले केवल एक शख्स वहां अवैध हथियार बनाने का काम किया करता था.
आजमगढ़ में मुबारकपुर थाना इलाके का गांव बम्हौर तमसा नदी के किनारे पर बसा हुआ है. गांव की जमीन काफी ऊंची नीची है. वहां लोहार समेत कई पिछड़ी जातियों के लोग रहते हैं. बताया जाता है कि कुछ वर्षों पहले गांव का एक लोहार चोरी छिपे अवैध हथियार बनाने का काम करता था. जो बहुत सालों कर पुलिस की नजरों से छुपा रहा. लेकिन एक दिन वो कानून के हत्थे चढ़ गया. बाद में वो रंगे हाथों पकड़ा गया. पुलिस ने लंबी पूछताछ के बाद उसे जेल भेज दिया था.
कहा जाता है कि जब वो लोहार जेल से छूटकर वापस आया तो फिर इसी काम में जुट गया. उसने काफी पैसा कमाया. उसे देखकर इलाके के कई लोग इस धंधे में शामिल हो गए थे. जो तमसा नदी के आस-पास जगंल में अवैध हथियारों को बनाने का काम करते थे. फिर काम पूरा करने के बाद वहीं हथियारों और उपकरणों को छुपा दिया करते थे.
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यही वजह थी कि कई बार मुंबई पुलिस और दूसरे राज्यों की पुलिस के साथ-साथ यूपी पुलिस ने भी बम्हौर गांव में छापेमारी की और वहां मौजूद कई घरों से अवैध हथियारों की बरामदगी की. पुलिस ने समय-समय पर इलाके में चलने वाली अवैध असलहा फैक्ट्रियों का पर्दाफाश किया. पुलिस की सख्ती बढ़ने के साथ-साथ वहां यह अवैध कारोबार मंदा पड़ गया.
जानकारी के मुताबिक अब केवल बम्हौर बदनाम है, जबकि वहां कोई भी अवैध हथियारों का कारोबार नहीं करता है. कुछ स्थानीय लोग तो ये भी कहते हैं कि 25 साल पहले गुलशन कुमार की हत्या में जो हथियार इस्तेमाल किए गए थे. वो आजमगढ़ के बम्हौर में नहीं बने थे. बल्कि वो बिहार का बम्हौर इलाका था. जहां के वो हथियार थे. लेकिन दोनों जगहों का नाम एक होने की वजह से यूपी का बम्हौर बदनाम हो गया. आज भी लोग इसे बदनाम करते हैं.
दरअसल, चुनाव के वक्त अक्सर अपराधी और असामाजिक तत्व वोटिंग के दौरान गड़बड़ी फैलाने के मकसद से अवैध हथियारों का इस्तेमाल करते रहे हैं. ऐसे में एक फिर से बम्हौर का नाम को लेकर पुलिस अलर्ट है. जिला पुलिस बिल्कुल नहीं चाहती कि वहां कोई ऐसी घटना हो कि फिर से आजमगढ़ के बम्हौर का नाम सुर्खियों में आ जाए.