उत्तर प्रदेश पुलिस किस तरह निर्दोष लोगों का फर्जी तरीके से एनकाउंटर कर वाहवाही लूटने का प्रयास करती है, इसकी एक और मिसाल देखने को मिली चित्रकूट में. जहां यूपी की ठोको पुलिस ने तारीफ बटोरने के चक्कर में 31 मार्च को एक निर्दोष युवक भालचंद्र यादव को 25 हजार का इनामी डकैत बताकर मार डाला था. पुलिस ने उसे आमने-सामने की मुठभेड़ में मार गिराने का दावा किया था. अब स्पेशल कोर्ट ने इस केस में तत्कालीन एसपी और एसटीएफ जवानों समेत दो दर्जन से ज्यादा लोगों के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया है.
पुलिस के हाथों मारे गए भालचंद्र यादव के परिजनों का कहना था कि वह सतना जिले में पेशी के लिए गया था और कोर्ट में पेश भी हुआ था. जहां रजिस्टर में उसके हस्ताक्षर भी मौजूद हैं. वहां से घर लौटते समय चित्रकूट पुलिस और एसटीएफ ने उसे रास्ते में पकड़ लिया और बुरी तरह मारने पीटने के बाद उसके जिस्म में कई गोलियां उतार दीं थी. जिससे उसकी मौत हो गई थी. अपनी इस कारगुजारी को छुपाने के लिए चित्रकूट पुलिस पोस्टमार्टम कराने के बाद भालचंद यादव का शव उसके परिजनों को किसी भी हाल में सौंपने के लिए तैयार नहीं थी.
पुलिस उन पर दबाव डाल रही थी कि उसके शव का अंतिम संस्कार पुलिस की उपस्थिति में पोस्टमार्टम हाउस के बगल में ही बने अंतिम संस्कार स्थल में करना पड़ेगा. भालचंद्र यादव के परिजनों ने सतना जिले की चित्रकूट विधानसभा के कांग्रेस विधायक नीलांशु चतुर्वेदी से अपना दुखड़ा रोया था. जिसके बाद विधायक खुद पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे थे. काफी बहस, हंगामे तथा विधायक नीलांशु चतुर्वेदी के हस्तक्षेप के बाद चित्रकूट पुलिस ने मृतक के परिजनों को शव सौंप दिया था.
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जब अंतिम संस्कार के पहले परिजनों ने उसकी लाश मुआयना किया तो पाया कि उसे बुरी तरह मारा-पीटा गया था. उसके हाथ की हड्डियां तक टूटी हुई थी और प्राइवेट पार्ट भी जख्मी थे. मृतक के पिता ने चित्रकूट पुलिस द्वारा फर्जी मुठभेड़ में अपने बेटे को मार गिराये जाने के खिलाफ तमाम फोरमों सहित न्यायालय में गए थे.
6 महीने की भागदौड़ के बाद अब जाकर विशेष न्यायाधीश दस्यु प्रभावित क्षेत्र चित्रकूट कोर्ट ने मामले में 156 (3)के तहत तत्कालीन एसपी अंकित मित्तल और STF के कर्मियों सहित कुल 15 लोगो के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत करने के आदेश दिए हैं.