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कानपुरः 18 माह बाद खुला बिकरू का पंचायत भवन, गैंगस्टर विकास दुबे ने खुद लगाया था ताला

कानपुर के गैंगस्टर विकास दुबे ने बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करके पूरे देश में तहलका मचा दिया था. उसी विकास दुबे के गांव में 18 महीने बाद उसकी दबंगई का आखिरी ताला भी तोड़ दिया गया.

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विकास दुबे को एमपी पुलिस ने उज्जैन से गिरफ्तार किया था, इसके बाद वो यूपी में मारा गया
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स्टोरी हाइलाइट्स
  • पंचायत भवन पर खुद विकास दुबे ने लगाया था ताला
  • 2 जुलाई, 2020 की रात अंजाम दिया था सबसे बड़ा कांड
  • विकास दुबे की मौत के 18 माह बाद खुुला पंचायत भवन

कानपुर के बिकरू गांव में गैंगस्टर विकास दुबे की दबंगई का आखिरी ताला 18 महीने बाद टूट गया. बिकरू के पंचायत भवन में 10 महीने बाद ताला तोड़कर नए प्रधान ने कदम कदम रखा है. इससे पहले पंचायत भवन का ताला खोलने की हिम्मत किसी ने नहीं की थी, क्योंकि पंचायत भवन पर खुद विकास दुबे ने ताले लगाए थे. 

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कानपुर के गैंगस्टर विकास दुबे ने बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करके पूरे देश में तहलका मचा दिया था. उसी विकास दुबे के गांव में 18 महीने बाद उसकी दबंगई का आखिरी ताला भी तोड़ दिया गया. बिकरू गांव में पंचायत भवन बनने के बाद से ही विकास दुबे ने उस पर कब्जा कर रखा था. उस पर ताला डाल रखा था.

लेकिन गुरूवार को ताला तोड़कर नए प्रधान को कब्जा दे दिया गया है. विकास दुबे की मौत के 18 महीने हो चुके हैं. लेकिन उसकी दहशत इतनी थी कि किसी ने भी इस दौरान कभी पंचायत भवन का ताला खोलने की हिम्मत नहीं की थी. विकास दुबे ने पंचायत भवन में पर ताला उसी दिन यानी 2 जुलाई, 2020 को लगाया था, जिस रात उसने 8 पुलिसवालों को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया था.

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अब इस ताले को ग्राम सचिव प्रदीप और ग्राम प्रधान पति संजय ने बड़ी हिम्मत करके अपने सामने तुड़वाया. विकास की दहशत इलाके में इतनी थी कि पंचायत भवन पर उसके लगाए ताले को खोलने में अधिकारियों को 18 महीने लग गए. वह भी तब जब वह मर चुका था. 

बिकरू कांड के बाद प्रशासन ने विकास के भाई की पत्नी अंजलि को प्रधान पद से बर्खास्त करके नया चुनाव कराया था. जिसमें गांव के दलित वर्ग से संजय की पत्नी मधु चुनाव तो जीत गई थी. लेकिन विकास के आतंक और दहशत की वजह से उनकी या किसी अधिकारी की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वो पंचायत भवन का ताला तोड़ दें. 

ग्राम प्रधान के पति संजय का कहना है कि 2 जुलाई, 2020 से पंचायत भवन बंद पड़ा था. वे शासन-प्रशासन को चिठ्ठी भेज-भेजकर थक गए थे. वे अपने घर में तिरपाल डालकर पंचायत का काम कर रहे थे. अब जाकर उन्हें पंचायत भवन में आने का सौभाग्य मिला है. 

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