लखनऊ में यूपीएसएसएससी की ग्राम पंचायत अधिकारी ग्राम विकास अधिकारी व समाज कल्याण पर्यवेक्षक 2018 की परीक्षा के धांधली के मामले में 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. साथ ही इनके पास से 44 लाख रुपये भी बरामद किए हैं. जानकारी के मुताबिक 22 और 23 दिसंबर 2018 को उत्तर प्रदेश अधीनस्थ चयन सेवा आयोग ने ग्राम पंचायत अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी और समाज कल्याण पर्यवेक्षक की लिखित परीक्षा आयोजित की थी.
जिसमें 1953 पदों पर भर्ती थी और यह परीक्षा टीसीएस संस्था के जरिए करवाई गई थी, लेकिन ओएमआर शीट में गड़बड़ी आने पर आयोग ने 24 मार्च को इसे निरस्त कर दिया था. मामले में विभूति खंड थाने में एक एफआईआर दर्ज कराई गई थी इसकी जांच एसआईटी कर रही थी.
गिरोह के 11 सदस्यों को लखनऊ से किया गिरफ्तार
डीजी एसआईटी आर पी सिंह के मुताबिक, अभ्यार्थियों से लाखों रुपए वसूलने वाले गिरोह के 11 सदस्यों को लखनऊ से गिरफ्तार किया है. टीसीएस द्वारा नई दिल्ली में स्थित एसआरएन कंपनी को स्कैनिंग का काम दिया था. एसआरएन कंपनी ने स्कैनिंग कार्य केडी इंटरप्राइजेज से करवाया था. विवेचना में सामने आया कि परीक्षा में सुनियोजित तरीके से व्यापक पैमाने पर धांधली की गई है, जिसमें लाखों रुपए वसूले गए. परीक्षा कराने वाली कंपनी के सदस्यों से दलालों ने सांठगांठ कर अभ्यार्थियों से संपर्क साधा, जिन्होंने ओएमआर शीट को खाली छोड़ दिया था. ऐसे अभियार्थियों की शीट आयोग के स्कैनिंग रूम से निकालकर लखनऊ के थाना मड़ियाओं निवासी कोमल कमलेश सिंह को उपलब्ध कराई गई. इसके बाद कमलेश मऊ में रहने वाले अतुल कुमार राय, अयोध्या में रहने वाले दीपक वर्मा, लखनऊ आलमबाग के राजीव जोसेफ जालौन के रहने वाले महेंद्र सिंह को देते जो इन्हें भरकर कमलेश को वापस कर देते हैं. बाद में स्कैनिंग टीम के सदस्य मार्कशीट को वापस रूम में रख देते.
आरोपियों के पास से मिले लाखों रूपये
एसआईटी को इस मामले में गोमती नगर विस्तार के आरपी यादव, रामवीर सिंह सतपाल सिंह के खिलाफ अभ्यार्थी से लाखों रुपए लेने के सबूत मिले हैं. इसके साथ ही लखनऊ निवासी विमलेश कुमार, नीरज कुमार और रोहित कुमार जोकि गाजियाबाद के रहने वाला है उन सभी की भूमिका संदिग्ध पाई गई. अभी 11 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. एक आरोपी आरपी यादव के कब्जे से 19 लाख और रामवीर के कब्जे से 17 लाख जबकि सतपाल सिंह के कब्जे से 8 लाख रुपये बरामद किए गए हैं. फिलहाल, पुलिस आगे की कार्रवाई कर रही है.
आयोग ने ओएमआर शीट की जांच के दौरान 136 अभ्यार्थियों की मार्कशीट कोषागार में सुरक्षित रखी थी. ओएमआर शीट की जो प्रति अंकों की भिन्नता पर पाई गई थी इस पर आयोग ने 136 अभ्यर्थियों को परीक्षा से बाहर का रास्ता दिखा दिया था और आयोग ने उनपर 3 वर्षों के लिए किसी भी परीक्षा में शामिल होने पर रोक लगा दी थी. आयोग की ओर से 2019 में लखनऊ के विभूति खंड थाने में अभ्यर्थियों के विरुद्ध एफआइआर दर्ज कराई इसके बाद एसआईटी को जांच सौंपी गई थी. आज एसआईटी ने 11 लोगों को गिरफ्तार किया है. फिलहाल मामले में आगे की कार्रवाई की जा रही है.