इजरायल पर ईरान के हमले की आशंका को देखते हुए अमेरिका ने जबरदस्त तैयारी शुरू कर दी है. अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने एहतियात के तौर पर इस इलाके में एक कैरियर स्ट्राइक ग्रुप यानी विमान वाहक पोत तैनात कर दिया है. इसके साथ ही फाइटर जेट स्क्वाड्रन, क्रूजर और डेस्ट्रॉयर को भी मोर्चे पर लगाया गया है. यूएसएस अब्राहम लिंकन एयरक्राफ्ट कैरियर ग्रुप को मिडिल ईस्ट के लिए भेजा गया है.
इसके अलावा मिडिल ईस्ट में पहले से मौजूद यूएसएस थियोडोर रूजवेल्ट कैरियर स्ट्राइक ग्रुप को वापस बुलाया गया है. ये तैनाती इस बात का सबूत है कि ईरान और इज़रायल के बीच जंग का खतरा किस कदर बढ़ता जा रहा है. 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर हुए हमले और गाजा पर चल रही इजरायल की जवाबी कार्रवाई के बाद ये पहला मौका है, जब इतने बड़े स्तर पर इलके में फौजी लामबंदी चल रही है.
पेंटागन ने शुरू में इस इलाके में हमास, हूती और हिज्बुल्लाह सरीखे संगठनों को जवाब देने और उन्हें काबू में रखने के लिए दो कैरियर स्ट्राइक ग्रुप तैनात किए थे, लेकिन अब इसके अलावा भी तैनाती चल रही है. इसके अलावा अमेरिका ने मिडिल ईस्ट और भूमध्य सागर में बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम से लैस डिस्ट्रॉयर और क्रूजर भेजे हैं. दो अमेरिकी डिस्ट्रॉयर इजरायल के खिलाफ ईरानी मिसाइल हमले को रोकने में शामिल रहे थे.
पेंटागन ने ये भी साफ किया है कि मिसाइल डिफेंस फोर्स को भी अलर्ट पर रखा गया है. ये फैसला इस बात का सबूत है कि अमेरिका हर हाल में इजरायल की मदद के लिए तैयार है. अमेरिका का कहना है कि वो मिडिल ईस्ट में जंग को बढ़ावा नहीं देना चाहता, लेकिन लेकिन इजरायल की मदद करने के मामले में वो कमी भी नहीं करना चाहता. यही वजह है कि अमेरिका लगातार इजरायल को अपने समर्थन की बात दोहरा रहा है.
उधर, इंस्टीट्यूट ऑफ स्टडी ऑफ वार ने अपनी एक रिपोर्ट में ईरान के देफा न्यूज के हवाले से उन ठिकानों का जिक्र किया है, जहां ईरान हमला कर सकता है. इन ठिकानों को टार्गेट कर ईरान इज़रायल के डिफेंस सिस्टम को कमजोर करना चाहता है. इस लिस्ट में इज़रायली सैन्य ठिकाने, सरकारी दफ्तर, रक्षा मंत्रालय, येरुशेलम में इजरायली नेसेट बिल्डिंग, आठ प्रमुख एयरबेस, एयरपोर्ट, गैस फील्ड, पावर प्लांट्स वगैरह शामिल हैं.
ऐसा इसलिए ताकि इन हमलों से इजरायल की कमर तोड़ दी जाए. इस लिस्ट को जारी करने के पीछे एक तरह का सायकोलॉजिकल गेम यानी मानसिक व्यूह रचना भी है. जानकारों की मानें तो ईरान ये चाहता है कि इतने ठिकानों को सुरक्षित करने के सिलसिले में इजरायल हवाई और मिसाइल हमलों से बचने के सुरक्षा घेरे को बड़े इलाके में फैलाने की कोशिश कर सके, जिसका वो फायदा उठा सके और उस पर चौतरफा हमले कर दे.
ये समझा जाता है कि इस बार यदि ईरान ने हमला किया, तो इस हमले में इस्तेमाल किए जाने वाले मिसाइल और ड्रोन पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा ताकतवर होंगे. इससे पहले 13 अप्रैल को भी ईरान ने इज़रायल पर मिसाइल दाग़े थे, लेकिन तब इजरायल के आयरन डोम सिस्टम ने ज्यादा हमलों को नाकाम कर दिया था. फिलहाल छिटपुट हवाई हमले दोनों तरफ से जारी हैं. इनमें अभी तक इजरायल रॉकेट हमलों को रोकने में सफल रहा है.
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हमास लीडर इस्माइल हानिया की हत्या के बाद मध्य-पूर्व में तनाव चरम पर है. इसी बीच ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड के कमांडर होसैन सलामी ने इजरायल को कड़ी सज़ा देने की बात कही है. इस मौके पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनानी भी उनके साथ मौजूद रहे. उन्होंने कहा कि ईरान क्षेत्र मे तनाव नहीं बढ़ाना चाहता था, लेकिन इजरायल ने उनके तमाम कोशिशों को भी नाकाम कर दिया है.
इजरायल ने हानिया की हत्या करके क्षेत्र में तनाव को बढ़ा दिया है. इस बीच ईरान की राजधानी तेहरान में सोमवार को इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड के ईरानी प्रमुख जनरल मोहम्मद बघेरी ने रूसी सुरक्षा परिषद के सचिव सर्गेई शोइगु से मुलाकात की है. इस दौरान क्षेत्रीय मुद्दों और संभावित सहयोग पर चर्चा की. इस बैठक में तेहरान में रहने वाले राजदूत और कई प्रमुख शख्सित भी मौजूद रहे.
वहीं, अमेरिका ने रूसी सुरक्षा परिषद के सचिव सर्गेई शोइगु के दौरे पर अपनी प्रतिक्रिया दी और सवाल उठाया कि ऐसे मौके पर उनका ये दौरा क्यों है. हालांकि उन्होंने यूक्रेन के खिलाफ जंग में समर्थन हासिल करने को लेकर भी संभावना जताई है. यही नहीं अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने मिडिल ईस्ट में तनाव कम करने के लिए राजनयिकों से आह्वान करते हालात नाजुक बताया है.