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उम्र आठ साल, बेखौफ चेहरा और 3 कत्ल... कौन है दुनिया का सबसे छोटा सीरियल किलर?

वह आठ साल में ही अपराध की दुनिया में दाखिल हो चुका था. तीन मर्डर करने के बाद भी उसके चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी, न ही किसी बात का पछतावा. पुलिस के सामने वह मुस्कराता था. पूछने पर कहता था कि ऐसा करके उसे मजा आता है. सबसे कम उम्र का ये कातिल बिहार के बेगूसराय जिले में जन्मा था. विस्तार से जानिए ये कहानी...

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प्रतीकात्मक तस्वीर.
प्रतीकात्मक तस्वीर.

ये कहानी दुनिया के उस सीरियल किलर की है, जिसकी उम्र सुनकर आप हैरान रह जाएंगे. जिस उम्र में बच्चे तीसरी-चौथी कक्षा में पहुंचते हैं, उस एज में बिहार का एक बच्चा खौफनाक वारदातों को अंजाम देने लगा. अपराध की दुनिया में वैसे तो तमाम कम उम्र के क्रिमिनल हुए, लेकिन बिहार के सुमित (बदला हुआ नाम) को दुनिया का सबसे छोटा सीरियल किलर माना जाता है. जब वह 8 साल का था, तब उसने कथित तौर पर तीन लोगों की हत्या कर दी.

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वो साल 2007 था, जब बिहार के बेगूसराय जिले का एक गांव दो मर्डर के बाद दहल उठा था. दो कत्ल के बाद जब तीसरा कत्ल हुआ तो मामला पुलिस तक पहुंचा. पुलिस ने मामले की तहकीकात की तो जो खुलासा हुआ, उसे सुनकर अफसर लेकर आम लोग तक दंग रह गए. ये कत्ल 8 साल के सुमित  ने किए थे. पुलिस ने जब उससे इन हत्याओं के पीछे की वजह पूछी तो उसकी बातें सुनकर सब हैरान रह गए. उसका कहना था कि लोगों को मारने में उसे मजा आता था.

सुमित का जन्म 1998 में बिहार के बेगूसराय जिले के एक गांव में हुआ था. उसके माता-पिता बेहद गरीब थे. जब वह सात साल का था, तब उसकी बहन का जन्म हुआ. गरीबी के चलते दो जून की रोटी के लिए परिवार को जूझना पड़ता था. फाकाकशी में जीते हुए सुमित दिनभर इधर-उधर घूमता रहता था. कभी पेड़ों पर चढ़ता तो कभी दोस्तों के साथ खेलने लग जाता.

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बच्चे ने किसका किया था पहला कत्ल?

जानकारी के अनुसार, सुमित की चाची एक बार काम की तलाश में शहर गई थी. इस दौरान उसने अपने बच्चे को सुमित के माता-पिता के पास छोड़ दिया. एक दिन सुमित की मां राशन लेने बाजार चली गई तो चचेरे भाई और अपनी छोटी बहन की देखभाल की जिम्मेदारी सुमित की थी.

सुमित के घर में जब कोई नहीं होता था तो वह अपनी चाची के बेटे और छोटी बहन को पीटता था, जब बच्चे रोने लगते थे तो उससे सुमित को मजा आता था. इसी बीच एक दिन उसने अपनी चाची के बेटे का गला दबा दिया. जब उसकी मौत हो गई तो सुमित ने उसे बाहर ले जाकर घास के नीचे दबा दिया और घर लौट आया.

परिवार ने की थी मामला छिपाने की कोशिश

सुमित की मां जब घर लौटी तो उसने देखा कि बच्चा नहीं है. इसके बाद सुमित से पूछताछ की तो उसने मां को बता दिया कि उसने बच्चे के साथ क्या किया है. इस घटना के बाद सुमित के पिता ने उसे पीटा, लेकिन मामले की जानकारी पुलिस को नहीं दी. इसके बाद बच्चे की मौत को लेकर चाची को बताने के लिए एक झूठी कहानी तैयार कर ली.

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इसके बाद सुमित की अगली शिकार उसकी आठ महीने की बहन थी. जब माता-पिता सो रहे थे, उसी दौरान उसने बहन का गला घोंट दिया. सुमित के चाचा ने कहा था कि फैमिली के लोगों को हत्या के बारे में जानकारी थी, लेकिन वे 'पारिवारिक मामला' मानकर पुलिस के पास नहीं गए.

तीसरे कत्ल को दिया अंजाम तो पुलिस तक पहुंचा केस

साल 2007 में जब तक सुमित ने तीसरे बच्चे की हत्या नहीं की, तब तक पुलिस को कोई जानकारी नहीं थी. सुमित की अगली शिकार पड़ोस में रहने वाली खुशबू नाम की छह महीने की बच्ची थी. इस बच्ची की मां ने पुलिस को बताया था कि बेटी गांव के पास एक स्कूल में थी, वहीं से लापता हो गई थी. उसकी तलाश की तो कोई जानकारी नहीं मिली.

कुछ घंटों बाद सुमित ने कथित तौर पर स्वीकार किया कि उसने बच्ची का गला दबा दिया और ईंटों के कुचलकर हत्या कर दी और शव को मिट्टी में दबा दिया. इसके बाद सुमित ग्रामीणों को उस जगह पर ले गया.

पुलिस के सामने कबूल की थी हत्या की बात

जानकारी के मुताबिक, इस घटना की खबर लोगों ने पुलिस को दी. पुलिस आकर सुमित को अपने साथ ले गई और उससे पूछताछ की. पूछताछ में उसने स्वीकार किया कि उसने तीन महीने पहले अपनी बहन की हत्या कर दी थी. इसके अलावा एक साल पहले अपने चचेरे भाई की हत्या कर दी थी.

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बता दें, पुलिस ने जब उससे पूछताछ की तो उसने उनसे पहले बिस्किट मांगा. फिर सारी घटना की जानकारी उन्हें दी. इस मामले को लेकर इंस्पेक्टर शत्रुध्न कुमार ने कहा था कि सभी वारदातों को एक ही जैसे तरीके से अंजाम दिया गया था.

एक बार पुलिस ने कहा था कि सुमित जब हिरासत में था तो वह मुस्कुरा रहा था, लेकिन बोला कुछ भी नहीं. इस घटना को लेकर उस वक्त एक मनोवैज्ञानिक ने कहा था कि सुमित को मानसिक समस्या थी, जिसमें वह दूसरों को चोट पहुंचाकर खुश होता था. 

24 साल का हो चुका है नाबालिग हत्यारा

भारतीय कानून के तहत किसी नाबालिग को जेल नहीं भेजा जा सकता. उसे 18 साल की उम्र होने तक बाल सुधार गृह में रखा जाता है. सुमित के केस में जब मनोचिकित्सकों ने स्टडी की तो यह माना गया कि उसे 'मानसिक विकार' थे. हालांकि वर्तमान वह कहां है, यह स्पष्ट नहीं है. सुमित अब 24 साल का हो चुका है.

मानसिक विकृति वाले देते हैं ऐसी वारदातों को अंजाम

साल 1966 में ब्रिटिश लेखक जॉन ब्रोडी ने सबसे पहले सीरियल किलर शब्द का इस्तेमाल किया था. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ जस्टिस ने अलग-अलग घटनाओं में दो या दो से अधिक कत्ल की सीरीज को सीरियल किलिंग के रूप में परिभाषित किया है. इस तरह एक मानसिक विकृति से पीड़ित शख्स अपनी संतुष्टि के लिए अगर मर्डर करता है तो वह सीरियल किलर कहलाता है.

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सीरियल किलिंग का मुख्य मकसद मनोवैज्ञानिक संतुष्टि होती है. क्रोध, रोमांच, वित्तीय लाभ और ध्यान आकर्षित करने के लिए अधिकतर सीरियल मर्डर किए जाते हैं. मशहूर शोधकर्ता स्टीव इग्गेर ने भी इस पर बात की है.

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