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मर्डर केस में कमी निकाल कर बचना चाहता था आरोपी, कोर्ट ने कहा- 'गवाह झूठे हो सकते हैं परिस्थितियां नहीं'

हाईकोर्ट ने ये बात एक ट्रिपल मर्डर केस में एक आरोपी की याचिका को रद्द करते हुए कही है. कोर्ट का कहना है कि 'जांच प्रक्रिया की छोटी-छोटी चीजों में लूपहोल निकालने का फायदा आरोपी को नहीं दिया जा सकता. अपरिपक्व और सारहीन कमियों का लाभ आरोपी के पक्ष में नहीं दिया जा सकता ये न्याय के नियम के खिलाफ है.''

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बॉम्बे हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
बॉम्बे हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • एक ट्रिपल मर्डर केस में बॉम्बे हाईकोर्ट का बयान
  • 'उपलब्ध परिस्थितियां अपने लिए खुद बोलती हैं'
  • जांच प्रकिया में सारहीन कमियों का फायदा आरोपी को नहीं दिया जा सकता

बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि ''गवाह झूठ बोल सकते हैं लेकिन हालात (स्थितियां) खुद के लिए बोलती हैं. हाईकोर्ट की एक बेंच ने ये बात एक ट्रिपल मर्डर केस में एक आरोपी की याचिका को रद्द करते हुए कही है. कोर्ट का कहना है कि 'जांच प्रक्रिया की छोटी-छोटी चीजों में लूपहोल निकालने का फायदा आरोपी को नहीं दिया जा सकता. अपरिपक्व और सारहीन कमियों का लाभ आरोपी के पक्ष में नहीं दिया जा सकता ये न्याय के नियम के खिलाफ है.''. ये कहते हुए ट्रिपल मर्डर के आरोपी की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा है.

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मामला ऐसा है कि साल 2015 में एक अशोक धवले नाम के युवक ने अपनी प्रेमिका, उसकी बहन और उनकी मां की हत्या कर दी थी. इन्हीं दोनों की एक शादीशुदा बहन रायगढ़ जिले में रहती थी, एक दिन उसने अपनी मां को फोन किया. मां का फोन नहीं उठा तो उसने अपनी बहनों को फोन किया. छोटी बहन ने कहा कि मां अपने भाई के यहां रहने गई है, जब रायगढ़ वाली महिला ने अपनी मां को ढूंढने के लिए पूरी कोशिश कर ली, सभी रिश्तेदारों को फोन कर लिया तो उसने दोबारा अपनी बहन को फोन किया, लेकिन उसका भी फोन स्विच ऑफ आया.

उसे अपने चचेरे भाई से पता चला कि उसकी एक बहन का अशोक धवले नाम के एक युवक के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा है. लेकिन अशोक के गांव के लोगों को वो प्रेम प्रसंग पसंद नहीं था, इस कारण उनमें आपस में झगड़ा चल रहा था. इस मामले में रायगढ़ की महिला को शक हुआ तो उसने अशोक के खिलाफ मामला दर्ज करा दिया. जब पुलिस ने इस मामले की जांच की तो उसे उसके पास से तीनों शव मिले. लेकिन इन तीनों शवों को काफी वक्त हो गया था. पुलिस को उसके पास मृतक लड़की और उसके बीच के प्रेम पत्र भी मिले थे.

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अलीबाग सेशन कोर्ट ने इस मामले में अशोक को दोषी माना. इसके बाद अशोक बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंचा. इस मामले में जांच प्रक्रिया में कुछ मामूली सी ऐसी चीजें थीं जिनको आधार बनाकर अशोक अपनी रिहाई चाहता था, उसका कहना था कि इस मामले में उसे केवल शक के आधार पर ही दोषी बनाया गया है. लेकिन अदालत ने ये कहकर उसकी याचिका को रद्द कर दी कि उपस्थित परिस्थितियों से स्पष्ट है कि उसी ने मर्डर किया है. इसलिए कोर्ट ने उसकी उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा है.

 

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