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दिवाली से पहले घर की साफ-सफाई एक महिला को बहुत भारी पड़ सकती थी लेकिन गनीमत रही कि अंत भला तो सब भला रहा. पिंपरी चिंचवाड़ में 45 वर्षीय महिला ने दिवाली से पहले घर की सफाई करते समय पुरानी चीजों के साथ एक खस्ता हाल पर्स भी कचरे में डाल दिया. फिर उस कचरे को पिकअप वैन के हवाले कर दिया. पिकअप वैन ने सारा कचरा बड़े डम्प (डेपो) में गिरा दिया जहां कई टन कचरा जमा था. दिवाली में लोग सफाई करते हैं, इसलिए घरों से कचरा भी अधिक निकल रहा है.
महिला का बेटा प्राइवेट जॉब में है. उसकी जल्द ही शादी होने वाली है. महिला को बाद में याद आया कि उस पर्स में तो करीब तीन लाख रुपए की जूलरी रखी हुई थी. महिला ने काफी पहले ये सोच कर जूलरी उस पर्स में रखी थी कि जब बहू आएगी तो उसके हवाले कर देंगी. पर्स का और कोई इस्तेमाल नहीं हो रहा था.
पर्स में जूलरी की याद आने के बाद उड़े महिला के होश
महिला को जब पर्स में जूलरी की याद आई तो उसके होश उड़ गए. महिला ने बेटे को ये बात बताई. फिर इस बात की जानकारी नगर निगम के एक आला अधिकारी को दी गई. फिर पता लगाया गया कि किस वक्त किस पिक अप वैन ने डेपो में जाकर कचरा गिराया. उस सफाईकर्मी का नंबर मांगा गया जो उस वक्त डेपो पर ड्यूटी पर तैनात था.
सफाई कर्मी को दी पर्स की जानकारी
आला अधिकारी से मिले नंबर पर महिला ने उस सफाई कर्मी को पर्स के बारे में बताया. सफाई कर्मी हेमंत लखन ने महिला को डेपो में आने को कहा, जहां कचरे का अंबार लगा हुआ था. हेमंत ने ये भी पूछा कि वो किस एरिया में रहती हैं. किस वक्त वहां पिकअप वैन आई थी. महिला जब डेपो पर पहुंची तो वहां कचरे के पहाड़ को देखकर जूलरी वाले पर्स के मिलने की उसकी रही सही उम्मीद भी खत्म हो गई. यहां पर्स ढूंढना समंदर से सुई निकालने के समान था. पूरे शहर का कचरा यहां डम्प होता है.
सफाईकर्मी हेमंत के अंदाजे से मिला पर्स
सफाईकर्मी हेमंत ने अंदाज लगाया कि किस एरिया का कूड़ा कहां हो सकता है. उसने उसी हिसाब से कचरे को छानना शुरू किया. हेमंत ने एरिया को ध्यान में रखकर जहां पर्स ढूंढना शुरू किया, वहीं करीब 18 टन कूड़ा जमा था. आखिर 33 साल के हेमंत ने काफी मेहनत के बाद पर्स ढूंढ निकाला. महिला के हवाले कर दिया. दरअसल, 2013 में भी हेमंत ऐसा ही एक वाकया देख चुका था. तब एक युवती ने नौ तोला सोने का मंगलसूत्र भी गलती से इसी तरह कचरे के हवाले कर दिया था. तब भी हेमंत ने उसे ढूंढ निकाला था.
अभी महिला ने पर्स पाने के बाद हेमंत को इनाम देना चाहा तो उसने लेने से इनकार कर दिया. 18,000 रुपए महीना वेतन पाने वाले हेमंत का कहना है कि उसे अपने काम के लिए निगम से वेतन मिलता है और उसने अपनी ड्यूटी को ही अंजाम दिया. हेमंत एक भजन मंडली से जुड़ा है और अपना खाली वक्त भजन गाने में लगाता है. वो पांच भाषाओं- हिन्दी, मराठी, सिंधी, गुजराती, कोंकणी में भजन गा सकता है. शहर के साथ साथ सोशल मीडिया पर भी हेमंत लखन की ईमानदारी और ड्यूटी के प्रति निष्ठा की चर्चा हो रही है.