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हाथरस केसः योगी सरकार ने SC से कहा- पकड़े गए लोग हिंसा की साजिश रच रहे थे, हमारे पास सबूत

जांच एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक मलयालम मीडिया में जामिया मिलिया में हुए तनाव में 2 छात्रों को गोली मारने की फेक न्यूज फैलाने में भी इस आरोपी का बड़ा हाथ था. आरोपी अपने प्रभाव और फंड से मलयालम मीडिया में हिंदू विरोधी खबरें बनाता था.

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योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हमारे पास हैं सबूत (पीटीआई)
योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हमारे पास हैं सबूत (पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 'रिपोर्टर के तौर पर दिल्ली के मीडिया सर्किल में घुसा सिद्दीकी'
  • 'आरोपी जामिया का पूर्व छात्र, तेजस में बतौर रिपोर्टर काम किया'
  • अखबार 2018 से बंद हो गया, खुद को रिपोर्टर बताता रहा-सूत्र

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि हाथरस में बड़े पैमाने पर जातीय और धार्मिक दंगे फैलाने की साजिश में पकड़े गए तथाकथित पत्रकार और पीएफआई के सदस्य सिद्दीकी कप्पन और उनके साथियो के संलिप्तता के प्रमाण उनके पास हैं.

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इसी क्रम में आज शनिवार को सरकारी सूत्रों के हवाले जो पता चला कि हाथरस के बहाने बड़ी साजिश का खेल रचा गया था. अभी तक की जांच में जांच एजेंसियों के हाथ काफी कुछ लगा है. जांच एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक कई ऐसे सुबूत आए हैं जो इस पत्रकार के न सिर्फ पीएफआई से लिंक साबित करते हैं बल्कि सरकार की मानें तो यह भी सिद्ध होता है कि ये लोग पूरी तैयारी के साथ हाथरस मामले को जातीय रंग देने का प्लान बना चुके थे.

सरकार के हाथ क्या लगे सबूत

आइए, जानते हैं कि जांच के दौरान सरकार को हाथरस कांड में इनकी भूमिका के क्या सबूत हाथ लगे हैं.

आरोपी सिद्दीकी कप्पन जामिया मिलिया का पूर्व छात्र रहा है और तेजस (thejas) अखबार के रिपोर्टर के तौर पर दिल्ली के मीडिया सर्किल में घुसा था. 5 अक्टूबर 2020 को इसकी गिरफ्तारी के दौरान मोबाइल फोन, लैपटॉप, पैम्फलेट मिले थे. पैम्फलेट पर लिखा था 'Justice for Hathras victim'.ये पैम्फलेट सांप्रदायिक हिंसा को बढ़ावा देने वाले, बड़े स्तर पर प्रदर्शन के दौरान पुलिस से बचने के तरीकों से अवगत कराने, इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस से बचने, आदि वाले थे.

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आरोपी के पास से मिले लैपटॉप को जांच के लिए भेजा गया. उसमें से मिले डेटा में आरोपी का साइन्ड नोटिस मिला जिसे उसने एक न्यूज पेपर के एडिटर इन चीफ को भेजा था.

एडिटर इन चीफ से पूछताछ में पता चला कि आरोपी सिद्दीकी जामिया मिलिया का पूर्व छात्र रहा है और तेजस (thejas) अखबार के रिपोर्टर के तौर पर दिल्ली के मीडिया सर्किल में घुसा था. ये पीएफआई का ऑफिस सेक्रेटरी था और केरल जर्नलिस्ट एसोसिएशन डेलही यूनिट से जुड़ा था.

मलयालम मीडिया में जामिया मिलिया में हुए तनाव में 2 छात्रों को गोली मारने की फेक न्यूज फैलाने में भी इसका बड़ा हाथ था. आरोपी अपने प्रभाव और फंड से मलयालम मीडिया में हिंदू विरोधी खबरें बनाता था.

केपटाउन का खर्चा पीएफआई ने उठाया
आरोपी 2018 में केपटाउन भी गया था. जिसका खर्चा पीएफआई ने उठाया था. आरोपी सिद्दीकी कप्पन का संबंध पीएफआई के सदस्य पी. कोया के साथ भी था. पी कोया प्रतिबंधित संगठन सिमी का सदस्य भी था.

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आरोपी अपने आपको तेजस अखबार का रिपोर्टर बताता था. जांच में पता चला कि अखबार दिसंबर 2018 से प्रकाशित होना बंद हो गया था.

जिस कार में आरोपी अपने तीन अन्य आरोपियों के साथ घूमता था. उसका ड्राइवर आलम दानिश का ब्रदर इन लॉ था. दानिश दिल्ली नॉर्थ ईस्ट हिंसा केस का आरोपी है. जबकि एक अन्य आरोपी अतीक उर रहमान मुजफ्फरनगर दंगे का आरोपी रहा है.

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कप्पन समेत अन्य आरोपियों ने यह बात कबूली है कि ये लोग सीएफआई के जनरल सेक्रेटरी रउफ शरीफ और पीएफआई के सदस्य दानिश के निर्देश पर हाथरस अप्रोच कर रहे थे.

जांच अधिकारी ने 8 अक्टूबर को आरोपी सिद्धीकी कप्पन से जब पूछताछ की तो उसने अपना तेजस का आई कार्ड दिखाया. आरोपी ने खुद को मलयालम न्यूज पेपर तेजस और अजीमुखम ऑनलाइन न्यूज पोर्टल का रिपोर्टर बताया.

राज्य सरकार ने पिछले महीने 18 अक्टूबर को यह जांच एसटीएफ यूपी को सौंपने का निर्देश दिया. आरोपी सिद्धीकी कप्पन के बैंक खातों से पता चलता है कि उसे पीएफआई और सीएफआई से पैसा मिलता रहा है.

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