बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती को तगड़ा झटका दिया है. शीर्ष अदालत ने मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत 10 लोगों के खिलाफ आपराधिक साजिश का मुकदमा चलाने का आदेश दिया है. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस बाबत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बड़ा फैसला सुनाया है. दरअसल, 6 दिसंबर 1992 को हजारों की संख्या में सेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद ढहा दिया, जिसके बाद सांप्रदायिक दंगे हुए. सीबीआई ने कोर्ट से बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी और मध्य प्रदेश की पूर्व सीएम उमा भारती सहित 13 नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश का मुकदमा चलने की मांग की थी.
बाबरी ढांचा पर चढ़े हजारों कार सेवक. बाबरी ढांचा को बचाने के लिए राज्य
सरकार ने पुख्ता इंतजाम किए थे लेकिन वह कारगर साबित नहीं हुआ. इस कारण
हजारों कार सेवकों की उन्मादी भीड़ ने 6 दिसंबर, 1992 को बाबरी ढांचा को
ध्वस्त कर दिया.
ऐतिहासिक बाबारी ढांचा का निशान मिटाया जा रहा था और प्रशासन कुछ भी नहीं कर पा रही थी.
अयोध्या में हिन्दुवादी संगठनों और बीजेपी के तमाम बड़े नेता मौजूद थे. विवादित परिसर के चारों तरफ घेरा बनाकर योजना को अंजाम दिया जा रहा था.
बाबरी ढांचा पर चढ़ें हजारों कार सेवक.
ध्वस्त होने से पहले बाबरी ढांचा की तस्वीर.
सरकार ने पहले ही बाबरी ढांचा परिसर के जमीन का अधिग्रहण कर लिया था और मामला कोर्ट में लंबित था.
बाबरी ढांचा ध्वस्त होने का बाद अयोध्या में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे.
ढांचा गिराने के बाद जश्न मनाते कार सेवक.
विध्वंस के बाद एक दूसरे को बधाई देते कार सेवक.
6 दिसंबर, 1992 को पूरा अयोध्या भगवा झंडों से पट चुका था. हर तरफ कार सेवर नजर आ रहे थे.