मेरठ के कंकरखेड़ा में यूपी पुलिस ने दिनदहाड़े एक एनकाउंटर में दिल्ली के सबसे बड़े डॉन शिव शक्ति नायडू को ढेर कर दिया. कंकरखेड़ा में उस वक्त अफरातफरी मच गई जब लगातार गोलियों की गड़गड़ाहट से आसमान गूंजने लगा.
दरअसल यह गोलियां पुलिस और बदमाशों के बीच एक मुठभेड़ में चल रही थी. लगभग आधे घंटे तक चली मुठभेड़ के बाद पुलिस ने दिल्ली के कुख्यात बदमाश शिव शक्ति नायडू को मार गिराया. बता दें नायडू पर पुलिस ने एक लाख रुपये का ईनाम भी रखा था.
पुलिस ने नायडू के एनकाउंटर के बाद वहां से एक कार्बाइन, एक डबल बैरल बंदूक, भारी मात्रा में कारतूस और लूटी हुई फॉर्च्यूनर एसयूवी कार बरामद की है जो उसने कुछ दिनों पहले दिल्ली-देहरादून हाइवे पर लूटी थी.
बताया जा रहा है कि दिल्ली का रहने वाला शक्ति नायडू एक दिन पहले ही दिल्ली-देहरादून हाइवे से फॉर्च्यूनर एसयूवी कार लूटकर भागा था. पुलिस को उसकी लोकेशन कंकरखेड़ा थाना इलाके के वैष्णो धाम मे मिली थी.
एडीजी मेरठ जोन प्रशांत कुमार के मुताबिक कंकरखेड़ा में नायडू की लोकेशन मिलने के बाद पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची. जैसे ही इसकी खबर एक मकान में छिपे नायडू को मिली अंदर से पुलिस पर फायरिंग शुरू हो गई. पुलिस ने भी जवाबी फायरिंग की और जब कमरे से गोलियों की आवाज आनी बंद हो गई तो टीम अंदर गई. अंदर नायडू घायल पड़ा था जिसने अस्पताल में दम तोड़ दिया.
एनकाउंटर के दौरान कुछ पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं. मुठभेड़ के दौरान सीओ जितेंद्र सरगम बदमाशों की गोली से घायल हो गए. बताया जा रहा है कि एसएसपी की बुलेट प्रूफ जैकेट में भी बदमाशों की गोली लग गई थी लेकिन उन्हें कोई नुकसान नहीं हुआ.
इस सनसनीखेज एनकाउंटर को लेकर मेरठ के एसएसपी ने बताया कि नायडू ने 15 दिन पहले अपने साथी और तिलकराज और उसके भतीजे हनी पर हमला किया था जिसमें हनी की मौत हो गई थी. इसके बाद उसका सहयोगी रहे तिलकराज ने दावा किया था कि नायडू दिल्ली के एसीपी मोहन नेगी और मेरठ के इंस्पेक्टर विपन कुमार की मर्डर की प्लानिंग की साजिश रच रहा था.
पुलिस ने बताया कि नायडू ने तिलकराज, हनी समेत 14 बदमाशों के साथ मिलकर 28 जनवरी 2014 को दिल्ली में फिल्म कारोबारी राज कुंद्रा से 7 करोड़ 80 लाख रुपये लूटे थे. दिल्ली स्पेशल सेल ने शक्ति नायडू, तिलकराज और हनी को इस मामले में गिरफ्तार किया था. अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा से दिल्ली के लाजपत नगर में करीब 8 करोड़ रुपये लूटे गए थे.
एसीपी के मुताबिक स्पेशल सेल के एसीपी ललित मोहन ने नायडू पर महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट (मकोका) लगाया था. इसलिए वह उनकी जान का दुश्मन बन गया था.
मेरठ पुलिस ने दावा किया है कि जांच में सामने आया था कि दिल्ली पुलिस का एक सिपाही उसका मददगार था. वह उसके लिए हथियार और साथियों की सेटिंग से सरेंडर की प्लानिंग करने में मदद करता था.
एसएसपी ने बताया कि नायडू 6 साल जेल में रह चुका था और फिलहाल पैरोल पर जेल से निकलने के बाद फरार था. नायडू विवादित प्रॉपर्टी पर कब्जा कर उसे बेचने का धंधा करता था. पुलिस के मुताबिक 6 साल तिहाड़ जेल में रहकर ही उसने अपना गैंग बना लिया था.
जुलाई 2019 में पैरोल पर बाहर आने के बाद नायडू ने 6 महीने में ही दिल्ली और वेस्ट यूपी में अपना नेटवर्क फैला लिया. दिल्ली में नायडू का पहले से आतंक था और इसका फायदा उठाते हुए उसने पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, यूपी में लूट और डकैती के शातिर बदमाशों को अपनी गैंग में शामिल किया और ऐसी वारदातों को बड़े पैमाने पर अंजाम देने लगा.