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कानपुर मुठभेड़ की कहानी, फायरिंग में जख्मी थाना इंचार्ज की जुबानी

कानपुर मुठभेड़ की कहानी, फायरिंग में जख्मी थाना इंचार्ज की जुबानी
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कानपुर से सटा बिकरू गांव अभी चर्चा में है क्योंकि वहां शुक्रवार को तड़के हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के गुर्गों और पुलिस के बीच हुई मुठभेड़ में 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए. इनमें अधिकारी भी शामिल हैं. अब इस एनकाउंटर में मौके पर मौजूद रहे बिठूर के थाना इंचार्ज कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने जो बताया है वो सुनकर आप समझ जाएंगे कि कैसे बदमाशों ने घात लगाकर पुलिसकर्मियों पर गोलियों की बौछार कर दी. बता दें कि कौशलेंद्र प्रताप सिंह को भी बदमाशों की दो गोली लगी है और अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है. (तस्वीर - कौशलेंद्र प्रताप सिंह)
कानपुर मुठभेड़ की कहानी, फायरिंग में जख्मी थाना इंचार्ज की जुबानी
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बिठूर के थाना इंचार्ज कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि चौबेपुर थानाध्यक्ष विनय तिवारी के फोन पर वो रात के करीब 12 बजे अपने थाने की फोर्स को लेकर बिकरू गांव पहुंचे थे. उन्होंने कहा कि विनय तिवारी ने पुलिसकर्मियों को विकास दुबे को लेकर ठीक से ब्रीफ (जानकारी) नहीं किया. उन्होंने कहा कि बिकरू गांव चौबेपुर थाने के तहत आता है लेकिन थानाध्यक्ष विनय तिवारी ने इस ऑपरेशन को गंभीरता से नहीं लिया जिससे 8 पुलिकर्मी शहीद हो गए. (फाइल फोटो)
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उन्होंने कहा कि विनय तिवारी ने आसपास के थानों की फोर्स को फोन करके दबिश के लिए बुलाया था लेकिन उन्होंने न तो विकास दुबे के बारे में और न ही गांव के बारे में अन्य थानेदारों और जवानों को कोई जानकारी दी. कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने आरोप लगाया कि विनय तिवारी ने गांव में पहुंचने पर टीम को आगे से लीड नहीं किया. (तस्वीर - कौशलेंद्र प्रताप सिंह)
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एनकाउंटर में घायल कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि गांव के बारे में कोई जानकारी नहीं होने की वजह से पुलिस टीम विकास दुबे के घर के पास सीधे फ्रंट लाइन पर पहुंच गई. चूंकि विकास दुबे को पहले से ही इसकी सूचना मिल गई थी इसलिए पुलिस टीम के वहां पहुंचते ही दोनों तरफ से फायरिंग शुरू कर दी गई.

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एनकाउंटर के दौरान ही कौशलेन्द्र प्रताप सिंह को दो गोलियां लगी फिर भी उन्होंने अपने एक साथी की जान बचाई. घायल होने के बाद भी उन्होंने बहादुरी दिखाई और अपनी जान की परवाह किए बिना जमीन पर घायल पड़े सिपाही अजय सिंह को ट्रैक्टर ट्राली के पीछे से छिपकर वहां से सुरक्षित निकाला. (तस्वीर - कौशलेंद्र प्रताप सिंह)
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सिंह ने बताया कि खुद की जान बचने की खुशी से ज्यादा उन्हें अपने आठ साथियो को खोने का दुख हो रहा है, उन्होंने बताया कि उनकी आंखों के सामने  चौकी इंचार्ज अनूप और सिपाही राहुल अपराधियों की गोलियों के शिकार हो गए.
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हमले को लेकर कौशलेन्द्र सिंह ने बताया कि जब अंधेरे में हम पर फायरिंग शुरू हुई तो हमें समझ ही नहीं आया कि गोली कहां से आ रही है. उन्होंने कहा कि इसके बाद मैंने पिस्टल से जवाबी कार्रवाई शुरू की लेकिन बदमाशों के छत पर होने की वजह से गोलियों वहां तक नहीं पहुंच रही थीॆ. (तस्वीर - विकास दुबे)
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घायल कौशलेंद्र सिंह ने बताया कि जितने भी लोग इस एनकाउंटर में शहीद हुए वो भी सीधे तौर पर बदमाशों के सामने नहीं थे. लेकिन दुर्भाग्य से जैसे ही फायरिंग शुरू हुई पुलिस की टीम अंधेरे में उस जगह पहुंच गई जहां ऊपर छत से बदमाश तोबड़तोड़ गोलियां बरसा रहे थे. (फाइल फोटो)
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