यूपी के बाराबंकी में लॉकडाउन में बेरोजगार हुए तीन युवकों ने अपने खर्चे और शौक पूरे करने के लिए 6 साल के चचेरे भाई का अपहरण कर लिया और परिजनों से 3 लाख रुपये फिरौती मांग ली. पैसे न देने पर बच्चे को जान से मारने की धमकी तक दे डाली. घटना की जानकारी पुलिस को हुई तो खुलासे ने सबको हैरान कर दिया.
बाराबंकी के बड़डूपुर थाना क्षेत्र के लिलौली गांव के रहने वाले राजमिस्त्री रघुराज के 6 साल के बेटे सुमित का अपहरण 12 नवंबर को हो गया था. उसी रात को रघुराज को एक फोन कॉल आई. इसमें उसके बेटे के अपहरण की जानकारी देते हुए उससे तीन लाख रुपये की फिरौती मांगी गई. उसे धमकी दी कि अगर फिरौती नहीं दी तो बच्चे को जान से मार दिया जाएगा.
घबराए परिजनों ने थाने में अपहरण का मुकदमा लिखाया लेकिन डर और दहशत के चलते फिरौती की बात पुलिस को नहीं बताई. पुलिस बच्चे की तलाश में जुट गई. पुलिस की सख्ती का असर रहा कि अपहर्ता बच्चे को गांव में अंधेरे में छोड़कर भाग निकले. पुलिस अपहर्ताओं तक पहुंच गई और अपहरण में शामिल लिलौली निवासी विमल, संजय, सुधीर राहुल को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने इनके पास से दो तमंचे और 4 कारतूस बरामद किए.
पुलिस पूछताछ में पकड़े गए अभियुक्तों ने बताया कि विमल, संजय और सुधीर तीनों महाराष्ट्र के जलाना जनपद में स्थित एक फैक्ट्री में काम करते थे और 12 से 14 हजार रुपये हर महीने कमाते थे. इन रुपयों को वे महंगे शौक पर खर्च करते थे. करीब साल भर पहले ये तीनों घर आ गए और फिर लॉकडाउन के चलते महाराष्ट्र वापस नहीं जा सके. महंगे शौक और फिजूलखर्ची को पूरा करने के लिए इनके पास जब रुपये नहीं रह गए तो इन्होंने ये साजिश रची.
अभियुक्त सुधीर ने अपने साथियों के साथ मिलकर अपने चचेरे भाई 6 साल के सुमित के अपहरण और फिरौती की योजना बनाई. योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए इन्होंने अपने मोबाइल शॉप करने वाले फतेहपुर के इसरौली के रहने वाले राहुल को योजना में शामिल किया और उसकी दुकान से बिना आईडी के एक सिम खरीदी.
योजना के मुताबिक सुधीर और विमल बच्चे सुमित के पास गए और बहाने से उसे बाइक पर बैठा कर देवां थाने के मित्तई ले गए. सुमित अपने चचेरे भाई सुधीर को पहचानता था लिहाजा उसने कोई विरोध भी नहीं किया. उसके बाद विमल ने खरीदी गई सिम को अपने पुराने मोबाइल में लगाकर सुमित के पिता रघुराज को फोन किया और उन्हें अपहरण की जानकारी देते हुए 3 लाख की फिरौती मांगी.
अभियुक्त संजय की लिलौली गांव में परचून की दुकान है. संजय लगातार पुलिस की गतिविधियों की जानकारी सुधीर और विमल को दे रहा था. पुलिस द्वारा अपनाए गए मनोवैज्ञानिक तरीके से संजय को लगा कि पुलिस सब कुछ जान गई है, लिहाजा संजय ने सुधीर और विमल को ये बात बता दी जिससे घबराए दोनों अपहर्ताओं ने बच्चे को लाकर गांव के बाहर छोड़ दिया और फरार हो गए.