रेमडेसिविर इंजेक्शन की खाली बोतल में पेरासिटामोल का पानी भरकर नकली इंजेक्शन बेच रहे चार लोगों के खिलाफ बारामती पुलिस ने दोषपूर्ण हत्या का (सदोष मनुष्य वध) मामला दर्ज किया है. इस गिरोह ने जो इंजेक्शन बेचे थे, उसकी वजह से एक मरीज की मौत होने का मामला सामने आया है. पुलिस ने गिरोह के चार सदस्यों पर ये संगीन मामला दर्ज किया है.
दिलीप ज्ञानदेव गायकवाड़, संदीप संजय गायकवाड भीगवान, प्रशांत सिद्धेश्वर धरत और शंकर दादा भिसे इन चारों के खिलाफ ये मामला दर्ज किया है. इस गिरोह का एक सदस्य संदीप गायकवाड़ अस्पताल में खाली बोतलें इकट्ठा करता था. उसमें पेरासिटामोल का पानी भर देते थे और रेमडेसिविर की ऑरिजनल बोतल होने का नाटक करके कोरोना मरीजों को ज्यादा दाम में बेचते थे.
चूंकि इस गिरोह का मास्टरमाइंड दिलीप गायकवाड़ स्वास्थ्य बीमा के लिए काम कर रहा था इसलिए कोरोना मरीजों के रिश्तेदार इस इंजेक्शन के बारे में पूछताछ करते थे. गायकवाड़ ऐसे रिश्तेदारों को प्रशांत धरत और शंकर भिसे के माध्यम से 35 हजार रुपये में इंजेक्शन बेचता था. (प्रतीकात्मक फोटो)
बारामती तालुका पुलिस ने एक गुप्त सूचना के आधार पर चारों को पकड़ लिया. इस बीच, बारामती के गोरड अस्पताल में इलाज करा रहे स्वप्निल जाधव (फलटन, सतारा जिले के निवासी) को नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन दिए जाने के बाद उसकी मौत हो गई.
पुलिस इंस्पेक्टर महेश ढवाण ने जानकारी दी कि डॉक्टर गोरड के इस बारे में जवाब देने के बाद चारों के खिलाफ दोषपूर्ण हत्या (सदोष मनुष्य वध) का मुकदमा दर्ज किया गया. इस बीच, पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि इस मामले में कोई और भी शामिल था या नहीं. इस गिरोह ने कितने लोगों को नकली इंजेक्शन दिए गए और किन मरीजों को दिया गया था. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मिलिंद मोहिते ने आज तक को जानकारी दी कि पुलिस मामले की जड़ तक रही है और इसमें शामिल सभी लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी.