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छत्तीसगढ़ के जिस हमले में शहीद हुए थे 22 जवान, उसे कैसे दिया अंजाम? नक्सली दंपति ने किया खुलासा

छत्तीसगढ़ के टेकलगुड़ा गांव में इसी साल 22 जवान शहीद हो गए थे. नक्सलियों ने जवानों को घेरकर हमला किया था. नक्सली दंपति ने सरेंडर में इस हमले की प्लानिंग के बारे में बताया है. उन्होंने बताया कि सुरक्षाबलों को अंदर घुसने दिया गया और फिर घेरकर हमला किया गया.

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नक्सली पोज्जा और उसकी पत्नी ने आज सरेंडर कर दिया.
नक्सली पोज्जा और उसकी पत्नी ने आज सरेंडर कर दिया.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अप्रैल में हुआ था टेकलगुड़ा में हमला
  • हमले में 22 जवान हो गए थे शहीद
  • नक्सलियों ने घेरकर किया था हमला

छत्तीसगढ़ की दंतेवाड़ा पुलिस के सामने सरेंडर हुए खूंखार नक्सली दंपति ने कई बड़े-बड़े खुलासे किए हैं. सरेंडर करने वालों में पोज्जा उर्फ संजू माड़वी पामेड़ एरिया कमेटी के प्लाटून नंबर 9 का कमांडर है, जबकि उसकी पत्नी तुलसी माड़वी पामेड़ एरिया कमेटी की सदस्य और DVC सुरक्षा दल की कमांडर है. पति और पत्नी दोनों पर ही 5-5 लाख रुपये का इनाम था. 

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दोनों ने सितंबर 2021 में शादी कर ली थी. इस दंपति ने बताया कि पोज्जा को चार बार गोलियां भी लगी हैं. नक्सलियों की डॉक्टर टीम ने इलाज कर जान तो बचा ली, मगर इलाज के बाद वो 15 मिनट से ज्यादा खड़ा नहीं रह सकता है. इस वजह से नक्सली इसकी उपेक्षा करने लगे थे. साथ ही छत्तीसगढ़ से ज्यादा तेलुगू नक्सलियों का दबदबा संगठन में हो गया था. इसलिए दोनों ने सरेंडर करने का फैसला लिया. 

दोनों पति-पत्नी 100 से ज्यादा जवानों की हत्या की घटना में शामिल थे. साथ ही मुठभेड़ के बाद सुरक्षाबलों के AK-47 समेत अन्य हथियारों को लूट कर इकट्ठा करने की जिम्मेदारी इन्हीं की रहती थी. उन्होंने बताया कि हिडमा ने टेकलगुड़ा हमले की प्लानिंग की थी. पहले जवानों को घुसने दिया और फिर घेरकर मारा गया.

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छत्तीसगढ़ के सुकमा और बीजापुर सीमा पर स्थित टेकलगुड़ा गांव में इसी साल अप्रैल में नक्सलियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ हुई थी. इसमें 22 जवान शहीद हो गए थे. 

ये भी पढ़ें-- आतंकियों के बाद अब नक्सलियों ने ड्रोन को बनाया हथियार, सुरक्षाबलों की रेकी में हो रहा इस्तेमाल

ऐसे हुई थी टेकलगुड़ा हमले की प्लानिंग

- आजतक से बात करते हुए नक्सली दंपति ने बताया कि टेकलगुड़ा की घटना को अंजाम देने के लिए पहले से कोई प्लानिंग नहीं बनी थी. दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के लीडर हिडमा और संगठन के कई बड़े लीडर जंगल में बैठे हुए थे. इसी बीच संगठन के मिलिशया सदस्यों ने वॉकी-टॉकी से हिडमा को जानकारी दी कि भारी संख्या में फोर्स जंगल में घुस रही है. वो टेकलगुड़ा की तरफ ही आ रहे हैं. 

- खबर मिलने के बाद हिडमा ने वहां मौजूद 450 नक्सलियों को इकट्ठा किया. फिर 10 मिनट तक बात कर सभी से कहा - 'मौका मिला है सफलता चाहिए.' जिसके बाद नक्सली ऊंचाई वाली जगह पर छिप गए थे. सर्चिंग करते हुए जवानों को आगे जंगल में और अंदर घुसने दिया गया. जब टेकरी की ओर पहुंचे तो चारों तरफ से घेर लिया गया. फिर जवानों पर गोलियां चलाई गईं. फोर्स पूरी तरह से एंबुश में फंस गई थी. 

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- पोज्जा ने बताया कि इस एनकाउंटर में स्पॉट पर ही 4 नक्सली मारे गए थे. 5 नक्सली घायल हुए थे, जिनका बोटेम गांव में इलाज करवाया गया. इलाज के बाद में 3 नक्सलियों ने दम तोड़ दिया था. घटना में कुल 7 नक्सली मारे गए थे. 

- पति-पत्नी ने बताया कि एनकाउंटर के बाद जवानों के पास से सारे हथियार लेकर इकट्ठा कर रहे थे. इस बीच एक जवान भी जिंदा मिला था. दूसरी पार्टी ने उसे पकड़ लिया था. उसके पास से हथियार भी ले लिए थे. जवान को हिडमा के पास लेकर गए थे. कई दिनों तक हिडमा, सुजाता और कई बड़े लीडरों ने पूछताछ की थी. बड़े लीडरों ने छोड़ने का निर्णय लिया. फिर जम्मू के उस जवान को रिहा किया गया. नक्सली दंपति ने बताया कि इस बड़े हमले को अंजाम देने गांव के ही 25 से 30 सदस्य मौजूद थे. उनमें से कुछ लोगों ने वर्दी उतार ली थी. जिसके बाद लूटी हुई वर्दी को पहन रहे थे.

नक्सलियों ने वैक्सीन की दोनों डोज भी ली

पोज्जा और उसकी पत्नी तुलसी ने ये भी बताया कि कोरोना से बचने के लिए संगठन में वैक्सीनेशन का अभियान भी चलाया गया था. सारी वैक्सीन पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश और तेलांगना से उपलब्ध हुई और उनके स्वास्थ्य कर्मियों ने वैक्सीन की दोनों डोज नक्सलियों को लगाई.

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इनपुट- धर्मेंद्र महापात्रा

 

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