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मोबाइल डेटा, CCTV और मुंबई कनेक्शन... मालीवाल केस में विभव पर लटकी IPC 201 में एक्शन की तलवार, जानिए क्या है प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 201 (IPC Section 201) के अधीन अपराध के साक्ष्य का विलोपन, या अपराधी को प्रतिच्छादित करने के लिए मिथ्या इत्तिला देना परिभाषित किया गया है. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 201 इस बारे में क्या बताती है?

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विभव के सिर पर अब IPC की धारा 201 की तलवार भी लटकी है
विभव के सिर पर अब IPC की धारा 201 की तलवार भी लटकी है

आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल से मारपीट के मामले में दिल्ली पुलिस हर पहलू को खंगाल रही है. जिसके चलते आरोपी विभव को पुलिस मुंबई लेकर गई थी. अब पुलिस उसे लेकर वापस लौट आई है. इस केस में सीसीटीवी कैमरों की फुटेज और मोबाइल डेटा एक अहम सुराग बन सकता है, लेकिन दोनों ही गैजेट के साथ छेड़छाड़ का आरोप लग रहा है. यही वजह है कि अब इस मामले में विभव के खिलाफ आईपीसी की धारा 201 के तहत भी कार्रवाई हो सकती है.

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मोबाइल डेटा को रिट्रीव करने की कोशिश
दरअसल, स्वाति मालीवाल से मारपीट के आरोपी विभव ने पूछताछ के दौरान पुलिस को बताया था कि उसने अपना फोन मुंबई में फॉर्मेट कर दिया था. इसके बाद से ही पुलिस इस मामले में विभव के मोबाइल डेटा को रिट्रीव करने की कोशिश में लगी है, क्योंकि पुलिस को उम्मीद है कि मोबाइल का डेटा मिलने से इस मामले के अहम सुराग हाथ आ सकते हैं. यही वजह है कि दिल्ली पुलिस की टीम विभव को लेकर मुंबई भी गई थी.

पूरे मामले की जांच कर रही है SIT 
सीएम केजरीवाल के आवास पर हुई मारपीट मामले की जांच के लिए अब दिल्ली पुलिस ने विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है. जिसकी कमान उत्तरी जिले की एडिशनल डीसीपी अंजिता चिपियला को सौंपी गई है. अंजिता के अलावा SIT में तीन इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी शामिल हैं. जिनमें सिविल लाइन थाने के एसएचओ भी शामिल हैं. एसआईटी की टीम वक्त-वक्त पर अपनी रिपोर्ट पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को देती रहेगी.

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CCTV से छेड़छाड़ की आशंका
इस मामले में दिल्ली पुलिस ने सीसीटीवी से छेड़छाड़ की आशंका जताई है, साथ ही पुलिस को लग रहा है कि शायद विभव ने फॉर्मेट करने से पहले अपने फोन का डेटा डंप किया हो. मुंबई में जिस जगह फोन को फॉर्मेट किया गया, वहीं पुलिस विभव को लेकर गई थी. पुलिस के मुताबिक, अगर कुछ छिपाना न हो तो आमतौर पर फोन फॉर्मेट करने से पहले लोग डेटा सेव करते हैं. हालांकि पुलिस फॉरेंसिक एक्सपर्ट की मदद से भी डेटा रिकवर करने की कोशिश करेगी. इसके अलावा, पुलिस विभव को क्राइम स्पॉट यानी सीएम आवास भी ले जाएगी, जहां उसकी कोशिश मारपीट की वजह जानने की है.

विभव के खिलाफ इन धाराओं में दर्ज है मामला
आरोपी विभव कुमार के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने आईपीसी की धारा 308 (गैर इरादतन हत्या की कोशिश), 323 (मारपीट करना), 341 (गलत तरीके से रोकना), 354 (शीलभंग की नीयत से हमला), 354B (महिला को निर्वस्त्र करने की कोशिश), 506 (आपराधिक धमकी) और 509 (महिला के शील हरण की कोशिश) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

विभव पर लग सकती है IPC की धारा 201
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 201 (IPC Section 201) के अधीन अपराध के साक्ष्य का विलोपन, या अपराधी को प्रतिच्छादित करने के लिए मिथ्या इत्तिला देना परिभाषित किया गया है. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 201 इस बारे में क्या बताती है?

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क्या है आईपीसी की धारा 201
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 201 (Section 201) के तहत अपराध के सबूतों (evidence of crime) को मिटाना या अपराधी को झूठी इत्तिला (False information) देना परिभाषित (Define) किया गया है. IPC की धारा 201 के अनुसार, अपराध के साक्ष्य का विलोपन, या अपराधी को प्रतिच्छादित करने के लिए मिथ्या इत्तिला देना-जो कोई यह जानते हुए या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए कि कोई अपराध (offence) किया गया है, उस अपराध के किए जाने के किसी साक्ष्य का विलोप (Annulment of evidence), इस आशय से कारित (Caused by intent) करेगा कि अपराधी को वैध दंड (lawful punishment to the offender) से प्रतिच्छादित करे या उस आशय से उस अपराध से संबंधित कोई ऐसी इत्तिला देगा, जिसके मिथ्या होने का उसे ज्ञान या विश्वास है;

सजा का प्रावधान
यदि अपराध मृत्यु से दंडनीय हो- यदि वह अपराध जिसके किए जाने का उसे ज्ञान या विश्वास है, मृत्यु से दंडनीय हो, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी टंडनीय होगा;

यदि आजीवन कारावास से दंडनीय हो- और यदि वह अपराध आजीवन कारावास से, या ऐसे कारावास से, जो दस वर्ष तक का हो सकेगा, दंडनीय हो, तो वह दोनों में से किसी भांति के, कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा;

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यदि दस वर्ष से कम के कारावास से दंडनीय हो- और यदि वह अपराध ऐसे कारावास से इतनी अवधि के लिए दंडनीय हो, जो दस वर्ष तक की न हो, तो वह उस अपराध के लिए उपबंधित भांति के कारावास से उतनी अवधि के लिए, जो उस अपराध के लिए उपबंधित कारावास की दीर्घतम अवधि की एक-चौथाई तक की हो सकेगी या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा.

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