रविवार को उस समय राजनीतिक गलियारों में अटकलों का बाजार गर्म हो गया जब एक वायरल सीबीआई डॉक्यूमेंट के दम पर अनिल देशमुख को वसूली कांड में निर्दोष बता दिया गया. कांग्रेस ने भी कह दिया कि राज्य के पूर्व गृहमंत्री को क्लीन चिट दे दी गई. अब उस वायरल डॉक्यूमेंट के बीच आजतक के पास सीबीआई की वो FIR कॉपी आ गई है जिसमें Dy SP आरएस गुंज्याल द्वारा लिखी गई चिट्ठी भी मौजूद है.
आजतक के पास CBI की FIR कॉपी
चिट्ठी में स्पष्ट कहा गया है कि संज्ञेय अपराध (Cognizable Offence) हुआ है. ये भी कहा गया है कि तब के गृहमंत्री अनिल देशमुख और कुछ अन्य लोगों ने अनुचित लाभ लेने का प्रयास किया है. सचिन वाजे को लेकर भी चिट्ठी में बड़ी बात कही गई है. चिट्ठी के मुताबिक वाजे के पास मुंबई के कई बड़े मामले मौजूद थे और इस सब की जानकारी अनिल देशमुख को थी. ऐसे में अनिल देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है.
सीबीआई ने किया बयान जारी
वहीं क्योंकि पहले एक दूसरी कॉपी भी वायरल हुई थी, ऐसे में सीबीआई ने उस पर बयान जारी कर दिया गया है. कहा गया है कि हमारे पास महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री को लेकर कई सवाल आ रहे हैं. यहां याद दिला दिया जाए कि कई याचिकाओं के आधार पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले में प्राथमिक जांच दर्ज करने को कहा था. फिर प्राथमिक जांच के दौरान मिले सबूतों के आधार पर एक रेगुलर केस दर्ज किया गया. सीबीआई ने 24 अप्रैल को जो FIR दर्ज की है, उसकी एक कॉपी पहले से वेबसाइट पर उपलब्ध है. इस मामले में जांच अभी जारी है.
देशमुख को नहीं मिली क्लीन चिट
अब यहां पर ये जानना काफी जरूरी हो जाता है कि जो सीबीआई डॉक्यूमेंट की कॉपी पहले वायरल हुई थी, उस पर किसी भी अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं थे. ऐसे में वो कॉपी कितनी विश्वसनीय है, ये जांच का विषय है. वहीं जो FIR कॉपी आजतक ने हासिल की है, उसमें बकायदा सीबीआई अधिकारी के हस्ताक्षर हैं. अभी उस वायरल कॉपी पर सीबीआई की तरफ से कोई सफाई पेश नहीं की गई है. इतना जरूर पता चला है कि इस मामले की जांच जारी है और कुछ पुख्ता सामने आने के बाद ही किसी भी तरह की प्रतिक्रिया दी जाएगी.
वायरल कॉपी पर हस्ताक्षर नहीं
जानकारी के लिए बता दें कि इससे पहले जो कथित सीबीआई डॉक्यूमेंट वायरल किया गया था उसमें अनिल देशमुख को क्लीन चिट दे दी गई थी. लिखा हुआ था- अनिल देशमुख द्वारा कोई संज्ञेय अपराध (Cognizable Offence) नहीं किया गया है. उसी कथित रिपोर्ट के प्वाइंट 8 में कहा गया है कि इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि तब के गृहमंत्री या फिर उनके पीएस संजीव पलांदे ने किसी हुक्का बार के मालिक से पैसा इकट्ठा करने की बात कही थी. उस रिपोर्ट में परमबीर सिंह पर भी गंभीर सवाल उठा दिए गए थे. कहा गया था कि उन्हें पूरे विवाद की जानकारी फरवरी-मार्च में थी, लेकिन फिर भी वे लंबे समय तक चुप रहे.