लालू-राबड़ी के 15 साल के शासनकाल के दौरान बिहार में हत्या, किडनैपिंग, रंगदारी और लूट की घटना को लेकर पटना हाई कोर्ट ने भी राज्य के हालात की तुलना जंगलराज से की थी और इसी को मुद्दा बनाकर 2005 में नीतीश कुमार सत्ता में आए और मुख्यमंत्री बने. लेकिन अब एक बार फिर से प्रदेश में अपराधी बेलगाम घूम रहे हैं. बेखौफ होकर वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. लेकिन पुलिस केवल दावों के अलावा कुछ और नहीं कर पा रही है.
दरअसल, 2005 से लेकर 2015 तक नीतीश कुमार के शासनकाल के दौरान राज्य पुलिस ने काफी हद तक अपराध पर लगाम लगा लिया था. और 76 हजार से भी ज्यादा अपराधियों को जेल की सलाखों के पीछे भेजा था. मगर पिछले 2 सालों में ऐसा लगता है मानो बिहार में सुशासन का अंत हो गया है. और हर तरफ अपराधियों का बोलबाला है.
2018 के आखिरी महीने यानी दिसंबर की ही बात करें तो, पिछले 1 हफ्ते में अपराधियों ने सुशासन को चैलेंज करते हुए तीन बड़ी घटना को अंजाम दिया है. जिससे प्रदेश में ध्वस्त हो चुकी कानून और व्यवस्था की स्थिति को जगजाहिर कर दिया है.
बात सबसे पहले इस महीने के सबसे सनसनीखेज हत्याकांड की. जहां 20 दिसंबर को अपराधियों ने बीजेपी नेता और पटना के बड़े कारोबारी गुंजन खेमका की हाजीपुर में गोली मारकर. गुंजन खेमका बिहार बीजेपी के व्यवसायिक प्रकोष्ठ के संयोजक थे. गुंजन पटना के खेमका परिवार से ताल्लुक रखते थे. जिसका बिहार में कई जगहों पर कारोबार फैला हुआ है. घटना दिन के तकरीबन 11 बजे की थी जब गुंजन खेमका अपने बैंडेज फैक्टरी पर पहुंचे थे. गुंजन खेमका की फैक्ट्री के बाहर ही पहले से एक अपराधी मोटरसाइकिल पर पिस्तौल लिए घात लगा कर बैठा था और गुंजन खेमका को देखते ही उसने तीन गोलियां दाग दी और फरार हो गया. गौरतलब है कि गौरव खेमका को पहले भी जान से मारने की धमकी मिली थी जिसको लेकर उन्होंने पटना पुलिस में शिकायत भी की थी.
गौरव खेमका की हत्या के 2 दिन के बाद ही यानी 22 दिसंबर को एक बार फिर से अपराधियों ने एक बड़ी घटना को अंजाम दिया और दरभंगा में राष्ट्रीय राजमार्ग 57 निर्माण के कार्य में कार्यरत ठेकेदार केपी शाही की बेखौफ बाइक सवार अपराधियों ने गोली मारकर हत्या कर दी. घटना दरभंगा के रानीपुर इलाके में घटी.
दरभंगा में हुए ठेकेदार की हत्या से ठीक 1 दिन पहले 21 दिसंबर की रात में मुजफ्फरपुर के हथौड़ी में अज्ञात अपराधियों ने ठेकेदार लड्डू सिंह पर गोलियां बरसा कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया.
21 दिसंबर को ही बेगूसराय में महेश सिंह नाम के एक प्रॉपर्टी डीलर की अपराधियों ने गोली मारकर हत्या कर दी. शनिवार की सुबह पुलिस ने महेश सिंह का शव बेगूसराय के पसपूरा गांव के शिव मंदिर के पास से बरामद किया. अपराधियों ने महेश सिंह को तीन गोली मारकर उन्हें मौत के घाट उतार दिया.
वहीं 25 दिसंबर को हाजीपुर में ही पटना के एक बड़े ट्रांसपोर्टर दीनानाथ राय की गोली मारकर हत्या कर दी. दीनानाथ राय शाम के वक्त गरौल थाना क्षेत्र स्थित सोंधे गांव से पटना के लिए रवाना हुए थे जब रास्ते में ही अपराधियों ने उन्हें गोली मारकर हत्या कर दी. पुलिस को दीनानाथ राय का शव मंगलवार देर रात हाजीपुर सर्किट हाउस के सामने बरामद हुआ. पुलिस को इस बात की आशंका है कि उनकी हत्या कहीं और की गई होगी और उनका शव लाकर हाजीपुर सर्किट हाउस के सामने फेंक दिया गया है. दीनानाथ पटना स्थित रामजी कैरियर ट्रांसपोर्ट के संचालक थे.
25 दिसंबर को ही अररिया में अपराधियों ने देर रात बस स्टैंड के पास अमित कुमार भगत नाम के एक अंडा व्यापारी को गोली मारकर घायल कर दिया. गोली लगने के तुरंत बाद स्थानीय लोगों ने उन्हें फारबिसगंज अनुमंडलीय अस्पताल में भर्ती कराया जहां पर उनकी हालत बिगड़ने के बाद उन्हें पूर्णिया के सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया.
इससे पहले 5 दिसंबर को राजधानी में अपराधियों ने पटना हाईकोर्ट के वकील जितेंद्र कुमार की गोली मारकर हत्या कर दी. घटना सुबह 9 बजे हुई जब जितेंद्र कुमार अपने भाई के क्लीनिक से निकल कर हाई कोर्ट जा रहे थे. इसी दौरान मोटरसाइकिल पर सवार अपराधियों ने उन्हें गोली मार दी और हत्या कर दी.
8 दिसंबर को राजधानी में ही अपराधियों ने पुलिस को चुनौती देते हुए एक बड़ी लूट की घटना को अंजाम दिया और एक व्यक्ति से 10 लाख रुपये लूट लिए थे और फरार हो गए थे.
एक ही महीने के अंदर घाटी इन बड़ी हत्या और लूट की वारदात को लेकर विपक्षी दलों ने नीतीश कुमार सरकार पर बड़े सवाल खड़े किए हैं और आरोप लगाया है कि बिहार में जंगलराज नहीं बल्कि रावण राज आ गया है जहां पर अपराधी पूरी तरीके से बेलगाम और बेखौफ है तथा पुलिस इन के सामने पूरी तरीके से फेल नजर आ रही है.