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बाहुबली पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की 18 घंटे की कस्टडी पैरोल मंजूर, पुलिस कस्टडी में मां-पत्नी से मुलाकात

बिहार के बाहुबली और राजद नेता शहाबुद्दीन के पिता की 19 सितंबर को मौत हो गई थी जिसके बाद से वह पैरोल के लेकर लगातार कोशिश में लगा हुआ था. पिता की मौत के बाद मां के बीमार होने के आधार पर शहाबुद्दीन ने कस्टडी पैरोल की मांग की थी.

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पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन.(फाइल फोटो)
पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन.(फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सिर्फ मां, पत्नी और रिश्तेदारों को मिलने की इजाजत
  • हाल ही में शहाबुद्दीन के पिता का हुआ है निधन

तिहाड़ जेल में बंद पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुदीन को दिल्ली हाई कोर्ट ने कस्टडी पैरोल दी है. वह 3 दिन 6 घंटे तक जेल से बाहर रह सकता है. शहाबुद्दीन ने कोर्ट से मांग की थी कि सितंबर में उसके पिता की मौत के बाद से वह अपनी मां के साथ कुछ वक्त गुजारना चाहता है जिसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने शहाबुद्दीन को सशर्त पैरोल दी है.

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इस पैरोल के मुताबिक 3 दिन तक 6 घंटे जेल के बाहर रह सकता है यानी वह कुल 18 घंटों के लिए जेल से बाहर होगा. दरअसल बिहार के बाहुबली और राजद नेता के पिता की 19 सितंबर को मौत हो गई थी जिसके बाद से वह पैरोल के लेकर लगातार कोशिश में लगा हुआ था. पिता की मौत के बाद मां के बीमार होने के आधार पर शहाबुद्दीन ने कस्टडी पैरोल की मांग की थी.

शहाबुद्दीन की तरफ से लगाई गई अर्जी में बताया गया था कि पिता की मृत्यु के बाद से उसकी मां का भी स्वास्थ्य बेहद खराब है. ऐसे में वह अपनी मां के साथ परिवार के बाकी लोगों से मिलना चाहता है. 

जवाब में दिल्ली सरकार का कहना था कि कोरोना के काल में उसको सिवान ले जाना सुरक्षित नहीं है. लिहाजा अगर परिवार शहाबुद्दीन से मिलना चाहता है तो दिल्ली के लिए ही कस्टडी पैरोल दी जाए. 3 दिनों की कस्टडी पैरोल के दौरान शहाबुद्दीन के पास कुल 18 घंटे जेल से बाहर रहने का वक्त होगा.

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कोर्ट के मुताबिक 30 दिनों के भीतर वह अपनी इच्छा के अनुसार कोई भी 3 तारीख चुन सकेगा और नियमों के मुताबिक शहाबुद्दीन को सुबह शाम 6:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक यानी 6 घंटे का मुलाकात का वक्त मिलेगा 6 घंटों में यात्रा का समय भी शामिल होगा.

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दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एजे भंभानी की पीठ ने किसी भी तीन दिन में छह-छह घंटे की कस्टडी पैरोल की अनुमति देते हुए पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम के निर्देश दिए हैं. वो अपनी मां, पत्नी और अन्य रिश्तेदारों के अलावा किसी से भी मुलाकात नहीं कर सकेगा. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि कस्टडी पैरोल के लिए शहाबुद्​दीन को मुलाकात के लिए दिल्ली में ही एक स्थान की जानकारी पहले ही जेल अधीक्षक को देनी होगी.

बता दें कि शहाबुद्दीन पर हत्या व अपहरण सहित दर्जनों संगीन मामलों में मुकदमा दर्ज है. फिलहाल वो तिहाड़ में सिवान में दो भाइयों को तेजाब से नहला कर निर्मम हत्या के मामले में उम्रकैद काट रहा है. पीड़ित परिवार की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के कारण सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शहाबुद्दीन को साल 2018 में बिहार की सिवान जेल से दिल्ली की तिहाड़ जेल में स्थानांतरित किया गया था. 2018 से ही शहाबुद्दीन सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तिहाड़ जेल में बंद है.

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