राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने नक्सली हथियार बरामदगी के मामले में मंगलवार को दो आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर कर दिया. जिसे एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. दोनों आरोपी बिहार राज्य के रहने वाले हैं. जिनके खिलाफ पहले से ही UAPA की कई संगीन धाराओं में मामले दर्ज हैं.
बिहार के रहने वाले हैं दोनों आरोपी
आरोपियों की पहचान राम बाबू राम उर्फ राजन पुत्र राम नारायण राम निवासी ग्राम कौरिया (बंजरिया), थाना-मधुबन, पूर्वी चंपारण और राम बाबू पासवान उर्फ धीरज उर्फ प्रशांत पुत्र योगेन्द्र पासवान निवासी ग्राम-तरियानी छपरा (डोरा टोला), थाना तरियानी छपरा, जिला-शिवहर के रूप में हुई है. इन दोनों के खिलाफ UAPA 1967 की धाराओं 16, 17, 18, 20, 38, 39 और 40 के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120बी, 121, 121ए और शस्त्र अधिनियम की धारा 25(1एए) और 26 के तहत मामले दर्ज हैं.
जंगल में मिला था मौत का सामान
इस मामले में दो AK47 राइफल, पांच मैगजीन और 7.62x39 मिमी जीवित गोला-बारूद के 460 राउंड का एक बड़ा जखीरा जब्त करना शामिल है. ये सभी सामान बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के बरियाकला गांव, थाना-लौकरिया, बगहा के पास एक जंगली इलाके में दबा हुआ पाया गया था.
मई में दर्ज हुआ था मामला
शुरुआत में 4 मई 2023 को एफआईआर नंबर 42/2023 के रूप में यह मामला दर्ज किया गया था. जिसमें मूल रूप से शस्त्र अधिनियम की धारा 25 (1-बी) ए, 26, 35 और धारा 16, 17, 20, 21, 22, 23, 38, 39 और 40 शामिल की गई थी. उसी वक्त गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 यानी UAPA के तहत भी कार्रवाई की गई थी. यह प्रारंभिक FIR बिहार के बाघा में लौकरिया पुलिस स्टेशन में दर्ज हुई थी. लेकिन 23 जून 2023 को एनआईए ने इस मामले की जांच अपने हाथों में ले ली थी.
आर्म्ड टीम के सदस्य थे दोनों आरोपी
जांच से पता चला कि पकड़े गए दोनों शख्स प्रतिबंधित आतंकवादी समूह सीपीआई (माओवादी) के सक्रिय सशस्त्र कैडर थे और प्रतिबंधित संगठन के निर्देशों पर वास्तविक अभियान चला रहे थे. राम बाबू राम उर्फ राजन और राम बाबू पासवान उर्फ धीरज सीपीआई (माओवादी) के बैनर तले एक सशस्त्र दस्ते के अभिन्न अंग थे. उनकी भूमिकाएं गैरकानूनी संगठन के लिए धन जुटाने तक विस्तारित थीं, जिन्हें गैरकानूनी और राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों के लिए नियोजित किया जाना था.
ये था आरोपियों का मकसद
इसके अलावा, आरोपी राम बाबू राम उर्फ राजन और राम बाबू पासवान उर्फ धीरज सक्रिय रूप से ग्रामीणों को सीपीआई (माओवादी) में शामिल होने के लिए प्रेरित करने में लगे हुए थे. उनका उद्देश्य संगठन की ताकत बढ़ाना, उसकी पहुंच का विस्तार करना और उसकी विचारधारा का प्रचार करना था.
जांच में हुआ अहम खुलासा
जांच के दौरान आरोपियों का आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने की साजिश में शामिल होने का खुलासा हुआ. साथ ही ये भी पता चला कि प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन सीपीआई (माओवादी) की ओर से कैसे आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने की तैयारी की जा रही थी और आरोपियों के उनके साथ मजबूत संबंध थे.
अभी भी जारी हैं जांच
दरअसल, दोनों आरोपियों ने लोगों में भय और आतंक पैदा करने के खौफनाक मकसद के साथ आतंकी वारदातों को अंजाम देने के लिए एक समान इरादे से काम किया. उनके काम का मकसद भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा और संप्रभुता को कमजोर करना भी था. इस मामले में आगे की जांच फिलहाल जारी है.