
पश्चिमी मीडिया उसे एक सिख नेता और कार्यकर्ता के तौर पर पेश करता है, जबकि भारतीय मीडिया उसे आतंकवादी करार देता है. कनाडाई सरकार उसे एक साधारण कनाडाई प्लंबर बताती है, जिसे विदेशी गुर्गों ने गलत तरीके से मार डाला. इसके उलट, भारत सरकार उसे एक भगोड़ा गिरोह का नेता मानती है, जिसे उसी की करतूतों ने खत्म कर डाला. हम बात कर रहे हैं हरदीप सिंह निज्जर की. हाल ही में पता चला है कि निज्जर कुछ साल पहले पाकिस्तान गया था और वहां उसने आईएसआई के अफसरों से मुलाकात की थी.
हरदीप सिंह निज्जर की मौत ने ओटावा और नई दिल्ली के बीच एक पूर्ण राजनयिक गतिरोध पैदा कर दिया है. कनाडा और भारत के बीच तनाव बढ़ गया है. इस दौरान हमारा मकसद केवल कंप्यूटर और इंटरनेट कनेक्शन से लैस मीडिया में प्रचारित कुछ दावों को सत्यापित करना है. यदि आप संशयवादी कनाडाई हैं और इस लेख को पढ़ रहे हैं, तो आपके पास भी ऐसा करने और सच के कुछ पहलुओं का पता लगाने की ताकत है.
हाल ही में सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरों में से एक में निज्जर को एक कमरे के अंदर स्वचालित कलाश्निकोव राइफल के साथ पोज देते हुए दिखाया गया है, जिसने सबका काफी ध्यान आकर्षित किया. इसके अलावा, भारत में विभिन्न मीडिया रिपोर्टों में, खुफिया स्रोतों का हवाला देते हुए साल 2013 और 2014 के बीच पाकिस्तान में ननकाना साहिब की यात्रा के दौरान कथित तौर पर ली गई निज्जर की तस्वीरें भी जारी की गई हैं.
आइए बात करते हैं उन तस्वीरों की और उनसे जुड़े दावों की. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, निज्जर ने कथित तौर पर साल 2013-2014 के दौरान पाकिस्तान की यात्रा की और पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी, आईएसआई से जुड़े व्यक्तियों के साथ बैठकें कीं. एक ग्रुप पिक्चर में निज्जर को दो अन्य व्यक्तियों के साथ दिखाया गया है, जो सभी एक छत पर पोज़ दे रहे हैं. पृष्ठभूमि में पेड़, एक खुला क्षेत्र, एक बड़ा द्वार और गुंबद के आकार की संरचनाएं हैं.
इन दावों की पुष्टि करने के लिए, हम 2013 के निर्देशांक 31.445055° 73.698020° पर Google Earth इमेजरी का उल्लेख कर सकते हैं. तस्वीरों में देखे गए पेड़ हटा दिए गए प्रतीत होते हैं, और यह परिवर्तन Google Earth इमेजरी में ध्यान देने योग्य है, जो इंगित करता है कि पेड़ों को 2016 और 2017 के बीच किसी समय काटा गया था. ग्रुप की तस्वीर उससे पहले खींची गई होगी.
इससे पता चलता है कि हरदीप सिंह निज्जर वास्तव में पाकिस्तान में था, जो उस जगह से केवल चार घंटे की दूरी पर था, जहां कुछ साल पहले अमेरिकी नौसेना के जवानों ने ओसामा बिन लादेन को मार गिराया था. अब बात एक वायरल तस्वीर की. जिसमें निज्जर के हाथ में एक अंडरफ़ोल्डर और मैगजीन के साथ दिखाई देने वाली एके-47 चीनी शस्त्रागार 66 एके-47 के विशिष्ट डिजाइन के साथ दिखाई देती है, जो अक्सर पाकिस्तान और अफगानिस्तान में सशस्त्र गुटों से जुड़ी होती है.
पहली जियोलोकेटेड तस्वीर की तुलना दूसरी तस्वीर से करने पर जिसमें निज्जर असॉल्ट राइफल पकड़े हुए है, इससे यह साफ हो जाता है कि उसने दोनों तस्वीरों में एक ही टी-शर्ट और पगड़ी पहनी हुई है. इससे ये भी पता चलता है कि एके-47 की तस्वीर उसकी पाकिस्तान यात्रा के दौरान ली गई थी. इन सबसे इस बात का खुलासा भी होता है कि निज्जर की 2013-14 की पाकिस्तान यात्रा एक पवित्र तीर्थस्थल की तीर्थयात्रा से कहीं आगे तक फैली हुई थी, क्योंकि उसे एक बंद जगह के भीतर एक असॉल्ट राइफल लहराते हुए देखा जा सकता है.
जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस युग में, कोई यह सवाल उठा सकता है कि क्या राजनयिक विवाद के फैलने के बाद इन तस्वीरों को कृत्रिम रूप से तैयार किया गया था और बाद में ऑनलाइन पोस्ट किया गया था. हालांकि, इन सवालों का उत्तर नकारात्मक है, क्योंकि ये तस्वीरें कई वर्षों से इंटरनेट पर मौजूद हैं. प्लेटफ़ॉर्म X पर 2021 की एक पोस्ट में यह तस्वीर दिखाई देती है, और इसी तरह, 2019 की एक YouTube समाचार क्लिप में भी यही छवि दिखती है.
सर्रे में ऐसी मौत पाने वाला निज्जर अकेला नहीं था, पिछले साल ही 75 साल के रिपुदमन सिंह मलिक को दो हमलावरों ने दिनदहाड़े गोली मार दी थी. 1985 के एयर इंडिया विमान बम विस्फोट में आरोपी होने के बावजूद, उसे अदालत ने बरी कर दिया था. निज्जर के उलट, मलिक का नाम सितंबर 2019 में ब्लैकलिस्ट से हटा दिया गया था. इसके बाद उसी साल दिसंबर में वो भारत आया था. उसने खुले तौर पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की थी और कनाडा में अलगाववादी समर्थक आवाजों की आलोचना भी की थी.
हालांकि हरदीप सिंह निज्जर मामले के सभी पहलुओं की ओपन-सोर्स माध्यम से पूरी तरह से जांच नहीं की जा सकती है, लेकिन यह साफ है कि निज्जर की छवि एक कार्यकर्ता-प्लंबर के रूप में है, जिसे कनाडाई सरकार और प्रेस के एक बड़े हिस्से ने प्रचारित किया है. अब अधिकारियों की व्यापक जांच ही निज्जर के हत्यारों की पहचान उजागर कर सकती है.
18 जून 2023, रात 8 बजकर 20 मिनट
ठीक उसी वक्त ब्रिटिश कोलंबिया के सर्रे में गुरु नानक देव गुरुद्वारे का प्रेसिडेंट हरदीप सिंह निज्जर अपना काम खत्म करने के बाद गुरुद्वारे की पार्किंग में खड़े ट्रक में बैठता है. इस ट्रक के बराबर में पहले से ही एक सिल्वर कलर की एक सिडान खड़ी थी. निज्जर जैसे ही ट्रक स्टार्ट करता है, सिडान तेजी से ट्रक के ठीक आगे आकर ट्रक का रास्ता रोक लेती है. इससे पहले कि निज्जर कुछ समझ पाता, तभी ट्रक के दांये और बांये से पार्किंग में पहले से मौजूद दो शख्स तेजी से ट्रक की तरफ बढते हैं और बिल्कुल करीब से डाइवर सीट पर बैठे शख्स पर अंधाधुंध गोलियां चलाना शुरू कर देते हैं. दोनों निज्जर पर कुल 90 राउंड फायरिंग करते हैं. जिनमें से 34 गोलियां निज्जर को लगती हैं.
निज्जर को लगी थीं 34 गोलियां
गोली मारने के बाद दोनों हमलावर तेजी से पैदल ही गेट की तरफ भागते हैं. अब तक सिल्वर कलर की सिडान कार भी गेट से बाहर निकल चुकी थी. दोनों हमलावर बाहर निकल कर उसी सिडान कार में बैठ जाते हैं, जिनमें पहले से ही तीन और लोग बैठे हुए थे. जिस वक्त ये गोलीबारी हो रही थी, उस वक्त निज्जर के ट्रक से मुश्किल से लगभग सौ मीटर की दूरी पर इसी गुरुद्वारे का एक सेवक भूपेंदर सिंह फुटबॉल खेल रहा था. पहले उसे लगा कि शायद कोई पटाखा छोड़ रहा है. लेकिन फिर उसे अहसास हुआ कि ये गोली की आवाज है. भूपेंदर सिंह निज्जर की हत्या का पहला चश्मदीद था. वो निज्जर के ट्रक को पहचानता था. उसने ड्राइवर साइड से ट्रक का दरवाजा खोला, तो पाया कि निज्जर लहूलुहान ड्राइवर सीट पर लुढ़का हुआ है. उसने निज्जर के कंधे को झकझोरा. लेकिन तब तक निज्जर मर चुका था.