देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई में घमासान मचा हुआ है. भ्रष्टाचार का जिन्न बोतल से बाहर क्या निकला कि CBI के दो टॉप अफसर आमने-सामने आ गए. आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हुआ. अब तक इस मामले में खामोश बैठी मोदी सरकार को आखिरकार सख्त कदम उठाना पड़ा. मंगलवार की देर रात सीवीसी के आला अफसरों की एक बैठक बुलाई गई. जिसके खत्म होते ही विवादित अधिकारी आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को छुट्टी पर जाने का फरमान सुना दिया गया.
सबसे बड़ी जांच एजेंसी में निदेशक और विशेष निदेशक की आपसी लड़ाई में रिश्वतखोरी का बड़ा मामला उजागर हुआ. पोल खुल जाने के बाद दोनों आला अफसर एक दूसरे के दुश्मन बन बैठे. सरकार पहले तमाशा देखती रही और फिर एक्शन में आ गई. मंगलवार की रात इस पूरे एक्शन की गवाह बन गई.
हुआ यूं कि मंगलवार की देर रात केंद्रीय सर्तकता आयुक्त ने एक अहम बैठक बुलाई. बैठक में सभी आला अधिकारियों के साथ कोरम पूरा किया गया. अधिकारी जानते थे कि मामला सीबीआई की आपसी रार से जुड़ा है. लिहाजा सभी अफसर टाइम से बैठक में जा पहुंचे.
केंद्रीय सर्तकता आयुक्त (सीवीसी) खुद पहले से वहां मौजूद थे. सीबीआई के मुद्दे का तनाव उनके चेहरे पर भी साफ झलक रहा था. सभागार में सीवीसी के सभी अफसर मौजूद थे. बैठक में सीबीआई में चल रही उठा पटक को लेकर बातचीत शुरू हुई. आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना एक दूसरे पर जो इल्जाम लगा रहे थे, उनकी फेहरिस्त सबके सामने थी. सबसे बड़ा मामला था जांच को निष्पक्ष कराने का.
लिहाजा, इस लंबी बैठक के बाद तय हुआ कि दोनों विवादित अधिकारियों को एजेंसी से दूर किया जाए. लिहाजा, रात के 11 बजे आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज देने का फैसला लिया गया. ताकि मामले की जांच सही और निष्पक्ष तरीके से की जा सके. साथ ही दोनों अधिकारियों के दफ्तर और दस्तावेज सील किए जाना तय हुआ.
बैठक जारी थी. रात के 11 बजकर 30 मिनट पर सीबीआई के अंतरिम निदेशक के तौर पर नागेश्वर राव की नियुक्ति किए जाना तय हो गया. वक्त बीतता जा रहा था. रात गहराती जा रही थी. सीवीसी के अधिकारी अब सभी अहम बातों पर एकमत हो चुके थे. लिहाजा, देर तक चली बैठक खत्म हुई. फौरन इस फैसले की जानकारी केंद्र सरकार को दी गई.
फिर एक्शन की बारी थी. इस दौरान नागेश्वर राव को चार्ज लेने के लिए बुलावा भेज दिया गया था. इससे पहले कि नागेश्वर वहां पहुंचते, रात के एक बजे अचानक दिल्ली पुलिस की टीम ने सीबीआई दफ्तर के एक खास हिस्से को सीज़ कर दिया. रात के 1 बजकर 15 मिनट पर नागेश्वर राव, सीबीआई के दफ्तर पहुंच गए और 1 बजकर 30 मिनट पर उन्होंने चार्ज ले लिया.
नागेश्वर राव सीधे सीबीआई दफ्तर के 11वें फ्लोर पर पहुंचे, और उनके निर्देशन में आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के दफ्तरों की तलाशी ली गई. इसके बाद रात के 2 बजे दोनों के दफ्तरों को सील कर दिया गया. 11वें फ्लोर को सील करने के बाद नागेश्वर ने 10वें फ्लोर पर मौजूद सभी दफ्तरों की चाबी भी अपने पास मंगवा कर रख ली. नागेश्वर राव पूरे एक्शन में नजर आ रहे थे.
इससे पहले कि एजेंसी के कारिंदे और कुछ समझ पाते बुधवार की सुबह 6 बजे नागेश्वर राव ने इस मामले से जुड़े सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की लिस्ट मंगाई. ऐसा लग रहा था कि नागेश्वर पूरी तैयारी के साथ आए थे. सुबह के 9 बजे उन्होंने इस केस से जुड़े सभी 13 अधिकारियों के तबादले कर दिए. फिर राकेश अस्थाना से जुड़े मामले को उन्होंने फास्ट ट्रैक में भेज दिया. सुबह होते होते सीबीआई की पूरी टीम ही बदल गई.
नागेश्वर दफ्तर में जमे रहे. बुधवार की सुबह तक सब कुछ बदल चुका था. सुबह 11 बजे डीएसपी बस्सी को पोर्ट ब्लेयर भेज दिया गया. उनके साथ अस्थाना से जुड़े अधिकारी मनीष सिन्हा को भी हटा दिया गया. दोपहर के 12 बजे अस्थाना के मामले की जांच के लिए 3 सदस्यों वाली नई टीम बनाई गई. 3 बजे इस मामले में आरोपी डीएसपी देवेंद्र से पूछताछ शुरू की गई. इससे पहले 1 बजे 10वें, 11वें फ्लोर को दोबारा खोल दिया गया. इसके साथ ही शाम होते होते एजेंसी में नंबर 3 की हैसियत रखने वाले अधिकारी एके शर्मा को भी छुट्टी पर भेज दिया गया.
ये है मामला
गौरतलब है कि एजेंसी ने अस्थाना और कई अन्य के खिलाफ कथित रूप से मांस निर्यातक मोइन कुरैशी से घूस लेने के आरोप में रविवार को एफआईआर दर्ज की थी. कुरैशी धनशोधन और भ्रष्टाचार के कई मामलों का सामना कर रहा है. सीबीआई ने आरोप लगाया है कि दिसंबर 2017 और अक्टूबर 2018 के बीच कम से कम पांच बार रिश्वत दी गई. इसके एक दिन बाद डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया गया.