Code of Criminal Procedure: दंड प्रक्रिया संहिता में बांड की बची हुई अवधि के लिए सिक्योरिटी राशि के बारे में प्रावधान करती है. CrPC की धारा 123 (Section 123) बंधपत्र की शेष अवधि के लिए प्रतिभूति को लेकर विस्तार से बताया गया है. चलिए जान लेते हैं कि सीआरपीसी की धारा 123 इस बारे में क्या जानकारी दे रही है?
सीआरपीसी की धारा 123 (CrPC Section 123)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure 1973) की धारा 123 (Section 123) में बंधपत्र की शेष अवधि के लिए प्रतिभूति के बारे में बताया गया है. CrPC की धारा 124 के मुताबिक -
(1) जब वह व्यक्ति, जिसको हाजिरी के लिए धारा 121 की उपधारा (3) के परंतुक के अधीन या धारा 123 की उपधारा (10) के अधीन समन या वारंट जारी किया गया है, मजिस्ट्रेट या न्यायालय के समक्ष हाजिर होता है या लाया जाता है तब वह मजिस्ट्रेट या न्यायालय ऐसे व्यक्ति द्वारा निष्पादित बंधपत्र को रद्द कर देगा और उस व्यक्ति को ऐसे बंधपत्र की अवधि के शेष भाग के लिए उसी भांति की, जैसी मूल प्रतिभूति थी, नई प्रतिभूति देने के लिए आदेश देगा.
(2) ऐसा प्रत्येक आदेश धारा 120 से धारा 123 तक की धाराओं के (जिसके अंतर्गत ये दोनों धाराएं भी है) प्रयोजनों के लिए, यथास्थिति, धारा 106 या धारा 117 के अधीन दिया गया आदेश समझा जाएगा.
क्या है सीआरपीसी (CrPC)
सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.
1974 में लागू हुई थी CrPC
सीआरपीसी के लिए 1973 में कानून (Law) पारित किया गया था. इसके बाद 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CrPC) देश में लागू हो गई थी. तब से अब तक CrPC में कई बार संशोधन (Amendment) भी किए गए है.