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CrPC Section 129: सिविल फोर्स के जरिए भीड़ को तितर-बितर करना बताती है धारा 129

CrPC की धारा 129 (Section 129) में भीड़ के जमाव को तितर-बितर करने के लिए सिविल फोर्स के प्रयोग का प्रावधान बताया गया है. आइए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 129 इस बारे में क्या कहती है?

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जमाव को तितर-बितर करने से जुड़ी है ये धारा
जमाव को तितर-बितर करने से जुड़ी है ये धारा
स्टोरी हाइलाइट्स
  • जमाव को तितर-बितर करने से जुड़ी है ये धारा
  • 1974 में लागू की गई थी सीआरपीसी
  • CrPC में कई बार हुए है संशोधन

Code of Criminal Procedure: दंड प्रक्रिया संहिता में भीड़ या जमाव को लेकर भी कई तरह के प्रावधान किए गए हैं, जो आवश्यकता पड़ने पर पुलिस और कोर्ट में काम आते हैं. इसी तरह से CrPC की धारा 129 (Section 129) में जमाव को तितर-बितर करने के लिए सिविल फोर्स के प्रयोग का प्रावधान बताया गया है. आइए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 129 इस बारे में क्या कहती है?

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सीआरपीसी की धारा 129 (CrPC Section 129)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure 1973) की धारा 129 (Section 129) में नागरिक बल का प्रयोग कर भीड़ या जमाव को तितर बितर करने का प्रावधान बताया गया है. CrPC की धारा 129 के अनुसार-

(1) कोई कार्यपालक मजिस्ट्रेट (Executive Magistrate) या पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी (Officer in charge) या ऐसे भारसाधक अधिकारी की अनुपस्थिति (Absence) में उप निरीक्षक (Sub Inspector) की पंक्ति से अनिम्न कोई पुलिस अधिकारी (Police Officer) किसी विधिविरुद्ध जमाव (Unlawful assembly) को, या पांच या अधिक व्यक्तियों के किसी ऐसे जमाव को, जिससे लोकशांति (Public peace) विक्षुब्ध होने की संभावना (likely to be disturbed) है, तितर-बितर होने का समादेश (Command) दे सकता है और तब ऐसे जमाव के सदस्यों का यह कर्तव्य (Duty) होगा कि वे तदनुसार तितर-बितर (Disperse) हो जाएं.

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(2) यदि ऐसा समादेश (Command) दिए जाने पर ऐसा कोई जमाव तितर-बितर (Disperse) नहीं होता है या यदि ऐसे समादिष्ट (Mandate) हुए बिना वह इस प्रकार से आचरण करता है, जिससे उसका तितर-बितर न होने का निश्चय दर्शित होता है, तो उपधारा (1) में निर्दिष्ट कोई कार्यपालक मजिस्ट्रेट (Executive Magistrate) या पुलिस अधिकारी (Police Officer) उस जमाव को बल (Force) द्वारा तितर-बितर करने की कार्यवाही कर सकता है और किसी पुरुष से जो सशस्त्र बल (Armed Force) का अधिकारी या सदस्य नहीं है और उस नाते कार्य नहीं कर रहा है, ऐसे जमाव को तितर-बितर करने के प्रयोजन (Purpose of scattering) के लिए और यदि आवश्यक हो तो उन व्यक्तियों को, जो उसमें सम्मिलित (Included in) हैं, इसलिए गिरफ्तार करने और परिरुद्ध करने के लिए कि ऐसा जमाव तितर-बितर किया जा सके या उन्हें विधि के अनुसार दंड दिया जा सके, सहायता की अपेक्षा कर सकता है.

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क्या है सीआरपीसी (CrPC)
सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.

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1974 में लागू हुई थी CrPC
सीआरपीसी के लिए 1973 में कानून (Law) पारित किया गया था. इसके बाद 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CrPC) देश में लागू हो गई थी. तब से अब तक CrPC में कई बार संशोधन (Amendment) भी किए गए है.

 

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