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CrPC Section 131: सशस्त्र बल के कुछ अधिकारियों की शक्ति परिभाषित करती है धारा 131

CrPC की धारा 131 (Section 131) में जमाव को तितर-बितर करने के लिए आर्म्ड फोर्स के कुछ अधिकारियों की शक्ति को परिभाषित किया गया है. तो आइए जान लेते हैं कि सीआरपीसी की धारा 131 इस बारे में क्या प्रावधान करती है?

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 कुछ सशस्त्र बल अधिकारियों की शक्ति से जुड़ी है ये धारा
कुछ सशस्त्र बल अधिकारियों की शक्ति से जुड़ी है ये धारा
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सशस्त्र बल के अधिकारियों की शक्ति से जुड़ी है ये धारा
  • 1974 में लागू की गई थी सीआरपीसी
  • CrPC में कई बार हुए है संशोधन

Code of Criminal Procedure: दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 131 में भीड़ के जमाव को सशस्त्र बल (Armed Force) की सहायता से तितर-बितर (Dispersed) करने का प्रावधान (Provision) किया गया है. मगर CrPC की धारा 131 (Section 131) में जमाव को तितर-बितर करने के लिए आर्म्ड फोर्स के कुछ अधिकारियों की शक्ति को परिभाषित किया गया है. तो आइए जान लेते हैं कि सीआरपीसी की धारा 131 इस बारे में क्या प्रावधान करती है?

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सीआरपीसी की धारा 131 (CrPC Section 131)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Proced 1973) की धारा 131 (Section 131) में भीड़ के जमाव को तितर-बितर करने के लिए (Disperse the gathering) कुछ सशस्त्र बल अधिकारियों की शक्ति (Power of officers) का प्रावधान है. CrPC की धारा 131 के मुताबिक, जब कोई ऐसा जमाव लोक सुरक्षा को स्पष्टतया संकटापन्न (Clearly endangering public safety) कर देता है और किसी कार्यपालक मजिस्ट्रेट (Executive magistrate) से संपर्क नहीं किया जा सकता है तब सशस्त्र बल (Armed forces) का कोई आयुक्त या राजपत्रित अधिकारी (Commissioner or gazetted officer) ऐसे जमाव को अपने समादेशाधीन सशस्त्र बल (Armed forces under command) की मदद से तितर-बितर (Dispersed) कर सकता है और ऐसे किन्हीं व्यक्तियों को, जो उसमें सम्मिलित (Included in) हों, ऐसे जमाव को तितर-बितर करने के लिए या इसलिए कि उन्हें विधि के अनुसार दंड (Punishment according to law) दिया जा सके, गिरफ्तार और परिरुद्ध (Arrested and confined) कर सकता है, किंतु यदि उस समय, जब वह इस धारा के अधीन (Under the law) कार्य कर रहा है, कार्यपालक मजिस्ट्रेट (Executive magistrate) से संपर्क करना उसके लिए साध्य हो जाता है तो वह ऐसा करेगा और तदनन्तर (Subsequently) इस बारे में कि वह ऐसी कार्यवाही चालू रखे या न रखे, मजिस्ट्रेट के अनुदेशों (Instructions of the Magistrate) का पालन करेगा.

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इसे भी पढ़ें--- CrPC Section 130: भीड़ को तितर-बितर करने के लिए सशस्त्र बल का प्रयोग बताती है धारा 130 

क्या है सीआरपीसी (CrPC)
सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.

1974 में लागू हुई थी CrPC
सीआरपीसी के लिए 1973 में कानून (Law) पारित किया गया था. इसके बाद 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CrPC) देश में लागू हो गई थी. तब से अब तक CrPC में कई बार संशोधन (Amendment) भी किए गए है.

 

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