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CrPC Section 132: अभियोजन से बचाव का प्रावधान करती है सीआरपीसी की धारा 132

CrPC की धारा 132 में पूर्व में उल्लेखित धारा 129, धारा 130 या धारा 131 के अधीन किए गए कार्यों के लिए अभियोजन से संरक्षण का प्रावधान (Provision) किया गया है. आइए जान लेते हैं कि सीआरपीसी की धारा 132 इस बारे में क्या जानकारी देती है?

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अभियोजन से संरक्षण के बारे में बताती है ये धारा
अभियोजन से संरक्षण के बारे में बताती है ये धारा
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अभियोजन से संरक्षण के बारे में बताती है ये धारा
  • 1974 में लागू की गई थी सीआरपीसी
  • CrPC में कई बार हुए है संशोधन

Code of Criminal Procedure: दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 132 में पूर्व में उल्लेखित धारा 129, धारा 130 या धारा 131 के अधीन किए गए कार्यों के लिए अभियोजन से संरक्षण का प्रावधान (Provision) किया गया है. आइए जान लेते हैं कि सीआरपीसी की धारा 132 इस बारे में क्या जानकारी देती है?

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सीआरपीसी की धारा 132 (CrPC Section 132)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure 1973) की धारा 132 (Section 132) में सीआरपीसी की धारा 129, धारा 130 या धारा 131 के अधीन किए गए कार्यों के लिए अभियोजन से संरक्षण के बारे में बताया गया है. यानी पूर्ववर्ती धाराओं के अधीन किए गए कार्यों के लिए अभियोजन से संरक्षण के बारे में बताती है. CrPC की धारा 132 से अनुसार- 

(1) धारा 129, धारा 130 या धारा 131 के तहत किए गए किसी भी कार्य के लिए, किसी व्यक्ति के विरुद्ध कोई अभियोजन किसी दंड न्यायालय में-

(क) जहां ऐसा व्यक्ति सशस्त्र बल का कोई अधिकारी या सदस्य है, वहां केंद्रीय सरकार की मंजूरी के बिना संस्थित नहीं किया जाएगा;

(ख) किसी अन्य मामले में राज्य सरकार की मंजूरी के बिना संस्थित नहीं किया जाएगा.

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(2) (क) उक्त धाराओं में से किसी के अधीन सद्भावपूर्वक कार्य करने वाले किसी कार्यपालक मजिस्ट्रेट या पुलिस अधिकारी के बारे में;

(ख) धारा 129 या धारा 130 के अधीन अपेक्षा के अनुपालन में सद्भावपूर्वक कार्य करने वाले किसी व्यक्ति के बारे में;

(ग) धारा 131 के अधीन सद्भावपूर्वक कार्य करने वाले सशस्त्र बल के किसी अधिकारी के बारे में;

(घ) सशस्त्र बल का कोई सदस्य जिस आदेश का पालन करने के लिए आबद्ध हो उसके पालन में किए गए किसी कार्य के लिए उस सदस्य के बारे में, यह न समझा जाएगा कि उसने उसके द्वारा कोई अपराध किया है.

(3) इस धारा में और इस अध्याय की पूर्ववर्ती धाराओं में-

(क) सशस्त्र बल पद से भूमि बल के रूप में क्रियाशील सेना, नौसेना और वायुसेना अभिप्रेत हैं और इसके अंतर्गत इस प्रकार क्रियाशील संघ के अन्य सशस्त्र बल भी हैं;

(ख) सशस्त्र बल के संबंध में अधिकारी से सशस्त्र बल के आफिसर के रूप में आयुक्त, राजपत्रित या वेतनभोगी व्यक्ति अभिप्रेत हैं और इसके अंतर्गत कनिष्ठ आयुक्त आफिसर, वारंट आफिसर, पेटी आफिसर, अनायुक्त आफिसर तथा अराजपत्रित आफिसर भी हैं;

(ग) सशस्त्र बल के संबंध में सदस्य से सशस्त्र बल के अधिकारी से भिन्न उसका कोई सदस्य अभिप्रेत है.

इसे भी पढ़ें--- CrPC Section 131: सशस्त्र बल के कुछ अधिकारियों की शक्ति परिभाषित करती है धारा 131 

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क्या है सीआरपीसी (CrPC)
सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.

1974 में लागू हुई थी CrPC
सीआरपीसी के लिए 1973 में कानून (Law) पारित किया गया था. इसके बाद 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CrPC) देश में लागू हो गई थी. तब से अब तक CrPC में कई बार संशोधन (Amendment) भी किए गए है.

 

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